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स्टेट पी.सी.एस.

  • 31 May 2025
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उत्तर प्रदेश Switch to English

वीरता पुरस्कार 2025

चर्चा में क्यों?

भारत के राष्ट्रपति ने 76वें गणतंत्र दिवस 2025 की पूर्व संध्या पर घोषित वीरता पुरस्कारों के तहत सशस्त्र बलों, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों तथा राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों की पुलिस कर्मियों को 6 कीर्ति चक्र (4 मरणोपरांत) और 33 शौर्य चक्र (7 मरणोपरांत) प्रदान किये गए।

मुख्य बिंदु

वीरता पुरस्कारों के बारे में: 

  • ये पुरस्कार कार्मिकों को कर्त्तव्य के दौरान अदम्य साहस, अद्वितीय बहादुरी तथा व्यक्तिगत सुरक्षा की पूर्ण उपेक्षा के लिये दिये जाते हैं।
  • इन वीरता पुरस्कारों की घोषणा वर्ष में दो बार की जाती है, पहले गणतंत्र दिवस के अवसर पर और फिर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर।

प्रकार:

  • शत्रु के विरुद्ध कार्रवाई संबंधी वीरता पुरस्कार: 
    • परमवीर चक्र (PVC): इसके अग्रभाग पर "इंद्र के वज्र" की चार प्रतिकृतियाँ उभरी होती हैं तथा मध्य में राज्य चिह्न उभरा होता है।
      • यह पुरस्कार शत्रु की उपस्थिति में सर्वाधिक विशिष्ट बहादुरी या किसी साहसिक या वीरता या आत्म-बलिदान के उत्कृष्ट कार्य के लिये दिया जाता है।
    • महावीर चक्र (MVC): इसका अग्रभाग एक पाँच नुकीले हेराल्डिक सितारे से युक्त होता है, जिसकी नोकें बाहरी किनारे को स्पर्श करती हैं। सितारे के केंद्र में उभरा हुआ स्वर्ण जड़ित राज्य प्रतीक होता है। 
      • यह पुरस्कार शत्रु की उपस्थिति में वीरता के कार्यों के लिये प्रदान किया जाता है।
    • वीर चक्र: इस सितारे के केंद्र में एक चक्र होता है तथा चक्र के अंदर एक गुंबदाकार केंद्रबिंदु होता है, जिस पर स्वर्ण-जड़ित राज्य चिह्न अंकित रहता है।
      • यह पुरस्कार भूमि, समुद्र या वायु में दुश्मन की मौजूदगी में वीरतापूर्ण कार्यों के लिये दिया जाता है। यह सम्मान मरणोपरांत भी दिया जा सकता है।
  • शत्रु के विरुद्ध कार्रवाई के अलावा अन्य वीरता पुरस्कार:
    • पदक: इसमें अशोक चक्र, कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र शामिल हैं, पदक के अग्रभाग (सामने वाले हिस्से) के केंद्र में संबंधित चक्र की एक आकृति उत्कीर्णित होती है, जो कमल की एक माला से आबद्ध होती है। 

    • किनारे के साथ-साथ, आंतरिक भाग में कमल के पत्तों, फूलों और कलियों का पैटर्न होता है।

    • इसके पृष्ठ भाग पर हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों में संबंधित शब्द उत्कीर्णित होते हैं तथा दोनों संस्करण दो कमल के फूलों से पृथक होते हैं।

पुरस्कार का वरीयता क्रम: 

  • परमवीर चक्र
  • अशोक चक्र
  • महावीर चक्र
  • कीर्ति चक्र
  • वीर चक्र
  • शौर्य चक्र

पात्रता:

  • परमवीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र: नौसेना, सेना, वायु सेना, रिज़र्व एवं टेरिटोरियल बलों के सभी रैंक के सदस्य, जिनमें चिकित्सा और नर्सिंग कर्मचारी तथा उनके निर्देशन में कार्यरत नागरिक भी शामिल हैं।
  • अशोक चक्र, कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र: सशस्त्र बलों, रिज़र्व और टेरिटोरियल बलों, नर्सिंग सेवाओं, पुलिस, केंद्रीय अर्द्ध-सैनिक बलों, रेलवे सुरक्षा बल के सभी रैंक के सदस्य तथा सामान्य नागरिक।

नोट: ऐसी ही बहादुरी के प्रत्येक आगामी कार्य के लिये प्राप्तकर्त्ता को 'चक्र' के साथ 'पट्टी' लगाकर सम्मानित किया जाता है। 

  • इसके अलावा, अतिरिक्त बहादुरी के लिये ‘चक्र’ और 'पट्टी' दोनों को मरणोपरांत प्रदान किया जा सकता है।


उत्तर प्रदेश Switch to English

पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि

चर्चा में क्यों?

