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मानव अधिकार दिवस
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 10 दिसंबर, 2025 को भारत मंडपम नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के मानवाधिकार दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित होंगी।
मुख्य बिंदु
- दिवस के बारे में:
- मानवाधिकार दिवस, जो प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को मनाया जाता है, न्याय शांति तथा समानता की आधारशिला के रूप में मानवाधिकारों के महत्त्व को रेखांकित करता है।
- ऐतिहासिक महत्त्व:
- मानवाधिकार दिवस की स्थापना वर्ष 1950 में मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (UDHR) के उपलक्ष्य में की गई थी, जिसे 10 दिसंबर, 1948 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंगीकृत किया गया था और जिसमें सभी व्यक्तियों के लिये मौलिक मानवाधिकारों की रूपरेखा निर्धारित की गई थी।
- वर्ष 2006 में स्थापित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद, अपने 47 सदस्य देशों (भारत सहित) के माध्यम से वैश्विक मानवाधिकार संरक्षण को सुदृढ़ करती है तथा उल्लंघनों और आपात परिस्थितियों से निपटने हेतु कार्य करती है।
- परिषद का सचिवालय मानवाधिकार उच्चायुक्त का कार्यालय (OHCHR) है, जो ज़िनेवा स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।
- समर्थन और कार्रवाई:
- यह दिवस घृणास्पद भाषण, भ्रांत सूचना तथा मानवाधिकारों के हनन का सामना करने के लिये सामूहिक प्रयासों का आह्वान करता है और समानता सहित निगरानीहीन भेदभाव-रहित व्यवस्था को प्रोत्साहित करता है।
- मानवाधिकार और भारत:
- भारतीय संविधान मौलिक अधिकारों (भाग III) तथा राज्य-नीति के निदेशक तत्त्वों (भाग IV) के माध्यम से मानवाधिकारों की संवैधानिक सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- प्रस्तावना का न्याय स्वतंत्रता समानता तथा बंधुत्व के प्रति संकल्प, UDHR की भावना का प्रतिरूप प्रस्तुत करता है।
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) जिसकी स्थापना मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत की गई थी, देश में मानवाधिकारों के अनुपालन की निगरानी करता है।
- थीम:
- NHRC “एंश्योरिंग एवरीडे एसेंशियल्स: पब्लिक सर्विसेज एंड डिग्निटी फॉर ऑल” शीर्षक से एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है जो संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार दिवस की थीम “एवरीडे एसेंशियल्स” के अनुरूप है।
- वार्ता:
- दो विषयगत सत्र “बेसिक अमेनिटीज़ टू ऑल: ए ह्यूमन राइट्स एप्रोच” तथा “एंश्योरिंग पब्लिक सर्विसेज एंड डिग्निटी फ़ॉर ऑल” में वरिष्ठ अधिकारियों और विशेषज्ञों द्वारा सेवा-प्रदायन में विद्यमान अंतरालों और समाधान पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
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बंगलूरू में UNSW कैंपस
चर्चा में क्यों?
न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय (विश्व स्तर पर 20वें स्थान पर) बंगलूरू में अपना नया कैंपस स्थापित करने जा रहा है, जिसके साथ वह भारत में संचालन हेतु स्वीकृत 19 विदेशी संस्थानों में सम्मिलित 7वाँ ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय बन जाएगा।
- यह संस्थान व्यापार, मीडिया, कंप्यूटर तथा डेटा विज्ञान सहित साइबर सुरक्षा में पाठ्यक्रम उपलब्ध कराएगा तथा UGC से स्वीकृति प्राप्त होने के बाद आगामी शैक्षणिक वर्ष में कक्षाएँ प्रारम्भ होने की संभावना है।
मुख्य बिंदु
- कैंपस के बारे में:
- तीसरी ऑस्ट्रेलिया-भारत शिक्षा एवं कौशल परिषद (AIESC) बैठक में संस्थानों और सरकारों के बीच व्यापक समझौता ज्ञापन और आशय पत्रों पर हस्ताक्षर किये गए, जिससे भारत-ऑस्ट्रेलिया शिक्षा सहयोग में बढ़ते विश्वास और दीर्घकालिक रणनीतिक प्रतिबद्धता पर बल मिला।
- अनुसंधान:
- संयुक्त वैज्ञानिक नवाचार को आगे बढ़ाने के लिये 9.84 करोड़ रुपये के वित्त पोषण द्वारा समर्थित, AI, क्वांटम प्रौद्योगिकी, जैवविविधता, मेडटेक, स्थिरता, स्मार्ट गतिशीलता और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में SPARC योजना के तहत दस नई द्विपक्षीय अनुसंधान परियोजनाएँ शुरू की गईं।
- विद्यालय:
- पहली बार, AIESC बैठक ने विद्यालय स्तर पर सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें CBSE के प्रारंभिक बाल्यकाल पाठ्यक्रम को ऑस्ट्रेलिया के फ्रेमवर्क्स के अनुरूप बनाना और ऑस्ट्रेलिया में बढ़ती डायस्पोरा सेवा के लिये अधिक CBSE-संबद्ध स्कूलों की स्थापना का अन्वेषण शामिल था।
- नवाचार:
- नई अंतर-संस्थागत पहलों में जेम्स कुक विश्वविद्यालय के साथ ओडिशा में एक समुद्री पारिस्थितिकी अनुसंधान केंद्र और खनन स्वचालन, रसद और स्थिरता पर पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय, IIM मुंबई और IIT धनबाद के बीच सहयोग शामिल है।
- अनुकूलन:
- डीकैन विश्वविद्यालय और IIT रुड़की आपदा अनुकूलन में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करेंगे, जिससे जलवायु प्रतिक्रिया, प्राकृतिक आपदा न्यूनीकरण और आपातकालीन तैयारी में भारत-ऑस्ट्रेलियाई शैक्षणिक सहयोग को विस्तारित करेगा।
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सशस्त्र सेना झंडा दिवस
चर्चा में क्यों?
