उत्तर प्रदेश
दीपावली यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल
- 13 Dec 2025
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चर्चा में क्यों?
दीपावली, प्रकाश पर्व, को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल कर लिया गया है, जैसा कि 8 से 13 दिसंबर 2025 तक नई दिल्ली के लाल किले में आयोजित यूनेस्को की अंतरसरकारी समिति के 20वें सत्र के दौरान घोषणा की गई थी।
- संस्कृति मंत्रालय और संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित ICH समिति सत्र की मेज़बानी भारत पहली बार कर रहा है।
- यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक कूटनीति में एक महत्त्वपूर्ण क्षण को चिह्नित करता है, जो भारत द्वारा वर्ष 2003 के यूनेस्को अभिसमय की पुष्टि के 20वीं वर्षगाँठ के साथ मेल खाता है।
प्रमुख बिंदु
दीपावली
- दीपावली: कार्तिक अमावस्या (अक्तूबर-नवंबर) को मनाई जाने वाली दीपावली अंधकार पर प्रकाश, निराशा पर आशा और नवीनीकरण एवं समृद्धि का प्रतीक है।
- दीपावली को यूनेस्को द्वारा शामिल किये जाने का महत्त्व: यूनेस्को द्वारा दीपावली को एक जीवंत विरासत के रूप में मान्यता दी गई है, जो सामाजिक बंधनों को मज़बूत करती है, पारंपरिक शिल्प कौशल का समर्थन करती है और उदारता एवं खुशहाली के मूल्यों को सुदृढ़ करती है।
- दीपावली सतत् विकास के कई लक्ष्यों में सार्थक योगदान देती है, जिनमें SDG 1 (गरीबी उन्मूलन), SDG 3 (अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण), SDG 5 (लैंगिक समानता) और SDG 11 (संधारणीय समुदाय) शामिल हैं।
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत
- अमूर्त सांस्कृतिक विरासत: यूनेस्को अमूर्त विरासत को पीढ़ियों से चली आ रही जीवित परंपराओं के रूप में परिभाषित करता है, जिसमें मौखिक परंपरा, प्रदर्शन कला, अनुष्ठान, उत्सव कार्यक्रम, सामाजिक प्रथा, प्रकृति और ब्रह्मांड का ज्ञान एवं पारंपरिक शिल्प कौशल शामिल हैं, जिन्हें समुदाय पुनर्जीवित और संरक्षित करना जारी रखते हैं।
- नामांकन: यूनेस्को की ICH प्रतिनिधि सूची में किसी तत्व को जोड़ने के लिये, राज्यों को एक नामांकन फाइल जमा करनी होगी, जिसमें प्रत्येक दो वर्ष में एक नामांकन की अनुमति होती है।
- भारत ने वर्ष 2024-25 के दीपावली उत्सव के लिये इसे नामित किया है।
- सूची: यह सूची अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिये 2003 के यूनेस्को अभिसमय के तहत तैयार की गई थी।
- इसका उद्देश्य वैश्वीकरण के युग में जीवित सांस्कृतिक परंपराओं की रक्षा करना, जागरूकता, सम्मान और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देना तथा अनुष्ठानों, त्योहारों, मौखिक परंपराओं एवं पारंपरिक शिल्प कौशल की सामुदायिक नेतृत्व वाली सुरक्षा का समर्थन करना है।
यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की भारतीय सूची
- गुजरात का गरबा (2023)
- कोलकाता में दुर्गा पूजा (2021)
- कुंभ मेला (2017)
- योग (2016)
- नवरोज़ (2016)
- पंजाब के जंडियाला गुरु के थथेरा समुदाय द्वारा पीतल और तांबे के बर्तनों का पारंपरिक निर्माण (2014)
- मणिपुर का संकीर्तन (2013)
- लद्दाख में बौद्ध मंत्रोच्चार (2012)
- छऊ नृत्य, राजस्थान का कालबेलिया नृत्य और केरल का मुडियेट्टू (2010)
- गढ़वाल हिमालय का रम्माण उत्सव (2009)
- कुटियाट्टम संस्कृत थिएटर, रामलीला, और वैदिक मंत्रोच्चार की परंपरा (2008)।