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि 27 मई 2025 को मनाई गई। उन्हें आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में याद किया जाता है।

मुख्य बिंदु

जवाहरलाल नेहरू के बारे में: 

  • प्रारंभिक जीवन: 
    • उनका जन्म 14 नवंबर 1889 को प्रयागराज में हुआ। वर्ष 1912 में बाँकीपुर (पटना) में एक प्रतिनिधि के रूप में अपने पहले कॉन्ग्रेस सत्र में भाग लिया और वर्ष 1916 में एनी बेसेंट की होम रूल लीग में शामिल हो गए, वर्ष 1919 में उन्हें इस लीग का इलाहाबाद सचिव चुना गया।
  • स्वतंत्रता संग्राम में योगदान: 
    • वे वर्ष 1929 के लाहौर अधिवेशन में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष चुने गए, जिसमें पूर्ण स्वतंत्रता के लिये ऐतिहासिक पूर्ण स्वराज प्रस्ताव पारित किया गया और बाद में उन्होंने समाजवाद को बढ़ावा देते हुए वर्ष 1936 के लखनऊ एवं वर्ष 1937 के फैजपुर अधिवेशनों की अध्यक्षता की।
      • उन्होंने मौलिक अधिकार और आर्थिक नीति (वर्ष 1929-31) का मसौदा तैयार किया, जिसे सरदार पटेल के तहत वर्ष 1931 के कराची अधिवेशन में अपनाया गया एवं भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) के सैनिकों के लिये कानूनी सुरक्षा प्रदान करने का समर्थन किया। 
      • उन्होंने वर्ष 1946 में अंतरिम सरकार का नेतृत्व किया।
    • स्वतंत्रता के बाद: वर्ष 1953 में, उन्होंने राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया, पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया और गुटनिरपेक्ष आंदोलन का नेतृत्व किया। 
  • पुरस्कार: 
    • उन्हें भारत रत्न (वर्ष 1955) और विश्व शांति परिषद पुरस्कार (मरणोपरांत, 1970) से सम्मानित किया गया।
  • साहित्यिक योगदान: 
    • भारत की खोज एक आत्मकथा, विश्व इतिहास की झलकियाँ और एक पिता के अपनी पुत्री को पत्र।


हरियाणा Switch to English

इंडियन ग्रे वुल्फ

चर्चा में क्यों?

इंडियन ग्रे वुल्फ (कैनिस लूपस पैलिप्स) हाल ही में दिल्ली में यमुना के बाढ़ के मैदानों के पास देखा गया, जो 1940 के दशक के बाद पहली बार दर्ज किया गया दृश्य है।

  • इसे दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के त्रि-जंक्शन पर यमुना नदी के तट पर स्थित पल्ला गाँव में देखा गया।

मुख्य बिंदु

  • भारतीय ग्रे वुल्फ के बारे में: 
    • भारतीय ग्रे वुल्फ, ग्रे वुल्फ की एक उप-प्रजाति है जो भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण-पश्चिम एशिया में पाई जाती है।
    • यह रात्रिचर तथा एक शीर्ष शिकारी है, जो छोटे समूहों में शिकार करता है तथा अन्य भेड़िया उप-प्रजातियों की तुलना में कम मुखर होता है।
  • आकृति:
    • कैनिडे परिवार के इस मांसाहारी वुल्फ की लंबाई में नर में 100-130 सेमी और मादा में 87-117 सेमी होती है।
    • यह आकार में तिब्बती और अरब भेड़ियों के बीच का होता है तथा इसकी खाल मोटी नहीं होती, जिससे यह गर्म जलवायु में स्वयं को आसानी से अनुकूलित कर लेता है।
  • आवास एवं वितरण: 
    • इसकी उपस्थिति पश्चिम में इज़रायल से लेकर पूर्व में भारतीय उपमहाद्वीप तक फैली है। यह मुख्यतः झाड़ीनुमा भू-भागों, घास के मैदानों, पशुपालन आधारित कृषि-तंत्रों और अर्ध-शुष्क कृषि-तंत्रों में पाया जाता है।
    • महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में इनका अस्तित्व पाया जाता है।
  • संरक्षण की स्थिति: 

