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जल संसाधन एटलस 2025
चर्चा में क्यों?
हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, विनियमन और प्रबंधन) प्राधिकरण (HWRA) ने हरियाणा जल संसाधन एटलस 2025 लॉन्च किया है, जो एक AI-संचालित भू-स्थानिक मंच है और राज्य में तेज़ी से घटते जल भंडार की निगरानी, प्रबंधन और संरक्षण के लिये उपयोग किया जाता है।
मुख्य बिंदु
- एटलस की मुख्य विशेषताएँ:
- HWRA ने हरियाणा अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (HARSAC) के सहयोग से एटलस विकसित किया है।
- यह मंच सार्वजनिक रूप से सुलभ है और निम्नलिखित विषयों पर वास्तविक समय में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है:
- भूजल स्तर और जलभृत
- सतही जल निकाय और नहर प्रणालियाँ
- पुनर्भरण क्षेत्र और जल-प्रधान फसल पैटर्न
- यह इंटरैक्टिव विषयगत मानचित्र और डैशबोर्ड प्रदान करता है।
- यह ज़िला और ब्लॉक स्तर पर जल संकट पर नज़र रखता है तथा अत्यधिक निकासी वाले क्षेत्रों और अनियमित वर्षा वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है।
- पहल के पीछे की तात्कालिकता:
- आंतरिक आकलन से पता चलता है कि हरियाणा के 76 प्रतिशत से अधिक प्रशासनिक ब्लॉक भूजल उपयोग की दृष्टि से या तो “गंभीर” हैं या “अत्यधिक दोहन ” वाले हैं।
- इस मंच का उद्देश्य प्रशासनिक और ज़मीनी स्तर पर डाटा-संचालित हस्तक्षेप को मज़बूत बनाना है।
- डाटा स्कोप और अद्यतन चक्र:
- अधिकांश मुख्य डाटासेट (जैसे भूजल की गहराई और मृदा संरचना) को वार्षिक रूप से संशोधित नहीं किया जाएगा।
- ऐसे मापदंडों को आमतौर पर एक दशक में एक बार अपडेट करने की आवश्यकता होती है, जिससे डाटा नवीनीकरण के मामले में प्लेटफॉर्म का रखरखाव कम हो जाता है।
- एटलस में निम्नलिखित से डाटा एकीकृत किया गया है:
- उपग्रह अवलोकन और जी.पी.एस. सर्वेक्षण
- मौसम संबंधी जानकारी और कृषि रिकॉर्ड
- केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB), भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD), सिंचाई विभाग और कृषि विभाग।
- राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय एजेंसियों ने सटीकता और परिचालन प्रासंगिकता सुनिश्चित करने के लिये डाटा को मान्य किया है।
केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB)
- जल संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार के तहत CGWB भारत में भूजल संसाधनों के प्रबंधन, अन्वेषण, निगरानी, मूल्याँकन और विनियमन के लिये सर्वोच्च निकाय है।
- वर्ष 1970 में स्थापित, CGWB का गठन आरंभ में अन्वेषणात्मक नलकूप संगठन का नाम बदलकर किया गया था और बाद में वर्ष 1972 में इसे भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के भूजल विंग के साथ विलय कर दिया गया।
- पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत गठित केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) भूजल विकास को विनियमित करता है ताकि इसकी स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
- प्रमुख कार्य और ज़िम्मेदारियाँ: CGWB भूजल प्रबंधन के लिये वैज्ञानिक विशेषज्ञता प्रदान करता है, जिसमें अन्वेषण, निगरानी और जल गुणवत्ता आकलन शामिल हैं।
- यह भूजल स्तर को बढ़ाने के लिये कृत्रिम पुनर्भरण और वर्षा जल संचयन की योजनाओं को भी क्रियान्वित करता है।
- वैज्ञानिक रिपोर्ट: CGWB राज्य और ज़िला जल-भूवैज्ञानिक रिपोर्ट, भूजल वर्ष पुस्तकें और एटलस जारी करता है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग क्या है?
- परिचय:
- IMD की स्थापना 1875 में हुई थी। यह देश की राष्ट्रीय मौसम विज्ञान सेवा है और मौसम विज्ञान एवं संबद्ध विषयों से संबंधित सभी मामलों में प्रमुख सरकारी एजेंसी है।
- यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
- IMD विश्व मौसम विज्ञान संगठन के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक है।
- उद्देश्य:
- कृषि, सिंचाई, नौवहन, विमानन, अपतटीय तेल अन्वेषण आदि जैसी मौसम-संवेदनशील गतिविधियों के इष्टतम संचालन के लिये मौसम संबंधी अवलोकन करना और वर्तमान एवं पूर्वानुमानित मौसम संबंधी जानकारी प्रदान करना।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात, नॉर्थवेस्टर, धूल भरी आँधी, भारी बारिश और बर्फ, ठंड तथा ग्रीष्म लहरें आदि जैसी गंभीर मौसम की घटनाओं, जो जीवन एवं संपत्ति के विनाश का कारण बनती हैं, के प्रति चेतावनी देना।
- कृषि, जल संसाधन प्रबंधन, उद्योगों, तेल की खोज और अन्य राष्ट्र-निर्माण गतिविधियों के लिये आवश्यक मौसम संबंधी आँकड़े प्रदान करना।
- मौसम विज्ञान और संबद्ध विषयों में अनुसंधान का संचालन एवं प्रचार करना।

