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के-4 बैलिस्टिक मिसाइल
चर्चा में क्यों?
भारत ने परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बियों से 3,500 किलोमीटर प्रति घंटे की मारक क्षमता वाली के-4 मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया।
मुख्य बिंदु
- प्रक्षेपण मंच: यह प्रक्षेपण भारतीय नौसेना की परमाणु ऊर्जा से संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) INS अरिघाट से बंगाल की खाड़ी में किया गया।
- सामरिक महत्त्व: यह परीक्षण भारत की समुद्र-आधारित परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को सुदृढ़ करता है तथा देश की परमाणु त्रय (Nuclear Triad)- भूमि, वायु और समुद्र से परमाणु हथियारों की तैनाती की क्षमता, को मज़बूती प्रदान करता है।
- द्वितीय-हमला क्षमता: के-4 मिसाइल का यह सफल परीक्षण भारत की द्वितीय-हमला क्षमता को सशक्त बनाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि किसी भी प्रारंभिक परमाणु हमले के पश्चात भी भारत प्रभावी एवं निर्णायक प्रत्युत्तर देने में सक्षम रहेगा।
- DRDO की भूमिका: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित के-4 मिसाइल ठोस ईंधन तकनीक एवं उन्नत नेविगेशन प्रणालियों से युक्त है, जो इसकी विश्वसनीयता तथा सटीकता को बढ़ाती है।
- बैलिस्टिक मिसाइलों की विशेषताएँ:
- बैलिस्टिक मिसाइलें रॉकेट द्वारा संचालित हथियार प्रणालियाँ होती हैं, जो प्रक्षेपण के बाद मुख्यतः मुक्त-पतन पथ का अनुसरण करती हैं। ये पारंपरिक या परमाणु युद्धक ले जाने में सक्षम होती हैं और इन्हें भूमि, समुद्र या वायु से प्रक्षेपित किया जा सकता है।
- मारक क्षमता के आधार पर वर्गीकरण:
- छोटी दूरी की मिसाइलें: 1,000 किमी से कम
- मध्यम दूरी की मिसाइलें: 1,000–3,000 किमी
- मध्यवर्ती दूरी की मिसाइलें: 3,000–5,500 किमी
- लंबी दूरी/अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें (ICBM): 5,500 किमी से अधिक
- अग्नि-V:
- अग्नि-V भारत की सबसे लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है, जो 5,000 किलोमीटर से अधिक की मारक क्षमता वाली एक ICBM मिसाइल है।
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भारत टैक्सी पहल
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार ने ‘भारत टैक्सी’ नामक अपनी तरह की पहली ड्राइवर-स्वामित्व वाली सहकारी राइड-हेलिंग पहल का शुभारंभ किया है, जिसका उद्देश्य निजी टैक्सी एग्रीगेटरों के विकल्प के रूप में निष्पक्ष, पारदर्शी और न्यायसंगत परिवहन सेवा उपलब्ध कराना है।
मुख्य बिंदु
- भारत टैक्सी: यह सरकार समर्थित राइड-हेलिंग प्लेटफॉर्म है, जिसे एक सहकारी मॉडल के रूप में विकसित किया गया है, जहाँ ड्राइवर पारंपरिक निजी कंपनियों पर निर्भर रहने के बजाय शेयरधारक और सह-मालिक होते हैं।
- उद्देश्य: इस योजना का उद्देश्य टैक्सी चालकों को उचित आय सुनिश्चित करके सशक्त बनाना, निजी एग्रीगेटरों (जैसे ओला और उबर) पर निर्भरता कम करना तथा यात्रियों को किफायती, पारदर्शी परिवहन सेवाएँ प्रदान करना है।
- सहकारी संरचना: यह सेवा सहकार टैक्सी कोऑपरेटिव लिमिटेड द्वारा संचालित की जाती है।
- लॉन्च: यह सेवा 1 जनवरी, 2026 से पूरे देश में शुरू होने वाली है।
- ड्राइवर के लिये लाभ: ड्राइवर के स्वामित्व वाला मॉडल, कोई कमीशन नहीं और लाभ साझाकरण।
- यात्रियों के लिये लाभ: पारदर्शी मूल्य निर्धारण, किफायती यात्राएँ और अनेक वाहन विकल्प।
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