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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 08 May 2024
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क्षमता निर्माण कार्यक्रम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (NCGG), मसूरी में तंज़ानिया गणराज्य के अधिकारियों के लिये सार्वजनिक कार्यों की परियोजना और जोखिम प्रबंधन पर दो सप्ताह का क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू हुआ

मुख्य बिंदु:

  • NCGG राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर कार्रवाई, अनुसंधान, अध्ययन और क्षमता निर्माण के लिये प्रतिबद्ध है।
    • इसके प्रयास 'वसुधैव कुटुंबकम' अर्थात् "विश्व एक परिवार है" के भारतीय दर्शन के अनुरूप हैं और द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने तथा अन्य देशों के साथ सहयोग को बढ़ावा देने पर ज़ोर देते हैं।
    • क्षमता निर्माण कार्यक्रम विभिन्न क्षेत्रों में परियोजना और जोखिम प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित कर सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करते हुए एक समृद्ध क्रॉस कंट्री अनुभव और नीति संवाद हेतु एक मंच प्रदान करने पर केंद्रित है।
    • इसके परिणामस्वरूप अधिकारियों को परियोजनाओं हेतु योजना बनाने, निष्पादन के तरीके, संस्थानों में हो रहे बदलाव और लोगों के सरकार से बढ़ते जुड़ाव के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्राप्त होगी।
  •  उन्होंने दो सप्ताह के प्रशिक्षण कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों पर भी प्रकाश डाला, जो प्रतिभागियों के लिये प्रासंगिक कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में अनेक परियोजनाओं और कार्यों को प्रदर्शित करते हुए सार्वजनिक कार्यों के लिये परियोजना एवं जोखिम प्रबंधन में अधिकारियों को आवश्यक कौशल से लैस करने हेतु सावधानीपूर्वक डिज़ाइन किया गया है।
    • इसके अतिरिक्त कार्यक्रम में व्यापक क्षेत्र दौरे भी शामिल हैं, जिसमें अधिकारी डाकपत्थर जलविद्युत और सिंचाई बाँध, उत्तराखंड में NHAI, नई दिल्ली में द्वारका एक्सप्रेसवे, इंदिरा पर्यावरण भवन, नई दिल्ली में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर NBCC तथा दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन जैसी प्रमुख परियोजना स्थलों का दौरा शामिल है तथा प्रतिष्ठित ताजमहल की यात्रा के साथ इसका समापन होगा।

राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (NCGG)

  •  NCGG की स्थापना वर्ष 2014 में सरकार द्वारा कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के तहत एक शीर्ष स्तरीय स्वायत्त संस्थान के रूप में की गई थी।
  • केंद्र की उत्पत्ति राष्ट्रीय प्रशासनिक अनुसंधान संस्थान (NIAR) से हुई है, जिसे वर्ष 1995 में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) द्वारा स्थापित किया गया था, जो सिविल सेवाओं के लिये भारत सरकार का सर्वोच्च प्रशिक्षण संस्थान है।
    • NIAR को बाद में पुनः नामित किया गया और NCGG में शामिल कर लिया गया।
  • NCGG स्थानीय, राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक सभी क्षेत्रों में शासन संबंधी मुद्दों से निपटता है।
  • केंद्र को भारत और अन्य विकासशील देशों के शासन, नीति सुधार, क्षमता निर्माण तथा सिविल सेवकों एवं टेक्नोक्रेट के प्रशिक्षण के क्षेत्र में कार्य करने का आदेश दिया गया है। यह थिंक टैंक के रूप में भी कार्य करता है।

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उत्तराखंड का एबॉट माउंटेन

चर्चा में क्यों?

एबॉट माउंटेन उत्तराखंड की खूबसूरत हिमालय शृंखला में चंपावत ज़िले के लोहाघाट शहर में है।

मुख्य बिंदु:

  • एबॉट माउंटेन ऐतिहासिक महत्त्व रखता है, जिसका नाम ब्रिटिश सर्जन डॉ. जेम्स एबॉट के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने ब्रिटिश राज के दौरान कुमाऊँ के आयुक्त के रूप में कार्य किया था। इस भव्य शिखर के माध्यम से क्षेत्र के विकास में उनके योगदान को याद किया जाता है।
  • अपनी प्राकृतिक सुंदरता के अलावा एबॉट माउंटेन साहसिक प्रेमियों के लिये स्वर्ग के रूप में भी कार्य करता है।
  • यह क्षेत्र विविध प्रकार की वनस्पतियों और जीवों का निवास स्थल है, जिनमें दुर्लभ हिमालयी प्रजातियाँ जैसे कस्तूरी मृग, हिमालयी काले भालू और विभिन्न प्रकार की पक्षी प्रजातियाँ शामिल हैं।

भारतीय हिमालय क्षेत्र

  • IHR में भारत के दस राज्यों और चार पहाड़ी ज़िलों जैसे जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, मिज़ोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और असम में दिमा हसाओ, कार्बी आंगलोंग तथा पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग, कलिम्पोंग के पहाड़ी ज़िले शामिल हैं।
  • अनियंत्रित मांग-संचालित आर्थिक विकास ने अव्यवस्थित शहरीकरण, पर्यावरणीय क्षरण और बढ़ते जोखिमों तथा कमज़ोरियों को उत्पन्न किया, जिससे हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के अद्वितीय मूल्यों से गंभीर समझौता हुआ है।
  • आर्थिक विकास पर ध्यान देने के अलावा भारतीय हिमालय के सतत् विकास के रोडमैप को प्रासंगिक सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के साथ समन्वित करने की आवश्यकता है।
  • इसलिये हिमालय में विकास पूरी तरह से क्षेत्र के पर्यावरणीय, सामाजिक-सांस्कृतिक और पवित्र सिद्धांतों में अंतर्निहित होना चाहिये।

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उत्तरकाशी में भूकंप

चर्चा में क्यों?

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (National Centre for Seismology- NCS) के आँकड़ों के मुताबिक, हाल ही में उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में रिक्टर पैमाने पर 2.6 तीव्रता का भूकंप आया।

मुख्य बिंदु:

  • भूकंप का केंद्र अक्षांश 31.00 और देशांतर 79.31 पर 5 किलोमीटर की गहराई पर था।
  • राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत) देश में भूकंप गतिविधि की निगरानी के लिये भारत सरकार की नोडल एजेंसी है।
  • वर्तमान में भारत में केवल 115 भूकंप वेधशालाएँ हैं।
    • भूकंप वेधशाला का सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू भूकंप के समय के सटीक पूर्वानुमान करने में सक्षम होना है।


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