बांकापुर भेड़िया अभयारण्य

  • यह कर्नाटक में स्थित है और यह झारखंड में महुआदानर भेड़िया अभयारण्य (1976 में स्थापित) के बाद भारत का दूसरा संरक्षित क्षेत्र है, जो पूरी तरह से भेड़ियों को समर्पित है।
  • यह 332 हेक्टेयर में फैला हुआ है और इसमें झाड़ीदार जंगल, पहाड़ियाँ तथा भेड़ियों के निवास के लिये उपयुक्त प्राकृतिक गुफाएँ हैं। 


मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सरपंच की वित्तीय शक्तियाँ वापस लेने का निर्णय बरकरार रखा

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने हाल ही में भ्रष्टाचार के आरोप में ग्राम पंचायत के सरपंच की वित्तीय शक्तियाँ वापस लेने के ज़िला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) के निर्णय को बरकरार रखा है।

  • यह कार्रवाई सरपंच के खिलाफ रिश्वत मांगने के आरोप में लोकायुक्त द्वारा मामला दर्ज किये जाने के बाद की गई।

मुख्य बिंदु

  • मामले से संबंधित तर्क:
    • सरपंच ने आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि CEO ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कार्य किया है, क्योंकि कोई विशिष्ट प्रावधान केवल आपराधिक मामला दर्ज होने पर वित्तीय शक्तियों को वापस लेने की अनुमति नहीं देता है।
  • उच्च न्यायालय का निर्णय:
    • उच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश पंचायत (CEO की शक्तियाँ एवं कार्य) नियम, 1985 का संदर्भ दिया।
    • न्यायालय ने कहा कि CEO के पास पंचायतों पर पर्यवेक्षण और नियंत्रण की शक्तियाँ हैं, जिसमें आवंटित धन का उचित उपयोग सुनिश्चित करना भी शामिल है।
    • भ्रष्टाचार के आरोपों पर पंचायत प्रतिनिधि की वित्तीय शक्तियाँ वापस लेना CEO के अधिकार क्षेत्र में आता है।
    • परिणामस्वरूप, उच्च न्यायालय ने सरपंच द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी।
  • कानूनी एवं प्रशासनिक निहितार्थ:
    • पंचायत प्रशासन में CEO की भूमिका: इस निर्णय में ज़िला पंचायत के CEO की शक्तियों की सीमा को स्पष्ट किया गया है तथा पंचायत गतिविधियों पर पर्यवेक्षी भूमिका और सार्वजनिक धन की सुरक्षा पर प्रकाश डाला गया है।
    • भ्रष्टाचार के विरुद्ध जाँच: यह निर्णय आपराधिक मामलों में अंतिम निर्णय से पहले ही समय पर हस्तक्षेप की अनुमति देकर ज़मीनी स्तर पर भ्रष्टाचार के विरुद्ध प्रशासनिक जाँच को सशक्त करता है।
    • उचित प्रक्रिया और प्रशासनिक कार्रवाई के बीच संतुलन: जब तक आपराधिक मामला लंबित है, प्रशासनिक प्राधिकारियों को धन के दुरुपयोग से बचने के लिये निवारक उपाय करने का अधिकार है, जो कानूनी उचित प्रक्रिया और शासन जवाबदेही के बीच संतुलन को दर्शाता है।

