उत्तराखंड Switch to English
ज़िला दिव्यांगता पुनर्वास केंद्र
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड ने दिव्यांगजनों को एक ही स्थान पर व्यापक सेवाएँ प्रदान करने के लिये देहरादून के गांधी शताब्दी अस्पताल में अपना पहला आधुनिक, बहुउद्देशीय ज़िला दिव्यांगता पुनर्वास केंद्र (DDRC) शुरू किया।
मुख्य बिंदु
- प्रदान की जाने वाली सेवाएँ: DDRC दिव्यांगता प्रमाण-पत्र, फिजियोथैरेपी, परामर्श, सहायक उपकरण और सरकारी कल्याण योजनाओं तक पहुँच जैसी सेवाएँ प्रदान करता है।
- लाभार्थी सहायता: दिव्यांग व्यक्ति विशिष्ट आईडी , आधार पंजीकरण, मनोवैज्ञानिक परामर्श, कृत्रिम अंग उपकरण, चिकित्सा उपचार और रोज़गार प्रशिक्षण जैसी सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।
- उत्तराखंड की लगभग 20% जनसंख्या किसी न किसी प्रकार की दिव्यांगता से प्रभावित है।
- प्रशासन: यह केंद्रीय समाज कल्याण विभाग की निगरानी में एक नोडल एजेंसी के अधीन कार्य करता है, जिसमें 14 कर्मचारी पद, एक समर्पित परिवहन वाहन और एक हेल्पलाइन शामिल हैं।
- समग्र पुनर्वास: चिकित्सा, सामाजिक, शैक्षिक और मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के बाद सेवाएँ प्रदान की जाती हैं, जिससे व्यापक पुनर्वास सुनिश्चित होता है।
- स्वावलंबन पर ज़ोर: केंद्र लाभार्थियों में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिये व्यावसायिक प्रशिक्षण, पुनर्वास और स्वरोज़गार योजनाओं पर विशेष ध्यान देता है।
- बहु-विषयक टीम: स्टाफ में फिजियोथैरेपिस्ट, भाषण एवं व्यावसायिक चिकित्सक (speech and occupational therapists) और परामर्शदाता शामिल हैं, जो समग्र देखभाल प्रदान करते हैं।
भारत में दिव्यांगजनों की वर्तमान स्थिति
- जनगणना 2011 के अनुसार, भारत में 2.68 करोड़ दिव्यांग व्यक्ति (PWD) हैं, जो कुल जनसंख्या का 2.21% है।
- दिव्यांगता का प्रसार महिलाओं (1.9%) की तुलना में पुरुषों (2.4%) में अधिक है तथा यह शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक है।
- दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत 21 प्रकार की दिव्यांगताओं (disabilities) को मान्यता दी गई है, जिनमें लोकोमोटर दिव्यांगता, दृश्य दिव्यांग, श्रवण दिव्यांग, भाषण और भाषा दिव्यांगता, बौद्धिक दिव्यांगता, बहु-दिव्यांगता, मस्तिष्क पक्षाघात और बौनापन आदि शामिल हैं।
बिहार Switch to English
पीरपैंती थर्मल पावर प्लांट
चर्चा में क्यों?
बिहार में विपक्षी पार्टी ने भागलपुर के पीरपैंती में थर्मल पावर प्लांट स्थापित करने के लिये अडानी समूह को 1,050 एकड़ भूमि मात्र 1 रुपये प्रति वर्ष पट्टे पर देने के राज्य सरकार के निर्णय के विरुद्ध पटना में प्रदर्शन किया।
मुख्य बिंदु
पीरपैंती थर्मल पावर प्लांट परियोजना
- परिचय:
- अडानी पावर लिमिटेड भागलपुर ज़िले के पीरपैंती क्षेत्र में 2,400 मेगावाट (3 अरब अमेरिकी डॉलर) की कोयला आधारित परियोजना पीरपैंती थर्मल पावर प्लांट का विकास कर रही है।
- इस परियोजना में 800 मेगावाट की तीन इकाइयाँ होंगी। निर्माण के दौरान लगभग 10,000 और संचालन शुरू होने के बाद लगभग 3,000 स्थायी रोज़गार सृजित होने की संभावना है।
- परियोजना के विरुद्ध आरोप:
- भूमि पट्टा: 1,050 एकड़ भूमि 33 वर्षों के लिये 1 रुपये प्रति वर्ष की दर से अडानी पावर को पट्टे पर दी गई, जिसे विपक्षी पार्टी ने उपहार बताया।
- पर्यावरणीय प्रभाव: कथित तौर पर 10 लाख वृक्षों को काटा गया, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र को हानि पहुँची।
- कृषि भूमि रूपांतरण: परियोजना स्वीकृति के लिये उपजाऊ कृषि भूमि को कथित तौर पर बंजर के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया गया।
- विद्युत शुल्क: बिहार के निवासियों को लगभग 6 रुपये प्रति यूनिट का भुगतान करना पड़ सकता है, जो महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की दरों से अधिक है।
