फ्रीडम सेल | 50% डिस्काउंट | 10 से 14 अगस्त तक  कॉल करें
ध्यान दें:



राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 12 Aug 2025
  • 0 min read
  • Switch Date:  
राजस्थान Switch to English

राजस्थान में पहली लिंग-वर्गीकृत वीर्य प्रयोगशाला

चर्चा में क्यों?

11 अगस्त, 2025 को दुग्ध मंत्री जोराम कुमावत द्वारा राजस्थान में पशुओं के लिये पहली लिंग-वर्गीकृत वीर्य प्रयोगशाला का उद्घाटन बस्सी, जयपुर में किया गया। इसका उद्देश्य राज्य में पशुधन की गुणवत्ता, नस्ल सुधार और दूध उत्पादन को बढ़ाना है।

मुख्य बिंदु

  • प्रयोगशाला के बारे में: 
    • संचालन: यह प्रयोगशाला गुजरात के आनंद स्थित राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ( NDDB) के सहयोग से राजस्थान कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (RCDF) के अधीन संचालित होगी।
      • बस्सी वीर्य स्टेशन के प्रबंधन और संचालन के लिये RCDF, राजस्थान पशुधन विकास बोर्ड (RLDB) तथा NDDB डेयरी सर्विसेज (NDS) द्वारा एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये गए।
    • इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य राजस्थान में कृत्रिम गर्भाधान के लिये पारंपरिक और लिंग-आधारित वीर्य डोज़ के उत्पादन तथा आपूर्ति को बढ़ाना है।
  • उद्देश्य एवं प्रभाव: 
    • प्रयोगशाला का उद्देश्य पशुपालकों को कृत्रिम गर्भाधान के लिये सस्ती, उच्च गुणवत्ता वाले वीर्य की डोज़ उपलब्ध कराकर क्षेत्र में बेहतर दूध उत्पादन के लिये पशु आनुवंशिकी को बढ़ाना है।
  • उत्पादन और मूल्य निर्धारण: 
    • प्रयोगशाला की वार्षिक उत्पादन क्षमता 10 लाख वीर्य डोज़ की है, जिसमें लिंग-वर्गीकृत, स्वदेशी पारंपरिक और आयातित नस्ल के वीर्य के आधार पर अलग-अलग मूल्य निर्धारण होता है तथा अतिरिक्त डोज़ बाजार दरों पर अन्य एजेंसियों को बेची जा सकती है।
  • महत्त्व: 
    • बस्सी वीर्य स्टेशन राजस्थान में एक प्रमुख संसाधन बनने जा रहा है, न केवल वीर्य उत्पादन के लिये बल्कि पशुपालकों के लिये एक शैक्षिक और सहायता केंद्र के रूप में भी, जो इस क्षेत्र में डेयरी उद्योग के आर्थिक तथा पर्यावरणीय लक्ष्यों को आगे बढ़ाएगा।

राजस्थान Switch to English

BSF ने 'ऑपरेशन अलर्ट' शुरू किया

चर्चा में क्यों?

सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने राजस्थान में भारत-पाक सीमा पर ‘ऑपरेशन अलर्ट’ नामक एक सप्ताह तक चलने वाला सुरक्षा अभियान शुरू किया है।