राष्ट्र ने 7 दिसंबर, 2025 को सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया तथा रक्षा मंत्री ने वीर नारियों, पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों के कल्याण के लिये सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष में उदार योगदान देने का आग्रह किया।
मुख्य बिंदु
- परिचय:
- सशस्त्र सेना झंडा दिवस (AFFD) प्रत्येक वर्ष 7 दिसंबर को मनाया जाता है, जो वर्ष 1949 से भारतीय सशस्त्र बल कर्मियों, विशेषकर पूर्व सैनिकों के साहस और बलिदान का सम्मान करता है।
- यह दिवस न केवल शहीद सैनिकों के बलिदान को, बल्कि उनके परिवारों, विशेषकर युद्ध में दिव्यांग हुए सैनिकों और युद्ध विधवाओं (वीर नारियों) के योगदान को भी मान्यता देता है।
- ध्वज दिवस कोष (AFFDF):
- इस कोष की स्थापना मूलतः रक्षा मंत्रालय द्वारा वर्ष 1949 में की गई थी। वर्ष 1993 में इसे युद्ध पीड़ितों और पूर्व सैनिकों के विभिन्न कल्याण कोषों को मिलाकर एकीकृत कोष में समेकित किया गया।
- केंद्रीय सैनिक बोर्ड (KSB) इसके प्रशासन के लिये उत्तरदायी है।
- KSB पूरे भारत में पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के लिये कल्याण और पुनर्वास योजनाएँ निर्मित और क्रियान्वित करता है।
- डिजिटल समाधान:
- व्हाट्सएप-आधारित चैटबॉट, ‘SAMBANDH’, पूर्व सैनिकों को आसानी से अपनी शिकायतें दर्ज कराने और उनका समाधान करने में मदद करता है। इस प्लेटफॉर्म ने एक वर्ष से भी कम समय में 1,700 से अधिक मामलों का समाधान किया है।
- महिलाओं के लिये कौशल विकास:
- महिला सशक्तीकरण पहल का उद्देश्य शहीद सैनिकों की विधवाओं सहित महिलाओं को रोज़गार प्रशिक्षण और आर्थिक स्वतंत्रता के अवसर प्रदान करके सशक्त बनाना है।
- प्रोजेक्ट नमन (Project NAMAN):
- इसका उद्देश्य पूर्व सैनिकों के लिये पेंशन सेवाओं को सरल बनाना तथा जीवन प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने और पेंशन वितरण जैसी सेवाओं तक आसान पहुँच सुनिश्चित करना है।
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बंगलूरू में नया रक्षा MRO हब
चर्चा में क्यों?
टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स और लॉकहीड मार्टिन ने बंगलूरू में C-130J सुपर हरक्यूलिस विमान के लिये एक नई रक्षा रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (MRO) सुविधा का निर्माण शुरू किया, जिसे वर्ष 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
मुख्य बिंदु
- विस्तार:
- यह सुविधा C-130J, KC-130J और C-130 B–H सहित विभिन्न विमान प्रकारों को समर्थन प्रदान करेगी तथा लॉकहीड मार्टिन के प्रमाणित सेवा केंद्रों के वैश्विक नेटवर्क का हिस्सा बनेगी।
- स्थान:
- केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के निकट भटरामरेनहल्ली में स्थित यह केंद्र डिपो स्तर के रखरखाव, भारी ओवरहाल, उपकरण मरम्मत, संरचनात्मक जाँच और एवियोनिक्स उन्नयन का कार्य संभालेगा।
- प्रशिक्षण:
- MRO भारतीय इंजीनियरों और तकनीशियनों के लिये प्रशिक्षण के अवसरों का विस्तार करेगा, घरेलू एयरोस्पेस कौशल को सुदृश करेगा और C-130 आपूर्ति शृंखला में भारतीय आपूर्तिकर्ताओं के लिये नए अवसर सृजित करेगा।
- MRO भारतीय इंजीनियरों और तकनीशियनों के लिये प्रशिक्षण के अवसरों का विस्तार करेगा, घरेलू एयरोस्पेस कौशल को सुदृश करेगा और C-130 आपूर्ति शृंखला में भारतीय आपूर्तिकर्ताओं के लिये नए अवसर सृजित करेगा।
- तत्परता:
- लॉकहीड मार्टिन ने ज़ोर दिया कि यह सुविधा भारतीय वायु सेना के 12 C-130J विमानों की निरंतरता और परिचालन तत्परता को बढ़ावा देगी, जिसका व्यापक रूप से सामरिक एयरलिफ्ट और मानवीय कार्यों में उपयोग किया जाता है।
- साझेदारी:
