उत्तर प्रदेश Switch to English
आपदा प्रबंधन को प्रभावी बनाने हेतु UNDP के साथ साझेदारी
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्त कार्यालय ने राज्य में आपदा प्रबंधन को अधिक प्रभावी और वैज्ञानिक बनाने के लिये संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के साथ एक सहयोग ज्ञापन (MoA) पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
मुख्य बिंदु:
सहयोग ज्ञापन (MoA) के बारे में:
- उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यक्रमों को लागू करना, राज्य की संस्थागत क्षमता को सशक्त बनाना तथा एक तकनीकी दृष्टिकोण पर आधारित बहु-स्तरीय आपदा प्रबंधन प्रणाली का विकास करना है।
- यह समग्र आपदा प्रबंधन कार्यक्रम राज्य को एक मज़बूत जोखिम न्यूनीकरण ढाँचे से सुसज्जित करेगा और संभावित आपदाओं के प्रति तैयारी को बढ़ाएगा।
- इसके अंतर्गत राज्य में आपदा जोखिम न्यूनीकरण उपायों को लागू किया जाएगा, जिससे एक समावेशी, उत्तरदायी तथा प्रभावी आपदा प्रबंधन प्रणाली का निर्माण सुनिश्चित हो सके।
- कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ:
- उत्तर प्रदेश के सभी 75 ज़िलों तथा 15 प्रमुख राज्य विभागों के लिये आपदा प्रबंधन योजनाओं का निर्माण किया जाएगा।
- 20 प्रमुख नगरों के लिये विस्तृत जोखिम मूल्यांकन एवं असुरक्षा अध्ययन किये जाएंगे तथा इन शहरों के लिये शहरी आपदा प्रबंधन योजनाएँ तैयार की जाएंगी।
- 10 राज्य विभागों के लिये विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (DPRs) तैयार किये जाएंगे।
- तकनीकी सुधार:
- राज्य की आपदा सूचना प्रणाली का एकीकरण करके सशक्त किया जाएगा।
- इसके लिये कार्यशालाओं, ICT उपकरणों की उपलब्धता तथा राहत आयुक्त कार्यालय में परियोजना प्रबंधन इकाई (PMU) की स्थापना की जाएगी ताकि समन्वय प्रभावी ढंग से सुनिश्चित हो सके।
- बजट और कार्यान्वयन:
- उत्तर प्रदेश सरकार ने आगामी तीन वर्षों के लिये इस कार्यक्रम के चरणबद्ध क्रियान्वयन हेतु 19.99 करोड़ रुपए के बजट को मंज़ूरी दी है।
- कार्यक्रम का कार्यान्वयन UNDP के तकनीकी प्रस्तावों के अनुसार किया जाएगा तथा इसे राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की सिफारिशों के अनुरूप संरेखित किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के बारे में
- परिचय:
- यह संयुक्त राष्ट्र का वैश्विक विकास नेटवर्क है, जो परिवर्तन का समर्थन करता है और लोगों को बेहतर जीवन बनाने में मदद करने के लिये देशों को ज्ञान, अनुभव तथा संसाधनों से जोड़ता है।
- स्थापना एवं मुख्यालय:
- UNDP की स्थापना वर्ष 1965 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आधिकारिक रूप से की गई थी।
- इसका गठन संयुक्त राष्ट्र विस्तारित तकनीकी सहायता कार्यक्रम (1949) और संयुक्त राष्ट्र विशेष कोष (1958) को मिलाकर किया गया था।
- इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क शहर में है, लेकिन यह मुख्य रूप से लगभग 170 देशों और क्षेत्रों में स्थित अपने कार्यालयों के माध्यम से कार्य करता है।
- वैश्विक उपस्थिति एवं कार्य पद्धति:
- यह लगभग 170 देशों और क्षेत्रों में ज़मीनी स्तर पर कार्य करता है, जहाँ यह विकास संबंधी चुनौतियों के लिये स्थानीय समाधानों को समर्थन प्रदान करता है तथा ऐसी राष्ट्रीय तथा स्थानीय क्षमताओं का निर्माण करता है, जो उन्हें मानव विकास व सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में सक्षम बनाएँ।
- मुख्य कार्यक्षेत्र: UNDP का कार्य तीन प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है:
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नमस्ते दिवस
चर्चा में क्यों?