मुख्य बिंदु

  • ऑपरेशन के बारे में: 
    • 11 से 17 अगस्त, 2025 तक चलने वाले इस ऑपरेशन का उद्देश्य भारत के स्वतंत्रता दिवस से पहले सुरक्षा को मज़बूत करना और घुसपैठ के किसी भी प्रयास को रोकना है।
  • उद्देश्य:
    • संवेदनशील क्षेत्रों, विशेषकर श्रीगंगानगर और बीकानेर से लगे क्षेत्रों में निगरानी मज़बूत कर घुसपैठ तथा तस्करी को रोकना।
    • खुफिया रिपोर्टों के अनुसार पाकिस्तान में इंटर-सर्विसेज़ इंटेलिजेंस (ISI) के नेताओं द्वारा संभावित अशांति फैलाने की योजना का जवाब देना।
    • ड्रोन के माध्यम से मादक पदार्थों की तस्करी को रोकना, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ ऐसी गतिविधियाँ होने की संभावना है।
  • शामिल कर्मी: 
    • BSF के सभी शाखाओं के जवान और अधिकारी इस अभियान में भाग ले रहे हैं तथा संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त जवान तैनात किये गए हैं।
    • BSF जागरूकता और सहयोग बढ़ाने के लिये सीमावर्ती निवासियों के साथ संपर्क कार्यक्रम भी आयोजित करेगा।


राजस्थान Switch to English

अरावली हरित विकास परियोजना

चर्चा में क्यों?

राजस्थान सरकार ने अरावली पर्वतमाला के किनारे 19 ज़िलों में 3,700 हेक्टेयर क्षेत्र में पारिस्थितिकी पुनरुद्धार और मरुस्थलीकरण नियंत्रण के उद्देश्य से अरावली हरित विकास परियोजना शुरू की है।

प्रमुख बिंदु

  • परियोजना के बारे में:
    • पाँच वर्षों तक चलने वाली 250 करोड़ रुपए की इस परियोजना का उद्देश्य अरावली पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करना, भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण से निपटना है, जिसमें पहले वर्ष वृक्षारोपण पर तथा अगले वर्ष रखरखाव पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
    • यह परियोजना अरावली ग्रीन वॉल परियोजना के अनुरूप है जिसका उद्देश्य दिल्ली से अहमदाबाद तक अरावली में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण करना है।
  • भौगोलिक लक्ष्य: 
    • यह परियोजना अलवर से सिरोही तक 19 ज़िलों में फैली हुई है, जो लगभग 550 किलोमीटर (राजस्थान में अरावली पर्वतमाला का 80%) क्षेत्र को कवर करती है।
  • निगरानी और निरीक्षण: 
    • इस परियोजना की निगरानी केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वनस्पतियों तथा जीवों की बहाली, भूजल स्तर में परिवर्तन एवं सूक्ष्म जलवायु परिवर्तन जैसे संकेतकों का उपयोग करके की जाएगी।
  • परियोजना लक्ष्य:
    • बिगड़ते अरावली पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली।
    • थार रेगिस्तान से आने वाले रेतीले तूफानों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) तक पहुँचने से रोकना, उत्तर भारत के लिये एक पारिस्थितिक रक्षा तंत्र के रूप में कार्य करेगा।
    • मृदा अपरदन, मरुस्थलीकरण और वनों की कटाई के प्रतिकूल प्रभावों से निपटना।
    • जैवविविधता, भूजल पुनर्भरण और दीर्घकालिक पारिस्थितिक स्थिरता में सुधार करने में मदद करता है।
  • वृक्षारोपण रणनीति:
    • मृदा स्थिरीकरण के लिये देशी और जलवायु-लचीली प्रजातियाँ, जिनमें खेजड़ी (राज्य वृक्ष), बबूल, ढाक, नीम, बेर तथा सेवन व धामन जैसी देशी घासें शामिल हैं।
      विभिन्न जलवायु (सीकर में शुष्क क्षेत्र से लेकर डूंगरपुर और सिरोही में आर्द्र क्षेत्र) के प्रति उनकी अनुकूलन क्षमता के आधार पर प्रजातियों का चयन किया गया।
    • वृक्षारोपण केवल वन भूमि पर किया जाएगा, मानव निवास या अतिक्रमण वाले क्षेत्रों से बचा जाएगा
    • जयपुर और सीकर जैसे शुष्क क्षेत्रों में पौधों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिये सावधानीपूर्वक रखरखाव के साथ दीर्घकालिक स्थिरता पर ज़ोर दिया जाता है।


close
Share Page
images-2
images-2