हरियाणा Switch to English
प्रत्यक्ष स्टांप ड्यूटी लाभ
चर्चा में क्यों?
हरियाणा सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) की वित्तीय क्षमता को सुदृढ़ करने के लिये कुल स्टांप शुल्क राजस्व का 1% भाग आवंटित करने का निर्णय लिया है।
मुख्य बिंदु
- स्टांप ड्यूटी के बारे में:
- स्टांप शुल्क भारत में राज्य सरकारों द्वारा संपत्ति के लेन-देन पर लगाया जाने वाला कर है, जो भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 द्वारा शासित होता है।
- स्टांप शुल्क की दरें राज्य के अनुसार अलग-अलग होती हैं और यह कानूनी दस्तावेज़ो तथा संपत्ति स्वामित्व के पंजीकरण प्रक्रिया का एक अनिवार्य भाग है।
- पंचायती राज संस्था (PRI):
- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के तहत पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया, जिससे पूरे देश में एक समान त्रिस्तरीय संरचना लागू हुई।
- इसने नियमित चुनाव, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं के लिये सीटों का आरक्षण अनिवार्य कर दिया तथा ज़मीनी स्तर पर शासन को मज़बूत करने के लिये धन, कार्यों और पदाधिकारियों के विकेंद्रीकरण को बढ़ावा दिया।
- अधिकांश राज्यों में पंचायतों की त्रिस्तरीय संरचना अपनाई जाती है— ग्रामसभा (गाँव या छोटे गाँवों का समूह), पंचायत समिति (खंड परिषद) तथा ज़िला परिषद (ज़िला स्तर पर)।
- भारत के संविधान का अनुच्छेद 243G राज्य विधानसभाओं को पंचायतों को स्व-सरकारी संस्थानों के रूप में कार्य करने का अधिकार और शक्तियाँ प्रदान करने की शक्ति प्रदान करता है।
- पंचायतों के वित्तीय सशक्तिकरण के लिये संवैधानिक प्रावधान:
- अनुच्छेद 243H राज्य विधानसभाओं को पंचायतों को कर, शुल्क तथा टोल लगाने, एकत्र करने और उपयोग करने की अनुमति देने का अधिकार देता है।
- अनुच्छेद 280(3)(bb) के अनुसार, केंद्रीय वित्त आयोग को राज्य वित्त आयोग की सलाह के आधार पर पंचायतों के लिये पूरक निधि आवंटन की सिफारिश करनी होती है।
- अनुच्छेद 243-I के तहत पंचायतों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करने तथा कर वितरण, संसाधन सुधार और अन्य संबंधित वित्तीय मामलों पर सुझाव देने के लिये प्रत्येक 5 वर्ष में एक राज्य वित्त आयोग का गठन अनिवार्य है।
- पंचायती राज मंत्रालय, पंचायती राज तथा पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित सभी मामलों को देखता है। इसकी स्थापना मई 2004 में की गई थी।
- PRIs की वित्तीय स्वायत्तता को सुदृढ़ करने की दिशा में प्रयास:
- राज्य सरकार के इस निर्णय का उद्देश्य ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों और ज़िला परिषदों को वित्तीय रूप से सशक्त बनाना है, जिससे उन्हें स्थानीय विकास कार्यों की योजना बनाने और क्रियान्वयन में अधिक स्वायत्तता मिल सके।
- इस योजना के तहत सरकार पंचायती राज संस्थाओं को 572 करोड़ रुपए हस्तांतरित करने की योजना बना रही है।
- राजस्व वितरण संरचना:
- सरकार कुल स्टांप ड्यूटी राजस्व का 1% पंचायती राज संस्थाओं को हस्तांतरित करेगी, जो निम्नानुसार वितरित किया जाएगा:
- 0.5% ग्राम पंचायतों को
- 0.25% पंचायत समितियों को
- 0.25% ज़िला परिषदों को
- सरकार कुल स्टांप ड्यूटी राजस्व का 1% पंचायती राज संस्थाओं को हस्तांतरित करेगी, जो निम्नानुसार वितरित किया जाएगा:
- पंचायतों को सशक्त बनाने के लिये पूर्व में उठाए गए कदम:
- सरकार पहले ही अंतर-ज़िला परिषदों की स्थापना कर चुकी है तथा पंचायतों को प्रत्यक्ष रूप से निधियों के हस्तांतरण की व्यवस्था लागू कर चुकी है।
- इन उपायों के माध्यम से PRIs को विभागीय कार्यों को स्वतंत्र रूप से संचालित करने की क्षमता प्राप्त होती है, जिससे स्थानीय शासन व्यवस्था और अधिक प्रभावी बनती है।

