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मध्य प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 25 Oct 2025
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मध्य प्रदेश मंत्रिपरिषद ने प्रमुख परियोजनाओं को मंज़ूरी प्रदान की

चर्चा में क्यों?

मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में मध्य प्रदेश मंत्रिपरिषद ने कई महत्त्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों को मंज़ूरी प्रदान की है, जिनमें शून्य-ब्याज वाली कृषि ऋण योजना की निरंतरता, ज़िला अस्पतालों का विस्तार, नए एक्सप्रेस-वे का शुभारंभ और वर्ष 2025-30 के लिये संधारणीय विकास लक्ष्यों (SDG) मूल्यांकन योजना का कार्यान्वयन शामिल है।

मुख्य बिंदु

  • शून्य-ब्याज वाली कृषि ऋण योजना:
    • मंत्रिपरिषद ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिये प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों (PACS) के माध्यम से 0% ब्याज पर अल्पकालीन कृषि ऋण योजना को जारी रखने की मंज़ूरी दी है।
      • यह योजना वर्ष 2012-13 से संचालित है, किसानों का ऋण बोझ कम करने और कृषि उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से बनाई गई है। 
    • जो किसान ₹3 लाख तक का ऋण लेते हैं और उसे नियत तिथि तक चुका देते हैं, उनसे कोई ब्याज नहीं लिया जाएगा।
  • सड़क अवसंरचना:
    • महत्त्वपूर्ण अवसंरचना पहल के तहत, मध्य प्रदेश अगले चार वर्षों (2024-28) में 3,368 किमी. एक्सप्रेस-वे ₹36,483 करोड़ की लागत से विकसित करने जा रहा है।
    • ये एक्सप्रेस-वे शहरी केंद्रों को दूर-दराज़ के क्षेत्रों से जोड़ने, व्यापार, लॉजिस्टिक्स और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने तथा पूरे राज्य में निर्बाध कनेक्टिविटी/संपर्क प्रदान करने का उद्देश्य रखते हैं।
    • सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा अधिसूचित इन परियोजनाओं को दिसंबर, 2027 और दिसंबर, 2028 के बीच पूरा किये जाने की संभावना है।
    • प्रस्तावित एक्सप्रेस-वे:
      • नर्मदा प्रगति पथ (Narmada Pragati Path)
      • विंध्य एक्सप्रेस-वे (Vindhya Expressway)
      • मालवा-निमाड़ विकास पथ (Malwa-Nimar Vikas Path)
      • अटल प्रगति पथ (Atal Pragati Path)
      • बुंदेलखंड विकास पथ (Bundelkhand Vikas Path)
      • मध्य भारत विकास पथ (Madhya Bharat Vikas Path)
  • SDG मूल्यांकन योजना 2025-30:
    • कैबिनेट ने राज्य, ज़िला और ब्लॉक लेवल पर UN सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (SDG) को लागू करने, मॉनिटर करने तथा इवैल्यूएट करने के लिये सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (SDG) असेसमेंट प्लान को मंज़ूरी प्रदान की।
    • कार्यान्वयन को सुगम बनाने हेतु 543 नियमित, 4 संविदात्मक और 263 अतिरिक्त पदों को मंज़ूरी प्रदान की गई है, जिन पर वार्षिक ₹39.50 करोड़ का व्यय होगा।
    • एक डैशबोर्ड-आधारित रैंकिंग प्रणाली के माध्यम से सभी ज़िलों के SDG संकेतकों पर प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाएगा।
    • प्रोत्साहन:
      • पहली रैंक वाला ज़िला: वार्षिक ₹1 करोड़ अनुदान
      • दूसरी  रैंक वाला ज़िला: वार्षिक ₹75 लाख अनुदान
  • ज़िला अस्पतालों का विस्तार:
    • मंत्रिपरिषद ने पाँच ज़िला अस्पतालों- टिकामगढ़, नीमच, सिंगरौली, श्योपुर और डिंडोरी में 800 बिस्तरों के उन्नयन तथा 810 नए पदों के सृजन को मंज़ूरी दी है।
    • इस निर्णय का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की क्षमता को प्रबल करना और अर्द्ध-शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सकीय सेवाओं तक पहुँच बढ़ाना है।
  • न्यायपालिका को सुदृढ़ीकरण:
    • मंत्रिपरिषद ने तहसील मालथौन (सागर ज़िला) के लिये सात नए पदों के सृजन को मंज़ूरी दी है, जिसमें एक सिविल जज और छह सहायक कर्मचारी उच्च न्यायालय रजिस्ट्रार के तहत शामिल हैं।
    • इस कदम का उद्देश्य न्यायिक दक्षता बढ़ा  ना और स्थानीय स्तर पर मुकदमे की लंबित संख्या को कम करना है।

राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English

अंतर्राष्ट्रीय स्नो लेपर्ड दिवस और ‘#23for23’ पहल

चर्चा में क्यों?

भारत ने 23 अक्तूबर, 2025 को अंतर्राष्ट्रीय स्नो लेपर्ड दिवस मनाया, जिसमें ‘#23for23’ शीर्षक के तहत एक विशिष्ट राष्ट्रीय अभियान चलाया गया। इस अभियान ने लोगों को 23 मिनट शारीरिक गतिविधि के लिये समर्पित करने हेतु प्रेरित किया, ताकि स्नो लेपर्ड (हिम तेंदुए) और उनके संवेदनशील उच्च ऊँचाई वाले आवासों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके।

मुख्य बिंदु

  • परिचय: ‘#23for23’ अभियान को वर्ष 2023 के लिये 23 मिनट की सक्रिय भागीदारी का प्रतीक बनाकर शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य वन्यजीव संरक्षण में जागरूकता और सार्वजनिक सहभागिता को बढ़ावा देना है।
    • यह अभियान ग्लोबल स्नो लेपर्ड और ईकोसिस्टम प्रोटेक्शन प्रोग्राम (GSLEP) के अंतर्गत, और स्नो लेपर्ड ट्रस्ट वर्ल्डवाइड के सहयोग से आयोजित किया गया।
  • भारत की संरक्षण उपलब्धियाँ:
    • भारतीय हिमालय में की गई पहली स्नो लेपर्ड गणना में 718 स्नो लेपर्ड पाए गए, जिनमें से 477 लद्दाख में हैं।
    • भारत ने उच्च ऊँचाई पर स्थित हिमालयों के लिये स्नो लेपर्ड को एक फ्लैगशिप (मुख्य) प्रजाति के रूप में चिह्नित किया है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्नो लेपर्ड दिवस: यह दिवस वर्ष 2013 में स्थापित हुआ, जब किर्गिज़स्तान में बिशकेक घोषणा को अपनाने के बाद उन 12 देशों ने, जिनमें स्नो लेपर्ड की आबादी है, संरक्षण प्रयासों में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की
  • स्नो लेपर्ड की मेज़बानी करने वाले देश: अफगानिस्तान, भूटान, चीन, भारत, कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान, मंगोलिया, नेपाल, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान।

स्नो लेपर्ड (Panthera uncia): तथ्य

  • परिचय: मध्यम आकार की बिल्लियाँ जो अपनी चतुराई के लिये जानी जाती हैं और कठोर, ऊँचाई वाले वातावरण में जीवित रहने की क्षमता रखती हैं।
  • पर्यावास: मध्य और दक्षिण एशिया के पहाड़ों में मूल निवासी, आमतौर पर 9,800 से 17,000 फीट की ऊँचाई पर पाई जाते हैं।
    • वन्य में लगभग 3,500 से 7,000 स्नो लेपर्ड होने का अनुमान लगाया गया है।
  • विशेषताएँ: मोटे, धूसर-सफेद फर से युक्त, जो बर्फ और चट्टानों के बीच छिपने में सहायता करता है।
  • पारिस्थितिक महत्त्व: ये शीर्ष शिकारी और संकेतक प्रजाति के रूप में कार्य करती हैं, क्योंकि उनकी उपस्थिति उच्च ऊँचाई पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को दर्शाती है।
    • इनके शिकार से गिद्ध और भेड़िये जैसे अपशिष्ट का सेवन करने वाले जीवों को भोजन मिलता है, जिससे अन्य प्रजातियों का समर्थन होता है।


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