मध्य प्रदेश Switch to English
वीरांगना टाइगर रिज़र्व मध्य प्रदेश का तीसरा चीता आवास
चर्चा में क्यों?
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सागर ज़िले के नौरादेही स्थित वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिज़र्व में अगले मानसून से पूर्व चीते (Cheetah) के लिये नया आवास स्थापित करने की घोषणा की है।
मुख्य बिंदु
- स्वीकृति: राज्य मंत्रिमंडल ने मध्य प्रदेश के तीसरे टाइगर रिज़र्व के रूप में वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिज़र्व को विकसित करने के लिये सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी है।
- आवास स्थल: चीतों के लिये पहला आवास स्थल सितंबर 2022 में कुनो राष्ट्रीय उद्यान, श्योपुर में स्थापित किया गया, जबकि दूसरा अप्रैल 2025 में गांधी सागर अभयारण्य, मंदसौर में स्थापित किया गया था।
- संख्या: कुनो राष्ट्रीय उद्यान में वर्तमान में 28 चीते हैं, जबकि गांधी सागर अभयारण्य में दो चीते हैं तथा भविष्य में इनकी संख्या में और वृद्धि की संभावना है।
- स्थानांतरण: जनवरी 2026 में बोत्सवाना से आठ और चीतों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान में लाए जाने की संभावना है।
- सफलता : मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत और विशेष रूप से मध्य प्रदेश, विश्व में एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ चीतों का पुनर्वास सफल रहा है।
- वन्यजीव: बाघों की मृत्यु बढ़ती संख्या के कारण होती है, जबकि सरकार क्षति को कम करने और वन्यजीवों के प्रवास तथा आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने के लिये कार्यरत है।
- विविधता: राज्य सरकार असम से गैंडे और बंगलूरू से किंग कोबरा सहित अन्य प्रजातियों को भी स्थानांतरित कर रही है और संरक्षण तथा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये साँप पार्क, बचाव केंद्र एवं चिड़ियाघर विकसित कर रही है।
वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिज़र्व
- परिचय: वीरंगना रानी दुर्गावती के नाम पर नामित वीरंगना दुर्गावती टाइगर रिज़र्व की स्थापना वर्ष 1997 में हुई थी और यह अपनी समृद्ध जैवविविधता के लिये प्रसिद्ध है।
- जैवविविधता: लगभग 550 वर्ग किलोमीटर में स्थापित यह रिज़र्व बंगाल टाइगर, भारतीय तेंदुओं, हिरणों की प्रजातियों और विविध प्रकार के पेड़-पौधों तथा जीव-जंतुओं का आवास स्थल है, जो वन्यजीव तथा प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करता है।
- अवस्थिति: यह अभ्यारण्य जबेरा से लगभग 11 किलोमीटर दूर दमोह-जबलपुर मार्ग पर स्थित है, जहाँ मार्ग के किनारे वन्यजीवों को देखना सामान्य घटना है।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
राज कुमार गोयल मुख्य सूचना आयुक्त नियुक्त
चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी राज कुमार गोयल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के समक्ष केंद्रीय सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) पद की शपथ ली।
- राज कुमार गोयल ने पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त हीरालाल समरिया का स्थान लिया, जिनके पद छोड़ने के बाद यह पद सितंबर 2025 से रिक्त था।
मुख्य बिंदु
- परिचय: राज कुमार गोयल वर्ष 1990 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी रहे हैं, जो मूल रूप से जम्मू-कश्मीर कैडर के थे। वर्ष 2019 में जम्मू-कश्मीर के केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद वे अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिज़ोरम और केंद्रशासित प्रदेश (AGMUT) कैडर के सदस्य बन गए।
- अगस्त 2025 में उन्होंने विधि एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग के सचिव पद से सेवानिवृत्ति ली। अपने कार्यकाल के दौरान गोयल ने गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय में भी महत्वपूर्ण सेवाएँ दीं।
- वे अगस्त 2025 में विधि एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग के सचिव पद से सेवानिवृत्त हुए।
- अपने करियर के दौरान उन्होंने ने गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय में भी अपनी सेवाएँ दी थीं।
- सूचना आयुक्तों की नियुक्ति: ववर्तमान में आनंदी रामलिंगम और विनोद कुमार तिवारी सूचना आयुक्त (IC) के पद पर कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त, जया वर्मा सिन्हा, स्वागत दास, संजीव कुमार जिंदल, सुरेंद्र सिंह मीना तथा खुशवंत सिंह सेठी को सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्ति हेतु अनुशंसित किया गया है।
केंद्रीय सूचना आयोग
- स्थापना: इसकी स्थापना RTI अधिनियम, 2005 के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय (संवैधानिक निकाय नहीं) के रूप में की गई थी।
- संरचना: इस अधिनियम के अनुसार केंद्रीय सूचना आयोग में एक मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) तथा अधिकतम 10 केंद्रीय सूचना आयुक्त हो सकते हैं।
- नियुक्ति: सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाती है, जिसमें निम्नलिखित शामिल होते हैं:
- प्रधानमंत्री (अध्यक्ष)।
- लोकसभा में विपक्ष के नेता
- प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री।
- पात्रता और छूट: विधि, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, समाज सेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता या शासन में अनुभव वाले प्रतिष्ठित व्यक्ति।
- सांसद, विधायक नहीं होना चाहिये, या किसी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिये।
- किसी राजनीतिक दल से संबद्धता, व्यवसाय या पेशेवर गतिविधि की अनुमति नहीं होती।
- ये पुनर्नियुक्ति के पात्र नहीं हैं।
- CIC की शक्तियाँ: गवाहों को बुलाना, दस्तावेज़ों का निरीक्षण करना, सार्वजनिक अभिलेखों की मांग करना तथा जाँच के लिये समन जारी करना।
- कार्य: इसकी प्राथमिक भूमिका RTI अधिनियम, 2005 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना और नागरिकों के सूचना के अधिकार को बनाए रखना है।
- यह न्यायालय केंद्र सरकार और केंद्रशासित प्रदेशों के कार्यालयों, वित्तीय संस्थानों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों तथा अन्य संस्थाओं से संबंधित मामलों का समाधान करता है।
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