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मध्य प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 26 Dec 2025
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मध्य प्रदेश में कृषक सम्मेलन

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय गृह मंत्री तथा सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 25 दिसंबर, 2025 को मध्य प्रदेश के रीवा में आयोजित किसान सम्मेलन को संबोधित किया।

मुख्य बिंदु 

  • मुख्य विषय: सतत कृषि पद्धति के रूप में प्राकृतिक कृषि पर विशेष ज़ोर।
  • आदर्श कृषि फार्म: मध्य प्रदेश के रीवा स्थित बसवन मामा गोवंश वन विहार को छोटे एवं सीमांत किसानों के लिये लाभकारी प्राकृतिक कृषि मॉडल और प्रशिक्षण केंद्र के रूप में प्रस्तुत किया गया।
  • प्राकृतिक कृषि: 
    • नीति आयोग के अनुसार, प्राकृतिक कृषि एक रसायन-मुक्त पारंपरिक कृषि पद्धति है, जो कृषि-पारिस्थितिकी के सिद्धांतों पर आधारित है तथा इसमें फसलें, वृक्ष, पशुधन और कार्यात्मक जैव विविधता का समग्र एकीकरण होता है।
    • लाभ: प्राकृतिक खेती से किसानों की आय में वृद्धि होती है, जल संरक्षण सुनिश्चित होता है और रासायनिक उर्वकों के बिना अच्छी फसलों का उत्पादन होता है।
  • प्रमाणीकरण एवं बाज़ार पहुँच: सहकारिता मंत्रालय ने जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण, परीक्षण, पैकेजिंग, विपणन और निर्यात के लिये दो प्रमुख सहकारी संस्थाओं की स्थापना की है:
    • नेशनल कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (NCOL): जैविक उत्पादों के विपणन, प्रमाणीकरण, परीक्षण, पैकेजिंग और ब्रांडिंग पर केंद्रित।
    • नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (NCEL): सहकारी क्षेत्र के उत्पादों के निर्यात और वैश्विक मांग को बढ़ावा देने पर केंद्रित।
  • प्रयोगशाला नेटवर्क: संपूर्ण देश में 400 प्रयोगशालाओं का विस्तार करने की योजना है।
  • आह्वान: नागरिकों को पर्यावरणीय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और प्रकृति की सेवा हेतु पीपल के वृक्ष लगाने के लिये प्रोत्साहित किया गया।

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नई दिल्ली में आतंकवाद विरोधी सम्मेलन

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह 26 दिसंबर, 2025 को नई दिल्ली में आतंकवाद विरोधी सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे।

मुख्य बिंदु

  • उद्घाटनकर्त्ता: केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करेंगे।
  • उद्देश्य: सम्मेलन का लक्ष्य भारत की आतंकवाद-रोधी तैयारियों तथा अंतर-एजेंसी समन्वय को सुदृढ़ करना है।
  • आयोजक: सम्मेलन का आयोजन गृह मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) द्वारा किया गया है।
  • विज़न: यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता विज़न से प्रेरित है।
  • मुख्य क्षेत्र: प्रमुख क्षेत्रों में विदेशी साक्ष्य संग्रह, डिजिटल फोरेंसिक, आतंकवाद-रोधी जाँच में डेटा विश्लेषण तथा आतंकवाद के वित्तपोषण नेटवर्क को बाधित करना शामिल है।
  • कट्टरपंथ का सामना: विशेषकर डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से होने वाले कट्टरपंथीकरण और भर्ती प्रक्रियाओं की रोकथाम पर ज़ोर दिया गया है।

भारत में आतंकवाद से संबंधित ढाँचा

  • परिचय: आतंकवाद हिंसा और धमकी का, विशेष रूप से नागरिकों के विरुद्ध, मंशापूर्ण एवं अवैध उपयोग है, जिसका उद्देश्य भय उत्पन्न करना तथा राजनीतिक, धार्मिक या वैचारिक लक्ष्य प्राप्त करना है।
  • यह भय, व्यवधान और अनिश्चितता का माहौल बनाकर सरकारों या समाजों को प्रभावित करने का ध्येय रखता है।
  • भारत आतंकवाद के विरुद्ध ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति के साथ कठोर रुख रखता है।
  • हालाँकि आतंकवाद की कोई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत परिभाषा नहीं है, जिससे विशिष्ट गतिविधियों को आतंकवादी कृत्य के रूप में वर्गीकृत करना कठिन हो जाता है।
  • यह अस्पष्टता आतंकवादियों को लाभ पहुँचाती है और कुछ देशों को चुप रहने तथा वैश्विक संस्थाओं में किसी कार्रवाई पर वीटो लगाने में सक्षम बनाती है।

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किम्‍बर्ले प्रक्रिया की अध्यक्षता करेगा भारत

चर्चा में क्यों?

भारत को 1 जनवरी, 2026 से किम्‍बर्ले प्रक्रिया (Kimberley Process- KP) की अध्यक्षता करने के लिये चयनित किया गया है।

मुख्य बिंदु

  • किम्‍बर्ले प्रक्रिया: 
    • किम्‍बर्ले प्रक्रिया (Kimberley Process) हीरों के अवैध व्यापार पर रोक लगाने के उद्देश्य से आरंभ की गई एक अंतर्राष्ट्रीय बहुपक्षीय पहल है।
    • यह ऐसे हीरों के व्‍यापार पर अंकुश लगाने की प्रक्रिया है जिनका इस्‍तेमाल विद्रोही गुटों द्वारा चुनी हुई सरकारों के खिलाफ संघर्ष एवं युद्ध के वित्तपोषण के लिये किया जाता है।
  • त्रिपक्षीय संरचना: 
    • किम्‍बर्ले प्रक्रिया सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय हीरा उद्योग और नागरिक समाज संगठनों की एक संयुक्त पहल है
  • मुख्यालय: 
    • इसका कोई औपचारिक संगठन नहीं है; इसका संचालन सदस्य देशों तथा बारी-बारी से अध्यक्षता करने वाले देशों के माध्यम से किया जाता है।
  • प्रमाणन योजना: 
  • वैश्विक कवरेज: 
    • किम्‍बर्ले प्रक्रिया में यूरोपीय संघ एवं उसके सदस्य देशों सहित कुल 60 प्रतिभागी सम्मिलित हैं।
  • भारत की भूमिका: 
    • यह तीसरी बार होगा (2008, 2019 और 2026) जब भारत को इसके नेतृत्व की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।

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