राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
प्रणब मुखर्जी की जयंती
चर्चा में क्यों?
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने 11 दिसंबर 2025 को राष्ट्रपति भवन में भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की जयंती पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की।
प्रमुख बिंदु
- प्रारंभिक जीवन: उनका जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के मिराती में हुआ था। वे एक स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र थे और भारत की स्वतंत्रता में अपने पिता के योगदान से प्रेरित थे।
- शिक्षा और करियर: उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से इतिहास, राजनीति विज्ञान और कानून में डिग्री प्राप्त की और वर्ष 1969 में राजनीति में प्रवेश करने से पूर्व एक कॉलेज शिक्षक तथा पत्रकार के रूप में कार्य किया।
- राजनीतिक अनुभव: उन्होंने विदेश, रक्षा, वाणिज्य और वित्तमंत्री सहित विभिन्न उच्च पदों पर कार्य किया जिसके साथ ही वे संसद के दोनों सदनों के लिये कई बार निर्वाचित भी हुए।
- प्रमुख योगदान: उन्होंने वर्ष 2004 से 2012 तक अपने कार्यकाल के दौरान प्रशासनिक सुधारों, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, UIDAI, मेट्रो रेल और अन्य संबंधित नीतिगत निर्णयों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- कूटनीतिक भूमिका: उन्होंने IMF, विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र महासभा और राष्ट्रमंडल सम्मेलन जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया।
- राष्ट्रपति पद: पाँच दशकों से अधिक के विशिष्ट राजनीतिक करियर के बाद, वे 25 जुलाई 2012 को भारत के 13वें राष्ट्रपति बने।
- पुरस्कार: उन्हें कई पुरस्कार प्राप्त हुए, जिनमें वर्ष 2008 में पद्म विभूषण, सर्वश्रेष्ठ सांसद पुरस्कार, 1997 और कई अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट शामिल हैं।
- प्रकाशन एवं मान्यता: एक विपुल लेखक के रूप में, उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था और राष्ट्र निर्माण पर व्यापक रूप से लेखन किया और उन्हें वर्ष 1984 और 2010 में विश्व के सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्रियों में से एक के रूप में मान्यता दी गई।
उत्तर प्रदेश Switch to English
दीपावली यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल
चर्चा में क्यों?
दीपावली, प्रकाश पर्व, को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल कर लिया गया है, जैसा कि 8 से 13 दिसंबर 2025 तक नई दिल्ली के लाल किले में आयोजित यूनेस्को की अंतरसरकारी समिति के 20वें सत्र के दौरान घोषणा की गई थी।
- संस्कृति मंत्रालय और संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित ICH समिति सत्र की मेज़बानी भारत पहली बार कर रहा है।
- यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक कूटनीति में एक महत्त्वपूर्ण क्षण को चिह्नित करता है, जो भारत द्वारा वर्ष 2003 के यूनेस्को अभिसमय की पुष्टि के 20वीं वर्षगाँठ के साथ मेल खाता है।
प्रमुख बिंदु
दीपावली
- दीपावली: कार्तिक अमावस्या (अक्तूबर-नवंबर) को मनाई जाने वाली दीपावली अंधकार पर प्रकाश, निराशा पर आशा और नवीनीकरण एवं समृद्धि का प्रतीक है।
- दीपावली को यूनेस्को द्वारा शामिल किये जाने का महत्त्व: यूनेस्को द्वारा दीपावली को एक जीवंत विरासत के रूप में मान्यता दी गई है, जो सामाजिक बंधनों को मज़बूत करती है, पारंपरिक शिल्प कौशल का समर्थन करती है और उदारता एवं खुशहाली के मूल्यों को सुदृढ़ करती है।