‘नेशनल एक्शन फॉर मेकनाइज़्ड सैनीटेशन इकोसिस्टम (NAMASTE) दिवस’ (16 जुलाई) के अवसर पर, केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री ने लखनऊ में कचरा बीनने वालों के लिये हेल्पलाइन (14473) का उद्घाटन किया, साथ ही सीवर और सेप्टिक टैंक श्रमिकों (SSWs) तथा कचरा बीनने वालों को PPE किट एवं आयुष्मान कार्ड वितरित किये।
मुख्य बिंदु
नमस्ते योजना के बारे में:
- नमस्ते योजना सरकार द्वारा एक मानव-केंद्रित पहल है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी सफाई कर्मचारी को सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई जैसे खतरनाक मैनुअल काम में शामिल न होना पड़े।
- इस योजना का उद्देश्य सीवर और सेप्टिक टैंक श्रमिकों (SSWs) की कार्य स्थितियों में सुधार लाना तथा विभिन्न सहायता उपायों के माध्यम से उनके कल्याण को बढ़ावा देना है।
- कार्यान्वयन और अवधि:
- सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा आवास एवं शहरी मामलों के केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा संयुक्त रूप से शुरू की गई इस योजना का कार्यान्वयन राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम (NSKFDC) द्वारा किया जा रहा है।
- 349.73 करोड़ रुपए के बजट वाली यह योजना वित्त वर्ष 2023-24 से 2025-26 तक चलेगी और देश के 4800 से अधिक शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) को कवर करेगी।
- यह योजना हाथ से मैला ढोने वालों के पुनर्वास की स्वरोज़गार योजना (SRMS) का स्थान लेती है।
- सीवर और सेप्टिक टैंक श्रमिकों (SSWs) के लिये प्रमुख अधिकार:
- यह योजना SSWs के लिये उनकी सुरक्षा, कल्याण और स्थायी आजीविका सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न अधिकार प्रदान करती है:
- डिजिटल प्रोफाइलिंग के माध्यम से कर्मियों की पहचान की जा रही है।
- कार्य के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) किट का प्रावधान।
- आवश्यक सुरक्षा उपकरणों और संसाधनों तक पहुँच सुनिश्चित करना।
- श्रमिकों की सुरक्षा और कौशल बढ़ाने के लिये प्रशिक्षण प्रदान करना।
- SSWs के लिये व्यापक स्वास्थ्य बीमा सुनिश्चित करना।
- इस योजना का उद्देश्य सीवर और सेप्टिक टैंक श्रमिकों (SSW) के लिये आजीविका के अवसर भी सृजित करना है:
- जिसके तहत स्वच्छता से संबंधित वाहन और मशीनें रियायती दरों पर उपलब्ध कराई जा रही हैं तथा SSWs को क्षमता निर्माण पहलों द्वारा अपने स्वयं के स्वच्छता व्यवसाय शुरू करने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है।
- यह योजना SSWs के लिये उनकी सुरक्षा, कल्याण और स्थायी आजीविका सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न अधिकार प्रदान करती है:
मैनुअल स्कैवेंजिंग:
- मैनुअल स्कैवेंजिंग (Manual Scavenging) या हाथ से मैला ढोने को "सार्वजनिक सड़कों और सूखे शौचालयों से मानव मल को हटाने, सेप्टिक टैंक, नालियों एवं सीवर की सफाई" के रूप में परिभाषित किया गया है।
- मैनुअल स्कैवेंजर वह व्यक्ति होता है, जिसे अस्वास्थ्यकर शौचालयों, खुली नालियों, गड्ढों या रेलवे पटरियों से मानव मल को पूरी तरह से सड़ने से पहले हाथ से साफ करने, ले जाने या संभालने के लिये नियुक्त किया जाता है, जैसा कि 'मैनुअल स्कैवेंजर के रूप में रोज़गार का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम (PEMSR), 2013' में परिभाषित किया गया है।
- भारत ने PEMSR अधिनियम, 2013 के तहत इस प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया है, जो मैनुअल स्कैवेंजिंग को एक "अमानवीय प्रथा" मानता है और इसका उद्देश्य मैनुअल स्कैवेंजरों द्वारा सहन किये गए ऐतिहासिक अन्यायों को दूर करना है।
- सरकारी पहल और योजनाएँ:
- सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज
- स्वच्छता अभियान ऐप
- राष्ट्रीय गरिमा अभियान
- राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग
- स्वच्छता उद्यमी योजना
- पूर्व शिक्षा की मान्यता (RPL)
- स्वच्छ भारत मिशन 2.0