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सर्वोच्च न्यायालय द्वारा द्वारा पटाखों पर प्रतिबंध सुनिश्चित करने की चेतावनी

  • 07 May 2025
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

6 मई 2025 को सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा सरकारों को NCR क्षेत्रों में पटाखों पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया और चेतावनी दी कि इसका पालन न करने पर अवमानना ​​की कार्रवाई की जाएगी।

प्रमुख बिंदु

  • न्यायालय द्वारा निर्देश:
    • न्यायालय ने राज्यों को निर्देश दिया कि वे इस प्रतिबंध को लागू करने के लिये पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (EPA) की धारा 5 के तहत निर्देश जारी करें।
    • धारा 5 द्वारा केंद्र सरकार को पर्यावरण संरक्षण के लिये किसी प्राधिकरण या अधिकारी को निर्देश देने का अधिकार दिया गया है।
    • न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि न्यायालय के पूर्व आदेशों और EPA निर्देशों को राज्य की विधि प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा सख्ती से लागू किया जाना चाहिये।
  • सख्त कार्यान्वयन:
    • न्यायालय द्वारा प्रतिबंध के “ईमानदारी से कार्यान्वयन” पर बल देते हुए राज्यों से समर्पित प्रवर्तन तंत्र स्थापित करने को कहा गया।
    • इसने चेतावनी दी कि आदेशों को लागू करने में अधिकारियों या प्राधिकारियों की किसी भी विफलता के परिणामस्वरूप न्यायालय अवमानना ​​अधिनियम, 1971 के तहत अवमानना ​​की कार्यवाही हो सकती है।
    • पीठ ने NCR से संबंधित सभी राज्यों को अनुपालन हलफनामा प्रस्तुत करने तथा प्रतिबंध से संबंधित दंड को सुनिश्चित करने का आदेश दिया।
  • पूर्व के निर्देश:
    • दिसंबर 2024 में, न्यायालय ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा को अगले आदेश तक पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया था।
    • इसके द्वारा स्वीकार किया गया कि दिल्ली में ऑनलाइन डिलीवरी सहित पटाखों से संबंधित सभी गतिविधियों पर पूरे वर्ष प्रतिबंध लागू किया गया।
    • पीठ ने NCR में इसके प्रवर्तन में एकरूपता का आह्वान किया तथा कहा कि राजस्थान ने पहले ही अपने NCR क्षेत्रों में इसी प्रकार का प्रतिबंध लागू किया है।
    • न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि प्रतिबंध तभी प्रभावी होंगे जब सभी NCR राज्य उन्हें एक साथ लागू करेंगे।

पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 

  • परिचय:
    • इसे पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार के उद्देश्य से वर्ष 1986 में अधिनियमित किया गया था।
    • यह विधेयक केंद्र सरकार को सभी प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण को रोकने तथा देश के विभिन्न भागों की विशिष्ट पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने के क्रम में प्राधिकरण स्थापित करने का अधिकार देता है।
      • यह अधिनियम पर्यावरण के संरक्षण एवं सुधार के उद्देश्य से बनाए गए सबसे व्यापक कानूनों में से एक है।
  • पृष्ठभूमि: 
  • संवैधानिक प्रावधान:
    • EPA अधिनियम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 253 के अंतर्गत अधिनियमित किया गया था, जिसके तहत अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को प्रभावी बनाने के क्रम में विधि निर्माण का प्रावधान शामिल है।
    • संविधान के अनुच्छेद 48A में निर्दिष्ट किया गया है कि राज्य, पर्यावरण के संरक्षण एवं सुधार के साथ देश के वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा का प्रयास करेगा।
    • अनुच्छेद 51A में प्रावधान है कि प्रत्येक नागरिक पर्यावरण की रक्षा करेगा।

न्यायालय की अवमानना

  • परिचय:
    • न्यायालय की अवमानना ​​संबंधी प्रणाली का आशय न्यायिक संस्थाओं को अनुचित आलोचना से बचाने के साथ इसके अधिकार को कम करने वालों को दंडित करना है।
  • वैधानिक आधार:
    • संविधान को अपनाने के दौरान न्यायालय की अवमानना ​​को भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (2) के तहत भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आरोपित प्रतिबंधों में से एक के रूप में शामिल किया गया था।
    • इसके अलावा, संविधान के अनुच्छेद 129 द्वारा सर्वोच्च न्यायालय को स्वयं की अवमानना ​​के लिये दंडित करने की शक्ति प्रदान की गई है। अनुच्छेद 215 के तहत उच्च न्यायालयों को इसी प्रकार की शक्ति प्रदान की गई है।
    • न्यायालय अवमान ​​अधिनियम, 1971 द्वारा इसको वैधानिक समर्थन मिलता है।
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