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विनोबा भावे जयंती
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आचार्य विनोबा भावे की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की तथा भारत के आध्यात्मिक, सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में उनके अद्वितीय योगदान को रेखांकित किया।
मुख्य बिंदु
- आचार्य विनोबा भावे के बारे में:
- विनायक नरहरि भावे का जन्म 11 सितंबर, 1895 को गागोडे, बॉम्बे प्रेसीडेंसी (वर्तमान महाराष्ट्र) में हुआ था।
- वह एक स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और आध्यात्मिक शिक्षक थे, जो महात्मा गांधी के अहिंसा तथा समानता के सिद्धांतों से बहुत प्रभावित थे।
- पुरस्कार एवं सम्मान:
- विनोबा भावे वर्ष 1958 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय थे, जिन्हें यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मान मिला।
- उन्हें वर्ष 1983 में मरणोपरांत भारत रत्न (भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार) से भी सम्मानित किया गया था।
- गांधी के साथ जुड़ाव:
- विनोबा भावे ने 7 जून, 1916 को गांधी से मुलाकात की और आश्रम में निवास किया।
- आश्रम के एक सदस्य मामा फड़के ने उन्हें विनोबा (एक पारंपरिक मराठी विशेषण जो महान सम्मान का प्रतीक है) नाम दिया था।
- 8 अप्रैल, 1921 को विनोबा भावे, गांधी के निर्देशों के तहत वर्धा में एक गांधी-आश्रम का प्रभार लेने के लिये गए।
- वर्धा में अपने प्रवास के दौरान वर्ष 1923 में उन्होंने मराठी में एक मासिक 'महाराष्ट्र धर्म' का प्रकाशन किया, जिसमें उपनिषदों पर उनके निबंध प्रकाशित किये गए थे
- स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका:
- उन्होंने असहयोग आंदोलन के कार्यक्रमों में भाग लिया और विशेष रूप से आयातित विदेशी वस्तुओं के स्थान पर स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग का आह्वान किया।
- वर्ष 1940 में उन्हें भारत में गांधीजी द्वारा ब्रिटिश राज के खिलाफ पहले व्यक्तिगत सत्याग्रही (सामूहिक कार्रवाई के बजाय सत्य के लिये खड़े होने वाले व्यक्ति) के रूप में चुना गया था।
- उन्हें आचार्य (शिक्षक) की सम्मानित उपाधि दी गई थी।
- भूदान आंदोलन:
- वर्ष 1951 में विनोबा भावे ने तेलंगाना के हिंसाग्रस्त क्षेत्र से पैदल अपनी शांति यात्रा शुरू की।
- वर्ष 1951 में तेलंगाना के पोचमपल्ली (Pochampalli) गाँव के हरिजनों ने उनसे जीविकोपार्जन के लिये लगभग 80 एकड़ भूमि प्रदान कराने का अनुरोध किया।
- विनोबा ने गाँव के जमींदारों को आगे आने और हरिजनों को संरक्षित करने के लिये कहा।
- उसके बाद एक ज़मींदार ने आगे बढ़कर आवश्यक भूमि प्रदान करने की पेशकश की।
- यह भूदान (भूमि का उपहार) आंदोलन की शुरुआत थी।
- यह आंदोलन 13 वर्षों तक जारी रहा और इस दौरान विनोबा भावे ने देश के विभिन्न हिस्सों (कुल 58,741 किलोमीटर की दूरी) का भ्रमण किया।
- वह लगभग 44 लाख एकड़ भूमि एकत्र करने में सफल रहे, जिसमें से लगभग 13 लाख एकड़ भूमि को गरीब, भूमिहीन किसानों के बीच वितरित किया गया।
- साहित्यक रचना:
- उनकी महत्त्वपूर्ण पुस्तकों में स्वराज्य शास्त्र, गीता प्रवचन और तीसरी शक्ति आदि शामिल हैं।
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IIM अहमदाबाद ने पहला विदेशी केंपस खोला
चर्चा में क्यों?
दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने दुबई इंटरनेशनल एकेडमिक सिटी (DIAC) में भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद (IIM-A) के पहले विदेशी केंपस का उद्घाटन किया।
- एक अन्य पहल में, भारत के केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने IIT दिल्ली अबू धाबी में अटल इनक्यूबेशन सेंटर (AIC) का उद्घाटन किया, जो किसी भारतीय संस्थान द्वारा आयोजित पहला विदेशी AIC है।
मुख्य बिंदु
- केंपस के बारे में:
- IIM-A दुबई कार्यरत पेशेवरों और उद्यमियों के लिये पूर्णकालिक एक वर्षीय MBA के साथ सितंबर के अंत तक अपनी शैक्षणिक गतिविधियाँ आरंभ कर देगा।
- भारत के केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने भारतीय संस्थानों जैसे मणिपाल विश्वविद्यालय, सिम्बायोसिस विश्वविद्यालय, BITS पिलानी और एमिटी विश्वविद्यालय, जिन्होंने दुबई में अपने केंपस स्थापित किये हैं के अधिकारियों के साथ एक गोलमेज चर्चा भी की तथा शोध को कागज़ों से उत्पादों तक ले जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
- उन्होंने UAE में 109 भारतीय स्कूलों के प्रधानाचार्यों के साथ भी संवाद किया (अन्य वर्चुअली जुड़े) और घोषणा की कि 12 UAE स्कूलों में अटल टिंकरिंग लैब्स (ATLs) स्थापित की जाएंगी ताकि छात्रों में नवाचार को बढ़ावा दिया जा सके।
अटल इनोवेशन मिशन (AIM):
- यह भारत सरकार की पहल है, जिसका उद्देश्य नवाचार और उद्यमशीलता की संस्कृति को प्रोत्साहित करना है।
- AIM के मुख्य उद्देश्यों के तहत नए अटल इनक्यूबेशन सेंटर (AICs) स्थापित किये जाते हैं, जो नवोन्मेषी स्टार्ट-अप को विस्तार योग्य और सतत् उद्यम बनने में समर्थन देते हैं।
- अटल टिंकरिंग लैब्स (ATLs) स्कूलों में (कक्षा 6-12) छात्रों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये 3D प्रिंटिंग जैसे उपकरणों का उपयोग करती हैं।
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ग्रीन हाइड्रोजन अनुसंधान एवं विकास सम्मेलन
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा आयोजित प्रथम वार्षिक ग्रीन हाइड्रोजन अनुसंधान एवं विकास सम्मेलन का उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु
- सम्मेलन के बारे में:
- यह सम्मेलन 11 से 12 सितंबर, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित किया गया, जिसमें विशेषज्ञ सत्र, इंटरैक्टिव गोलमेज बैठकें और भारत की हरित ऊर्जा क्रांति को आगे बढ़ाने वाली 25 अग्रणी कंपनियों के साथ एक स्टार्ट-अप एक्सपो शामिल था।
- इस कार्यक्रम में 25 स्टार्ट-अप्स ने इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण, AI-संचालित अनुकूलन और जैविक हाइड्रोजन समाधान के क्षेत्र में अपनी सफलताओं का प्रदर्शन किया।
- हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों में नवाचार को बढ़ावा देने वाले स्टार्ट-अप्स का समर्थन करने के लिये 100 करोड़ रुपये के प्रस्ताव आमंत्रण (Call for Proposals) भी जारी किये गए।
- इस योजना के तहत प्रत्येक परियोजना को 5 करोड़ रुपये तक की राशि प्रदान की जाएगी, जो हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण, परिवहन और उपयोग से संबंधित पायलट पहल के लिये प्रयोग की जा सकेगी।
भारत का ग्रीन हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र
- बंदरगाह: तमिलनाडु के वी.ओ. चिदंबरनार बंदरगाह पर भारत की पहली बंदरगाह-आधारित पायलट परियोजना।