- दीपावली सतत् विकास के कई लक्ष्यों में सार्थक योगदान देती है, जिनमें SDG 1 (गरीबी उन्मूलन), SDG 3 (अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण), SDG 5 (लैंगिक समानता) और SDG 11 (संधारणीय समुदाय) शामिल हैं।
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत
- अमूर्त सांस्कृतिक विरासत: यूनेस्को अमूर्त विरासत को पीढ़ियों से चली आ रही जीवित परंपराओं के रूप में परिभाषित करता है, जिसमें मौखिक परंपरा, प्रदर्शन कला, अनुष्ठान, उत्सव कार्यक्रम, सामाजिक प्रथा, प्रकृति और ब्रह्मांड का ज्ञान एवं पारंपरिक शिल्प कौशल शामिल हैं, जिन्हें समुदाय पुनर्जीवित और संरक्षित करना जारी रखते हैं।
- नामांकन: यूनेस्को की ICH प्रतिनिधि सूची में किसी तत्व को जोड़ने के लिये, राज्यों को एक नामांकन फाइल जमा करनी होगी, जिसमें प्रत्येक दो वर्ष में एक नामांकन की अनुमति होती है।
- भारत ने वर्ष 2024-25 के दीपावली उत्सव के लिये इसे नामित किया है।
- सूची: यह सूची अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिये 2003 के यूनेस्को अभिसमय के तहत तैयार की गई थी।
- इसका उद्देश्य वैश्वीकरण के युग में जीवित सांस्कृतिक परंपराओं की रक्षा करना, जागरूकता, सम्मान और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देना तथा अनुष्ठानों, त्योहारों, मौखिक परंपराओं एवं पारंपरिक शिल्प कौशल की सामुदायिक नेतृत्व वाली सुरक्षा का समर्थन करना है।
यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की भारतीय सूची
- गुजरात का गरबा (2023)
- कोलकाता में दुर्गा पूजा (2021)
- कुंभ मेला (2017)
- योग (2016)
- नवरोज़ (2016)
- पंजाब के जंडियाला गुरु के थथेरा समुदाय द्वारा पीतल और तांबे के बर्तनों का पारंपरिक निर्माण (2014)
- मणिपुर का संकीर्तन (2013)
- लद्दाख में बौद्ध मंत्रोच्चार (2012)
- छऊ नृत्य, राजस्थान का कालबेलिया नृत्य और केरल का मुडियेट्टू (2010)
- गढ़वाल हिमालय का रम्माण उत्सव (2009)
- कुटियाट्टम संस्कृत थिएटर, रामलीला, और वैदिक मंत्रोच्चार की परंपरा (2008)।
राजस्थान Switch to English
आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं को IT ट्रेनिंग
चर्चा में क्यों?
राजस्थान में आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं और नवनियुक्त पर्यवेक्षकों को IT प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वे अपनी प्रौद्योगिकी-सक्षम ज़िम्मेदारियों को बेहतर तरीके से निभा सकें, विशेषकर मोबाइल-आधारित अनुप्रयोगों के माध्यम से निगरानी से जुड़े कार्यों में।
प्रमुख बिंदु
- मंत्री की घोषणा: महिला एवं बाल विकास मंत्री दीया कुमारी ने एकीकृत बाल विकास सेवा निदेशालय की समीक्षा बैठक में यह घोषणा की।
- नियमित प्रशिक्षण पर ज़ोर: मंत्री ने गुणवत्तापूर्ण सेवा वितरण सुनिश्चित करने के लिये आँगनवाड़ी सहायकों, कर्मचारियों, पर्यवेक्षकों और अन्य अधिकारियों के लिये नियमित IT-आधारित प्रशिक्षण के महत्त्व पर ज़ोर दिया।
- आँगनवाड़ी केंद्र का विकास: अधिकारियों को आँगनवाड़ी केंद्रों के विकास में तेजी लाने का निर्देश दिया गया, जिसमें शौचालय, पेयजल और विद्युतीकरण जैसी बुनियादी सुविधाओं में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- सरकारी प्रतिबद्धता: राज्य सरकार आँगनवाड़ी केंद्रों के बुनियादी ढाँचे को बेहतर बनाने और समग्र विकास के लिये प्रतिबद्ध है ताकि समुदाय को बेहतर सेवा प्रदान की जा सके।
ICDS योजना और आँगनवाड़ी
- परिचय: भारत में ICDS योजना 2 अक्तूबर 1975 को प्रारंभ की गई थी। इसका नाम बदलकर आँगनवाड़ी सेवाएँ कर दिया गया और अब ये सेवाएँ सक्षम आँगनवाड़ी और पोषण 2.0 के अंतर्गत प्रदान की जाती हैं ।