- सरकारी प्रतिक्रिया:
- अडानी पावर ने यह परियोजना पारदर्शी टैरिफ-आधारित प्रतिस्पर्द्धात्मक निविदा (TBCB) प्रक्रिया के तहत विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 63 के अनुसार प्राप्त की।
- भूमि पहले ही वर्ष 2022 में बिहार राज्य पावर जनरेशन कंपनी (BSPGCL) को 1 रुपये प्रति वर्ष की दर से पट्टे पर दी जा चुकी थी।
- विद्युत् उत्पादन लागत कम करने के लिये निविदा तंत्र में नाममात्र पट्टा दर को शामिल किया गया था, जबकि भूमि का स्वामित्व बिहार के ऊर्जा विभाग के पास बना हुआ है।
बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज 2025:
- अगस्त 2025 में, बिहार कैबिनेट ने बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज 2025 को स्वीकृति दी, जो पात्र निवेशकों को 1 रुपये की प्रतीकात्मक दर पर भूमि आवंटन की अनुमति देता है।
- नीति के अंतर्गत:
- 100 करोड़ रुपये के निवेश और 1,000 रोज़गार के सृजन पर 10 एकड़ निशुल्क भूमि प्राप्त की जा सकेगी।
- 1,000 करोड़ रुपये के निवेश पर 25 एकड़ तक निशुल्क भूमि प्राप्त की जा सकती है।
- फॉर्च्यून 500 कंपनियों को 10 एकड़ निशुल्क भूमि मिलेगी।
- अन्य निवेशकों को बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (BIADA) की भूमि दरों पर 50% की छूट मिलती है।
- यह योजना 31 मार्च, 2026 तक सभी योग्य निवेशकों के लिये खुली है, जिससे 1 रुपये में भूमि हस्तांतरण केवल अडानी तक सीमित नहीं है।
हरियाणा Switch to English
खेल यात्रा पाठ्यपुस्तक
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अनुरूप हरियाणा ने शारीरिक शिक्षा और स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने के लिये सरकारी स्कूलों में कक्षा 6 के शिक्षकों के लिये खेल यात्रा पाठ्यपुस्तक शुरू की है ।
मुख्य बिंदु
- लक्षित समूह: यह विशेष रूप से हरियाणा के सरकारी स्कूलों में कक्षा 6 के शिक्षकों के लिये डिज़ाइन की गई है।
- मुख्य उद्देश्य: शिक्षकों को एक संरचित संसाधन उपलब्ध कराकर शारीरिक शिक्षा को बढ़ाना, ताकि अनौपचारिक खेलों से आगे बढ़कर पाठ्यक्रम आधारित दृष्टिकोण अपनाया जा सके।
- मुख्य विषयवस्तु: पुस्तक गतिशील कौशल, खेल तकनीक (विशेष रूप से खो-खो और हैंडबॉल), योग तथा स्वास्थ्य जागरूकता पर केंद्रित है।
- क्रियान्वयन रणनीति: शिक्षक पहले पुस्तक का अध्ययन करेंगे और फिर छात्रों के साथ पाँच संरचित गतिविधियों का संचालन करेंगे, जिससे एक मानकीकृत शिक्षण प्रक्रिया सुनिश्चित होगी।
- व्यापक उद्देश्य: शारीरिक और मानसिक कल्याण को बढ़ावा देने वाले सहायक वातावरण के निर्माण के माध्यम से समग्र विकास को प्रोत्साहित करना, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 में समग्र शिक्षा के अनुरूप है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020
- परिचय:
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने 34 वर्ष पुरानी NEP (1986) को प्रतिस्थापित किया। इसका उद्देश्य सभी स्तरों पर शिक्षा की गुणवत्ता, समानता और पहुँच में अंतराल को कम करना है।
- डॉ. के. कस्तूरीरंगन समिति की सिफारिशों के आधार पर, यह आधारभूत साक्षरता, समग्र पाठ्यक्रम, बहुभाषी शिक्षा और व्यावसायिक तथा शैक्षणिक मार्गों के एकीकरण को प्राथमिकता देती है।
- मुख्य प्रावधान:
- संरचनात्मक सुधार: 10+2 प्रणाली की जगह 5+3+3+4 प्रणाली अपनाई गई, जो 3–18 वर्ष के बच्चों के लिये उपयुक्त है।
- अनुभवात्मक शिक्षा: इंटर्नशिप, फील्ड विजिट और वास्तविक विश्व परियोजनाओं को बढ़ावा देकर सैद्धांतिक ज्ञान को व्यवहार से जोड़ना।
- शिक्षक प्रशिक्षण: शिक्षकों की उभरती शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये सतत् व्यावसायिक विकास पर ध्यान केंद्रित करना।.
- मुख्य पहलें: पीएम श्री स्कूल, निपुण भारत, परख, निष्ठा आदि।