मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश में पहली बार कोदो-कुटकी का उपार्जन
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश की कैबिनेट ने पहली बार प्रमुख मोटे अनाज उत्पादक ज़िलों के किसानों से कोदो और कुटकी (मोटे अनाज) की खरीदी करने का निर्णय लिया है।
मुख्य बिंदु
- परिचय: कोदो और कुटकी का उपार्जन 'रानी दुर्गावती श्री-अन्न प्रोत्साहन योजना' के तहत किया जाएगा।
- उपार्जन ज़िले: प्रमुख उत्पादन वाले ज़िले जैसे- जबलपुर, कटनी, मंडला, डिंडोरी, छिंदवाड़ा, शहडोल, अनुपपुर, उमरिया, रीवा, सीधी तथा सिंगरौली को प्राथमिकता दी जाएगी, जबकि अन्य ज़िलों को उनकी आवश्यकता के अनुसार शामिल किया जाएगा।
- एजेंसी: उपार्जन की प्रक्रिया श्री-अन्न कंसोर्टियम ऑफ फार्मर-प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड (Shri Ann Federation) द्वारा संचालित की जाएगी।
- फेडरेशन लगभग 30,000 मीट्रिक टन मोटे अनाज खरीदेगा, जिसमें कुटकी की प्रति क्विंटल कीमत ₹3,500 और कोदो की प्रति क्विंटल कीमत ₹2,500 तय की गई है।
- वित्तीय सहायता: श्री-अन्न फेडरेशन को राज्य के मूल्य स्थिरीकरण कोष से ₹80 करोड़ का ब्याज मुक्त ऋण मिलेगा।
- किसान प्रोत्साहन: किसानों के बैंक खातों में प्रति क्विंटल ₹1,000 की प्रोत्साहन राशि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (Direct Benefit Transfer- DBT) के माध्यम से प्रदान की जाएगी।
- कोदो और कुटकी:
- कोदो और कुटकी मिलेट्स के प्रकार हैं, जिनके वनस्पतिक नाम क्रमशः Paspalum scrobiculatum और Panicum sumatrense हैं।
- दोनों अनाजों को चावल की तरह ही खाया जा सकता है।
- कोदो में 100 ग्राम में 8.3 ग्राम प्रोटीन होता है, जबकि कुटकी में 100 ग्राम में 7.7 ग्राम प्रोटीन होता है।
रानी दुर्गावती श्री-अन्न प्रोत्साहन योजना
- उद्देश्य: रानी दुर्गावती श्री-अन्न प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य मोटे अनाज (श्री-अन्न) उत्पादक किसानों का समर्थन करना है, उनके उत्पादों के लिये न्यायसंगत मूल्य सुनिश्चित करना और इस प्रकार अधिक किसानों को मोटे अनाज की खेती में संलग्न होने के लिये प्रोत्साहित करना है।
- यह योजना अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रदान करने और मोटे अनाज, विशेष रूप से कोदो तथा कुटकी, के मार्केटिंग एवं ब्रांडिंग को मज़बूत बनाने का भी उद्देश्य रखती है, ताकि इन उत्पादों के लिये राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक विशिष्ट पहचान स्थापित की जा सके।
- उपार्जन और समर्थन: राज्य सरकार और फेडरेशन किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कोदो तथा कुटकी का उपार्जन करते हैं, साथ ही डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से प्रति क्विंटल अतिरिक्त ₹1,000 प्रदान किया जाता है।
- क्षमता निर्माण और विपणन: यह योजना मोटे अनाज किसानों की क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करती है, कोदो और कुटकी के लिये विशेष पैकेजिंग तथा ब्रांडिंग गतिविधियों को बढ़ावा देती है एवं उनके उत्पादों के लिये न्यायसंगत मूल्य सुनिश्चित करने हेतु बेहतर विपणन प्रणाली स्थापित करने का लक्ष्य रखती है।
- फेडरेशन का गठन: मोटे अनाज की खेती, प्रसंस्करण और विपणन में शामिल फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइज़ेशन (FPO) तथा समूहों को राज्य स्तरीय फेडरेशन के रूप में संगठित किया जाता है।
- यह फेडरेशन मोटे अनाज के लिये वैल्यू चेन विकसित करने में सहायक है और कोदो व कुटकी की खेती में संलग्न किसानों की आय बढ़ाने में योगदान देता है।
- शासन और निगरानी: यह योजना वर्ष 2013 के कंपनियों अधिनियम के तहत संचालित होती है, जिसमें फेडरेशन को कंपनी के रूप में गठित किया गया
- एक सशक्त निगरानी तंत्र कृषि विकास और किसान कल्याण विभाग के अंतर्गत स्थापित किया जाएगा, जिसमें वरिष्ठ अधिकारी यथोचित क्रियान्वयन, नियमित मूल्यांकन सुनिश्चित करेंगे तथा हितधारकों से संबंधी समस्याओं का समाधान करेंगे।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
समुद्र शक्ति का पाँचवाँ संस्करण
चर्चा में क्यों?
भारतीय नौसेना 14 से 17 अक्तूबर तक आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में इंडोनेशियाई नौसेना के साथ द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास ‘समुद्र शक्ति’ के पाँचवें संस्करण की मेज़बानी कर रही है।
मुख्य बिंदु
- परिचय: इस संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य समुद्र और तट दोनों पर पेशेवर तथा परिचालनिक गतिविधियों की एक शृंखला के माध्यम से दोनों देशों के बीच अंतरसंचालन क्षमता (interoperability) को बढ़ाना तथा समुद्री सहयोग को सुदृढ़ करना है।
- भाग लेने वाली इकाइयाँ:
- INS कवरत्ती: भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े की एक पनडुब्बी-रोधी युद्धक (Anti-Submarine Warfare) कॉर्वेट।
- KRI जॉन ली: इंडोनेशियाई नौसेना की एक कॉर्वेट, जो एक एकीकृत हेलीकॉप्टर से सुसज्जित है।
- हार्बर फेज़: हार्बर चरण में गतिविधियाँ शामिल हैं जैसे- क्रॉस-डेक दौरे, संयुक्त योग सत्र, मैत्रीपूर्ण खेल आयोजन और सब्जेक्ट मैटर एक्सपर्ट एक्सचेंज (SMEE) कार्यक्रम के तहत पेशेवर आदान-प्रदान, जो दोनों देशों के नौसैनिक कर्मियों के बीच पेशेवर संवाद तथा सौहार्द बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित की जाती हैं।
- सी चरण: सी चरण में जटिल और उच्च-गतिशीलता वाले समुद्री अभियान होंगे, जिनका उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच टैक्टिकल समन्वय (tactical coordination) में सुधार करना है। इन अभियानों में हेलीकॉप्टर युद्धाभ्यास, हवाई रक्षा अभ्यास (Air Defence Exercises), हथियार फायरिंग ड्रिल्स और विजिट, बोर्ड, सर्च एंड सिज़र (VBSS) ऑपरेशन्स शामिल होंगे।
- महत्त्व: यह अभ्यास इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता और शांति बनाए रखने के प्रति दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को उजागर करता है।
- भारत और इंडोनेशिया के बीच अन्य सैन्य अभ्यास: गरुड़ शक्ति, IND-INDO CORPAT