- यह एक केंद्रीय प्रायोजित योजना है जिसे राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा लागू किया जाता है। इसका उद्देश्य 0–6 वर्ष के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं को प्रारंभिक बाल देखभाल एवं विकास सेवाएँ प्रदान करना है। यह कार्य आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं (AWW) और सहायिकाओं (AWH) के बड़े नेटवर्क के माध्यम से किया जाता है।
- आँगनवाड़ी द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएँ: ये सेवाएँ देश भर में आँगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से सभी पात्र लाभार्थियों, अर्थात् 0-6 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को प्रदान की जाती हैं।
- इनमें से तीन सेवाएँ, अर्थात् टीकाकरण, स्वास्थ्य संबंधी जाँच और रेफरल सेवाएँ, स्वास्थ्य से संबंधित हैं और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना के माध्यम से प्रदान की जाती हैं।
- आँगनवाड़ी सेवाओं की निगरानी: ICT प्लेटफॉर्म पोषण ट्रैकर को देश भर में आँगनवाड़ी सेवाओं के कार्यान्वयन और निगरानी पर वास्तविक समय के डेटा को एकत्रित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- यह आँगनवाड़ी केंद्र (AWC) की गतिविधियों, आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं (AWW) द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं और लाभार्थियों के संपूर्ण प्रबंधन के 360 डिग्री का व्यापक अवलोकन प्रदान करता है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
पहला आधिकारिक माघ मेला लोगो लॉन्च
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रयागराज में प्रत्येक वर्ष में लगने वाले सदियों पुराने माघ मेले का पहला आधिकारिक लोगो जारी किया है।
प्रमुख बिंदु
- आयोजन का संदर्भ: 45 दिनों का माघ मेला जनवरी में शुरू होता है और संगम में पवित्र स्नान करने के लिये भारत एवं विश्व भर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
- सरकारी पहल: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने और प्रयागराज को पुनर्जीवित करने के व्यापक प्रयासों के तहत लोगो का अनावरण किया।
- आध्यात्मिक महत्त्व: लोगो माघ मेले की प्रमुख आध्यात्मिक प्रथाओं जैसे कि जप, तपस्या, दान, पवित्र स्नान और कल्पवास को दर्शाता है।
- खगोलीय डिजाइन: इस डिज़ाइन में सात ऊर्जा चक्र, सूर्य, चंद्रमा की 14 कला और 27 नक्षत्रों में चंद्रमा की गति के संदर्भ शामिल हैं, जो हिंदू ज्योतिषीय गणनाओं के अनुरूप हैं।
- पवित्र प्रतीक: प्रमुख तत्वों में मोक्ष का प्रतीक अक्षयवट वृक्ष, लेटे हुए हनुमान मंदिर, सनातन ध्वज और संगम पर तीर्थराज प्रयाग शामिल हैं।
- ज्योतिषीय आधार: माघ मेला तब आयोजित किया जाता है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और अनुष्ठान की तिथियाँ सटीक चंद्र चक्रों द्वारा निर्धारित की जाती हैं, विशेष रूप से अमावस्या से पूर्णिमा तक।
- सांस्कृतिक संदेश: लोगो पर अंकित एक संस्कृत श्लोक इस मान्यता को व्यक्त करता है कि माघ महीने में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं।
- पारिस्थितिक तत्व: लोगो में साइबेरियाई पक्षियों को दर्शाया गया है जो प्रत्येक शीतकाल में संगम क्षेत्र में प्रवास करते हैं, जिससे पर्यावरणीय सामंजस्य पर प्रकाश डाला गया है ।
- डिज़ाइन एवं स्वीकृति: प्रयागराज मेला प्राधिकरण के सलाहकारों द्वारा लोगो की अवधारणा तैयार की गई थी और मुख्यमंत्री की औपचारिक स्वीकृति के साथ इसका अनावरण किया गया।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
भारत को जूनियर हॉकी में ऐतिहासिक कांस्य पदक
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ (FIH) पुरुष जूनियर हॉकी विश्व कप 2025 में कांस्य पदक जीतने पर भारत की पुरुष जूनियर हॉकी टीम को बधाई दी।
प्रमुख बिंदु