पंचायती राज संस्थाओं (PRI) का शासन 

  • स्थानीय शासन राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है तथा पंचायती राज संस्थाएँ संबंधित राज्य पंचायती राज अधिनियमों के अनुसार कार्य करती हैं। 
  • 73वें संविधान संशोधन अधिनियम (1992) ने त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली की स्थापना की और महिलाओं के लिये 1/3 आरक्षण अनिवार्य किया, जिसे बाद में 21 राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों में बढ़ाकर 50% कर दिया गया। 
  • अनुच्छेद 243D पंचायती राज संस्थाओं में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण का प्रावधान करता है। 
  • संविधान का अनुच्छेद 40, जो राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत है, राज्य को ग्राम पंचायतों की स्थापना करने तथा उन्हें स्वशासी इकाइयों के रूप में कार्य करने के लिये आवश्यक शक्तियाँ और प्राधिकार प्रदान करने का अधिकार देता है।
  • अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत विस्तार (पेसा) अधिनियम, 1996, अनुसूचित क्षेत्रों में ग्रामसभाओं को प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन और जनजातीय संस्कृति और आजीविका की रक्षा के लिये विशेष शक्तियाँ प्रदान करता है। 


उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश में सेमीकंडक्टर यूनिट

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश के जेवर में 3,700 करोड़ रुपए की डिस्प्ले ड्राइवर चिप निर्माण इकाई स्थापित करने को मंजूरी दी है।

  • यह परियोजना इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के पहले चरण के अंतर्गत स्वीकृत की गई छठी सेमीकंडक्टर निर्माण इकाई है।

मुख्य बिंदु

  • परियोजना विवरण:
    • यह इकाई भारतीय कंपनी HCL और ताइवानी इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण क्षेत्र की दिग्गज कंपनी Foxconn के बीच एक संयुक्त उपक्रम है।
    • जेवर संयंत्र में व्यावसायिक उत्पादन वर्ष 2027 तक शुरू होने की संभावना है, जिसके लिये तेज़ी से निर्माण और विकास की आवश्यकता होगी।
    • इस संयंत्र में उत्पादित चिप्स का उपयोग लैपटॉप, पर्सनल कंप्यूटर, स्मार्टफोन और ऑटोमोबाइल्स में किया जाएगा।
  • सामरिक महत्त्व:
    • यह उत्तर प्रदेश का पहला सेमीकंडक्टर विनिर्माण संयंत्र है, जो तेज़ी से विकसित हो रहे औद्योगिक क्षेत्र जेवर में स्थित है।
      • उत्तर प्रदेश सरकार ने इसके समर्थन में UP सेमीकंडक्टर नीति-2024 की शुरुआत की है। 
      • यह महत्त्वाकांक्षी नीति, राज्य में स्थानीय सेमीकंडक्टर निर्माण को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ भारत को महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में रणनीतिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
    • यह संयंत्र भारत की डिस्प्ले और इलेक्ट्रॉनिक्स वैल्यू चेन में मौजूद एक महत्त्वपूर्ण रिक्ति को भरने में सहायक होगा।
    • संयंत्र के चालू होने के बाद, भारत में एक डिस्प्ले पैनल निर्माण संयंत्र की स्थापना की भी संभावना है, जिससे देश की लगभग 40% डिस्प्ले आवश्यकता पूरी की जा सकेगी।
  • परियोजना का महत्त्व:
    • मेक इन इंडिया और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण को बढ़ावा: यह परियोजना भारत के सेमीकंडक्टर निर्माण में आत्मनिर्भर बनने के लक्ष्य के अनुरूप है, जो प्रौद्योगिकीय संप्रभुता और आर्थिक विकास के लिये आवश्यक है।
    • रोज़गार और औद्योगिक विकास: यह इकाई उत्तर प्रदेश में औद्योगिक गतिविधियों को गति देगी, रोज़गार के अवसर उत्पन्न करेगी और सहायक उद्योगों को आकर्षित करेगी।
    • आयात पर निर्भरता में कमी: घरेलू स्तर पर चिप निर्माण की वृद्धि से आयात पर निर्भरता घटेगी और भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स आपूर्ति शृंखला की मज़बूती सुनिश्चित होगी।

भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM)

  • ISM को इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) के तत्वावधान में 76,000 करोड़ रुपए के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ वर्ष 2021 में शुरू किया गया था।
  • यह देश में टिकाऊ सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिये व्यापक कार्यक्रम का हिस्सा है।
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य सेमीकंडक्टर, डिस्प्ले विनिर्माण और डिज़ाइन पारिस्थितिकी तंत्र में निवेश करने वाली कंपनियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
  • सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले उद्योग के वैश्विक विशेषज्ञों के नेतृत्व में ISM योजनाओं के कुशल, सुसंगत और सुचारू कार्यान्वयन के लिये नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगा।


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