मध्य प्रदेश Switch to English
सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व में देनवा नदी
चर्चा में क्यों?
वन-अधिकारियों ने मध्य प्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व (STR) में देनवा नदी में तैरती हुई एक बाघिन का दुर्लभ दृश्य देखा, जो रिज़र्व में बाघों की बढ़ती गतिविधि तथा स्वस्थ नदी-आवासों को रेखांकित करता है।
मुख्य बिंदु
- देनवा नदी के बारे में:
- देनवा नदी सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व की जीवन-रेखा है और इसका उद्गम सतपुड़ा रेंज में महादेव पहाड़ियों की दक्षिणी ढलानों से होता है।
- यह नदी उत्तर की ओर बहती हुई तवा नदी में मिल जाती है, जिससे रिज़र्व के अंदर व्यापक आर्द्रभूमि का निर्माण होता है, जो समृद्ध जलीय तथा स्थलीय जैवविविधता का समर्थन करती है।
- नदी प्राकृतिक अवरोध, नदी-द्वीप और घास के मैदान बनाती है, जो बाघों, भालू, हिरण प्रजातियों तथा पक्षियों के लिये महत्त्वपूर्ण वन्यजीव गलियारे के रूप में कार्य करते हैं।
- सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व के बारे में:
- यह रिज़र्व होशंगाबाद (नर्मदापुरम) ज़िले में स्थित है और सतपुड़ा-मैकाल पर्वत श्रेणी का हिस्सा है।
- इसमें सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान, पचमढ़ी वन्यजीव अभयारण्य और बोरी वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं, जो इसे भारत के सबसे प्राचीन वन अभ्यारण्यों में से एक बनाते हैं।
- पचमढ़ी बायोस्फीयर रिज़र्व (जिसमें STR भी शामिल है) मध्य प्रदेश का पहला बायोस्फीयर रिज़र्व था (वर्ष 1999 में घोषित) और बाद में इसे यूनेस्को द्वारा मान्यता दी गई।
- इस भूभाग में बलुआ पत्थर की चोटियाँ, गहरी घाटियाँ, खड्ड, नदियाँ और घने साल-सागौन के जंगल हैं, जो बाघों के लिये आदर्श आवास प्रदान करते हैं।
- यह क्षेत्र बाघों, तेंदुओं, भालू, भारतीय बाइसन (गौर), जंगली कुत्ते (ढोल) और समृद्ध पक्षी विविधता के उच्च घनत्व के लिये जाना जाता है।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
हायली गुब्बी ज्वालामुखी
चर्चा में क्यों?
इथियोपिया में स्थित हायली गुब्बी ज्वालामुखी में भयंकर विस्फोट हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप हजारों मीटर ऊँचाई तक राख के विशाल गुबार उठे। इन राख कणों का एक भाग भारतीय वायुक्षेत्र में प्रवेश कर गया है, जिसके कारण विमानन-संबंधी चेतावनी जारी की गई है।
मुख्य बिंदु
- हायली गुब्बी ज्वालामुखी के बारे में:
- यह ज्वालामुखी उत्तरी-पूर्वी इथियोपिया के अफार क्षेत्र में स्थित है और दानाकिल डिप्रेशन का हिस्सा है, जो पृथ्वी के सबसे गर्म तथा सबसे निम्न स्थलों में से एक है।
- यह विस्फोट महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि अफार क्षेत्र से प्राप्त भूवैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर ऐसा माना जाता है कि यह ज्वालामुखी लगभग 12,000 वर्षों के बाद सक्रिय हुआ है।
- यह विस्फोट पूर्वी अफ्रीकी दरार प्रणाली (EARS) की भूवैज्ञानिक अस्थिरता को रेखांकित करता है, जहाँ सक्रिय ज्वालामुखी, दरार-विस्फोट तथा विस्तृत रेखाएँ सामान्य हैं।
- यह विश्व की अत्यंत विवर्तनिक रूप से सक्रिय दरार प्रणालियों में से एक है, जहाँ अरब, न्युबियन और सोमाली विवर्तनिक प्लेटें अपसरण कर रही हैं।
- इस क्षेत्र की विशेषता बेसाल्टिक लावा, फिशर प्रणालियाँ और महाद्वीपीय विखंडन प्रक्रिया से संबद्ध लगातार भूकंपीय गतिविधियाँ हैं।
ज्वालामुखीय राख और विमानन जोखिम
- ज्वालामुखीय राख अत्यंत सूक्ष्म, घर्षणकारी चट्टानी तथा काँचीय कणों से बनी होती है, जो जेट इंजनों के भीतर प्रवेश कर पिघल सकती है और गंभीर क्षति पहुँचा सकती है।
- जब राख पिघलकर टरबाइन ब्लेड पर पुनः जम जाती है तो जेट इंजन बंद हो सकते हैं।
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