मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश में NHRC का स्वत: संज्ञान
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने मध्य प्रदेश के सतना ज़िले के एक अस्पताल में रक्त आधान के उपरांत छह बच्चों के HIV पॉजिटिव पाए जाने संबंधी मीडिया रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया है।
मुख्य बिंदु
घटना के बारे में:
- मध्य प्रदेश के सतना ज़िला अस्पताल में थैलेसीमिया का उपचार करा रहे छह बच्चे कथित रूप से रक्त आधान के पश्चात HIV पॉजिटिव पाए गए हैं, जिससे गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंताएँ उत्पन्न हुई हैं।
- राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) ने अवलोकन किया है कि यदि यह घटना सत्य पाई जाती है, तो यह बच्चों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और संरक्षण के अधिकारों का उल्लंघन होगा।
- प्रणालीगत समस्या: देश के अन्य भागों में भी इसी प्रकार की घटनाएँ सामने आना राष्ट्रीय स्तर पर रक्त सुरक्षा प्रोटोकॉल में संभावित संरचनात्मक कमज़ोरियों की ओर संकेत करता है।
- नोटिस जारी: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
- जाँच जारी है: मध्य प्रदेश में स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य अधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिये जाँच कर रहे हैं कि क्या अन्य अस्पताल भी ऐसे मामलों से जुड़े हो सकते हैं, ताकि जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।
HIV के बारे में:
- ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) एक रेट्रोवायरस है, जिसकी आनुवंशिक सामग्री सिंगल-स्ट्रैंडेड RNA (ssRNA) होती है, और यह मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर आक्रमण करता है।
- प्रभाव: यह वायरस मुख्य रूप से CD4 (टी-हेल्पर) कोशिकाओं, जो एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएँ हैं को नष्ट करता है, जिससे प्रतिरक्षा तंत्र कमज़ोर हो जाता है।
- रोग की प्रगति: यदि समय पर उपचार न किया जाए, तो HIV संक्रमण एड्स (AIDS) में परिवर्तित हो सकता है।
- संचरण: यह संक्रमण रक्त आधान, यौन संपर्क, माँ से शिशु में संक्रमण तथा दूषित सुइयों के माध्यम से फैल सकता है।
- उपचार: एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) वायरस को नियंत्रित करती है और रोग की प्रगति को धीमा या रोकती है।
- उपचार की स्थिति: HIV का पूर्ण उपचार उपलब्ध नहीं है, किंतु प्रारंभिक और नियमित उपचार से जीवन प्रत्याशा तथा जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार संभव है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC):
- यह मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अंतर्गत स्थापित एक वैधानिक निकाय है, जिसे मानवाधिकारों की रक्षा और संवर्द्धन का दायित्व सौंपा गया है।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
भेजा-बकौर कोसी पुल परियोजना
चर्चा में क्यों?
उत्तरी बिहार में निर्माणाधीन 13.3 किलोमीटर लंबा भेजा–बकौर कोसी पुल अब अपने अंतिम चरण में पहुँच चुका है, जिससे बाढ़-प्रभावित क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में गुणात्मक सुधार, यात्रा दूरी में कमी और क्षेत्रीय विकास को गति मिलने की संभावना है।
मुख्य बिंदु
- परियोजना स्थान: भेजा–बकौर कोसी पुल का निर्माण बिहार में कोसी नदी पर किया जा रहा है।
- कोसी नदी: कोसी को प्रायः “बिहार का शोक” कहा जाता है। यह नदी तिब्बती पठार से उद्गमित होकर नेपाल से प्रवाहित होती हुई बिहार के कटिहार ज़िले में कुरसेला के पास गंगा नदी में मिल जाती है।
- रणनीतिक संपर्क: इस पुल के चालू होने से यात्रा दूरी में लगभग 44 किलोमीटर की कमी आएगी, जिससे मधुबनी और सुपौल के बीच NH-27 के माध्यम से पटना के साथ सीधा संपर्क स्थापित होगा।
- क्षेत्रीय वाणिज्य: परियोजना से नेपाल और उत्तर-पूर्वी भारत के लिये निर्बाध परिवहन मार्ग उपलब्ध होने की संभावना है, जिससे सीमा-पार व्यापार तथा क्षेत्रीय वाणिज्य को प्रोत्साहन मिलेगा।
- योजना: यह परियोजना सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा भारत माला परियोजना (चरण-I) के अंतर्गत विकसित की जा रही है।
- निवेश: परियोजना की अनुमानित लागत 1101.99 करोड़ रुपए है।
- परियोजना पूर्णता की समयसीमा: इसे वित्त वर्ष 2026–27 के दौरान पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- धार्मिक और पर्यटन स्थल: पुल के माध्यम से भगवती उच्चैठ, बिदेश्वर धाम, उग्रतारा मंदिर तथा सिंघेश्वर स्थान जैसे प्रमुख धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों तक आसान कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी।
- परिवर्तनकारी प्रतीक: यह पुल उत्तरी बिहार में दशकों से चली आ रही बाढ़, भौगोलिक अलगाव और अविकास की स्थिति से निकलकर बेहतर संपर्क, समावेशी विकास तथा क्षेत्रीय एकीकरण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तनकारी प्रतीक है।
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