- यह परियोजना दीर्घकालिक भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी में एक महत्त्वपूर्ण कदम है, जो सात दशकों से अधिक के सहयोग और बढ़ते औद्योगिक सहयोग को दर्शाता है।
- स्वदेशीकरण:
- टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स ने कहा कि MRO केंद्र भारत के रक्षा आत्मनिर्भरता लक्ष्यों के अनुरूप है तथा ‘'मेक इन इंडिया’ के तहत घरेलू क्षमता, नवाचार और प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाता है।
- सहयोग:
- यह सुविधा टाटा-लॉकहीड मार्टिन एयरोस्ट्रक्चर्स लिमिटेड की सफलता पर आधारित है, जिसने हाल ही में अपना 250वाँ C-130J टेल वितरित किया है, जो एक परिपक्व एयरोस्पेस विनिर्माण साझेदारी को रेखांकित करता है।
- समयरेखा:
- निर्माण कार्य वर्ष 2026 के अंत तक पूरा होने की योजना है और पहला C-130 विमान वर्ष 2027 की शुरुआत में बंगलूरू सुविधा में MRO संचालन के लिये प्रवेश करेगा।
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वैश्विक ऊर्जा नेताओं का शिखर सम्मेलन (GELS) 2025
चर्चा में क्यों?
ओडिशा के पुरी में आयोजित वैश्विक ऊर्जा नेताओं का शिखर सम्मेलन (GELS) 2025 में केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तनों को आकार देने में भारत की केंद्रीय भूमिका पर प्रकाश डाला और इस शिखर सम्मेलन को नीति निर्माताओं, नवप्रवर्तकों और उद्योग जगत के नेताओं के लिये एक प्रमुख मंच के रूप में स्थापित किया।
मुख्य बिंदु
- विज़न:
- GELS 2025 ने दीर्घकालिक सामुदायिक अभ्यास की शुरुआत को चिह्नित किया, जिसमें भारत का विश्वास है कि ओडिशा जैसे राज्य राष्ट्रीय हरित विकास और ऊर्जा नवाचार के अगले चरण का नेतृत्व करेंगे।
- रिकॉर्ड:
- GELS में मंत्री ने भारत की गैर-जीवाश्म क्षमता में अब तक की सर्वाधिक वार्षिक वृद्धि, 31.25 गीगावाट, जिसमें 24.28 गीगावाट सौर ऊर्जा शामिल है, की घोषणा की, जो देश की स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में तेज़ी से हो रही प्रगति को दर्शाता है।
- योगदान:
- उन्होंने रेखांकित किया कि विश्व ने वर्ष 2024 तक अपनी दूसरी टेरावाट नवीकरणीय क्षमता जोड़ ली है, जबकि भारत ने अकेले 2022-24 के बीच 46 गीगावाट सौर ऊर्जा का योगदान दिया, जिससे वह विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता बन गया।
- विकास:
- GELS ने भारत के परिवर्तनकारी सौर विस्तार को रेखांकित किया, जो 11 वर्षों में 2.8 गीगावाट से बढ़कर लगभग 130 गीगावाट हो गया, जो 4,500% की वृद्धि है, जिससे भारत तीव्र नवीकरणीय ऊर्जा उपयोग के लिये एक वैश्विक मॉडल बन गया।
- संतुलन:
- शिखर सम्मेलन में भारत के सामने दूसरी सबसे बड़ी कोयला उपभोक्ता होने की दोहरी चुनौती पर विचार किया गया, साथ ही वैश्विक औद्योगिक और व्यापार परिवर्तनों के बीच प्रतिस्पर्द्धी बने रहने के लिये नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार करने पर भी चर्चा हुई।
- क्षमता:
- GELS में ओडिशा की स्वच्छ ऊर्जा प्रगति पर प्रकाश डाला गया, जिसमें 3.1 गीगावाट नवीकरणीय क्षमता है, जो इसकी कुल विद्युत क्षमता का 34% है और राज्य स्तर पर मज़बूत अपनापन दर्शाता है।
- पहल:
- शिखर सम्मेलन में एक प्रमुख घोषणा ओडिशा के लिये PM सूर्य घर के तहत 1.5 लाख रूफटॉप सौर ULA मॉडल को स्वीकृति देना थी, जिससे 7-8 लाख लोगों, विशेष रूप से कम आय वाले परिवारों को लाभ मिलने की संभावना है।
- GELS ने ओडिशा के रूफटॉप सोलर अपनाने पर प्रकाश डाला: 1.6 लाख आवेदन, 23,000 से अधिक इंस्टॉलेशन्स और 147 करोड़ रुपए की सब्सिडी 19,200 परिवारों को हस्तांतरित की गई, जो मज़बूत कार्यान्वयन को दर्शाता है।
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