- इस्पात: हाइड्रोजन-चालित डीकार्बोनाइजेशन को प्रदर्शित करने वाली पाँच पायलट परियोजनाएँ।
- शिपिंग: तूतीकोरिन बंदरगाह पर रेट्रोफिटेड जहाज और ईंधन भरने की सुविधाएँ।
- परिवहन: हाइड्रोजन बसें और ईंधन भरने वाले स्टेशन कार्यरत हैं।
- उर्वरक: पहली बार हरित अमोनिया नीलामी में रिकॉर्ड निम्न मूल्य का खुलासा हुआ, जिसकी आपूर्ति ओडिशा के पारादीप फॉस्फेट्स से शुरू हुई।
- हाइड्रोजन हब: कांडला, पारादीप और तूतीकोरिन बंदरगाहों पर समर्पित हाइड्रोजन हब का विकास किया जा रहा है।
- मिशन: राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (NGHM) वर्ष 2023 में 19,744 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ शुरू किया गया था।
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ज्ञान भारतम पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित ज्ञान भारतम पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया तथा ज्ञान भारतम पोर्टल लॉन्च किया।
- यह एक समर्पित डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है, जिसका उद्देश्य भारत की विशाल पांडुलिपि विरासत के डिजिटलीकरण, संरक्षण और सार्वजनिक पहुँच को बढ़ावा देना है।
मुख्य बिंदु
ज्ञान भारतम पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
- उद्देश्य: सम्मेलन का उद्देश्य भारत की पांडुलिपि विरासत को पुनर्जीवित करना तथा उसे वैश्विक ज्ञान विमर्श के केंद्र में स्थापित करना था।
- आयोजन अवधि: यह तीन दिवसीय सम्मेलन 11 से 13 सितंबर, 2025 तक आयोजित हुआ, जिसका विषय था "पांडुलिपि विरासत के माध्यम से भारत की ज्ञान विरासत को पुनः प्राप्त करना", जो दिल्ली घोषणा-पत्र को अपनाने के साथ संपन्न हुआ।
- यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन स्वामी विवेकानंद के वर्ष 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में दिये गये ऐतिहासिक भाषण की 132वीं वर्षगाँठ के अवसर पर आयोजित हुआ।
- सम्मेलन में दुर्लभ पांडुलिपियों की एक प्रदर्शनी आयोजित की गई, साथ ही संरक्षण और डिजिटलीकरण पर विद्वानों की प्रस्तुतियाँ भी दी गईं।
- मुख्य विषय: कार्यकारी समूहों ने प्राचीन लिपियों की व्याख्या, सर्वेक्षण और दस्तावेज़ीकरण, डिजिटलीकरण उपकरण, संरक्षण तथा पुनर्स्थापन तथा कानूनी एवं नैतिक मुद्दों जैसे विषयों पर चर्चा की।
ज्ञान भारतम परियोजना
- ज्ञान भारतम मिशन के रूप में आरंभ की गई यह पहल, संस्कृति मंत्रालय के अधीन रहेगी तथा इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थापित होगा।
- उद्देश्य: एक ऐसे संस्थान की स्थापना करना, जो भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) की तरह कार्य करे, किंतु लक्ष्य पांडुलिपियों के संरक्षण और व्याख्या पर हो।
- इसका उद्देश्य एक करोड़ से अधिक पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण करना तथा निर्बाध समन्वय के लिये सभी राज्यों में क्षेत्रीय केंद्र स्थापित करना भी है।।
- प्रतिस्थापन: ज्ञान भारतम, वर्ष 2003 में शुरू किये गये राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन का स्थान लेगा, ताकि भारत में पांडुलिपि संरक्षण को संस्थागत और सतत ढाँचा प्रदान किया जा सके।
- वित्तपोषण: वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में घोषित इस परियोजना के लिये प्रारंभिक निधि 400 करोड़ रुपये आवंटित की गई है।