- ऐतिहासिक उपलब्धि: भारत ने जूनियर विश्व कप में पहला कांस्य पदक जीता, यह वर्ष 2016 में स्वर्ण पदक जीतने के बाद टूर्नामेंट में पहला पदक है।
- कांस्य पदक मैच: कांस्य पदक मैच में भारत ने अर्जेंटीना को 0-2 से पीछे छोड़ने के बाद शानदार वापसी करते हुए 4-2 से हराया।
- टूर्नामेंट का फाइनल: जर्मनी ने निर्धारित समय में 1-1 से ड्रॉ रहने के बाद पेनल्टी शूटआउट में स्पेन को 3-2 से हराकर अपना आठवाँ जूनियर विश्व कप खिताब जीता।
- राष्ट्रीय प्रेरणा: प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि टीम के शानदार प्रदर्शन से देश भर के अनगिनत युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलेगी।
मध्य प्रदेश Switch to English
कार्बन क्रेडिट अर्जित करने हेतु स्वच्छ सिंहस्थ
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश सरकार उज्जैन में आयोजित होने वाले सिंहस्थ कुंभ 2028 के लिये अपनी तरह की पहली सतत् विकास योजना को विकसित कर रही है, जिसका उद्देश्य इसे पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदार बनाना और कार्बन क्रेडिट के लिये पात्र बनाना है।
प्रमुख बिंदु
- भारी संख्या में तीर्थयात्री आने की उम्मीद: लगभग 30 करोड़ तीर्थयात्रियों के आने की संभावना है, पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने और स्वच्छता एवं सुरक्षा में सुधार लाने के लिये प्रणालियाँ तैयार की जा रही हैं।
- स्वच्छ घाट: श्रद्धालुओं को कम-से-कम अपशिष्ट, प्लास्टिक की पूर्ण रीसाइक्लिंग और बेहतर स्वच्छता वाले स्वच्छ घाट देखने को मिलेंगे।
- नदी का पुनरुद्धार: क्षिप्रा नदी को और अधिक स्वच्छ बनाया जाएगा, जिससे तीर्थयात्रा के दौरान अनुष्ठानिक स्नान के लिये सुरक्षित और बेहतर गुणवत्ता वाला जल सुनिश्चित होगा।
- कार्बन क्रेडिट पर ध्यान केंद्रित: सिंहस्थ प्रशासन कार्बन क्रेडिट अर्जित करने के लिये कार्बन अकाउंटिंग, अपशिष्ट-से-संसाधन प्रणालियों, प्लास्टिक पुनर्चक्रण प्रौद्योगिकियों और नदी शुद्धिकरण से संबंधित प्रस्तावों की समीक्षा कर रहा है।
- वैश्विक मानक: अधिकारियों का लक्ष्य वर्ष 2028 के सिंहस्थ की मुख्य योजना में वैश्विक मानकों के अनुरूप वैज्ञानिक और सतत प्रथाओं को एकीकृत करना है।
- इंदौर मॉडल: यह पहल बायो-मेथेनाइजेशन, बायो-CNG और अपशिष्ट-से-ऊर्जा परियोजनाओं के माध्यम से कार्बन क्रेडिट अर्जित करने और महत्त्वपूर्ण राजस्व उत्पन्न करने में इंदौर की सफलता पर आधारित है।
- अपशिष्ट प्रबंधन चुनौती: 30 करोड़ आगंतुकों द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट का प्रबंधन सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है, जिसके लिये 100% प्लास्टिक पृथक्करण और पुनर्चक्रण के प्रस्ताव दिये गए हैं।
- जल एवं ऊर्जा उपाय: योजनाओं में कृषि और उद्योग के लिये उपचारित जल का पुन: उपयोग करना, बुनियादी ढाँचे, परिवहन, अपशिष्ट और ऊर्जा क्षेत्रों से कार्बन उत्सर्जन को कम करना शामिल है।
- चरणबद्ध कार्यान्वयन: स्वच्छ, सुरक्षित और अधिक संधारणीय आयोजन सुनिश्चित करने के लिये, सिंहस्थ कुंभ 2028 से पूर्व प्रस्तावों का मूल्यांकन और कार्यान्वयन चरणों में किया जाएगा ।
सिंहस्थ कुंभ
- सिंहस्थ कुंभ मेला एक हिंदू धार्मिक त्योहार है जो प्रत्येक 12 वर्ष में भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के उज्जैन में आयोजित किया जाता है ।
- इस त्योहार को "सिंहस्थ" कहा जाता है क्योंकि यह तब मनाया जाता है जब बृहस्पति सिंह राशि में प्रवेश करता है ।
- ज्योतिषीय ग्रहों की यह विशेष स्थिति उज्जैन कुंभ मेले के समय को निर्धारित करती है, जो इसे अन्य स्थानों पर आयोजित होने वाले कुंभ मेलों से अलग बनाती है।
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