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राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 06 Aug 2025
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राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना (RIPS)

चर्चा में क्यों?

राजस्थान सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिये राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना (RIPS) के तहत 765.78 करोड़ रुपए की निवेश प्रोत्साहन राशि वितरित की है।

मुख्य बिंदु

  • RIPS 2024 के बारे में: 
    • यह राजस्थान सरकार की प्रमुख योजना है, जिसका उद्देश्य विनिर्माण, सेवाएँ, नवीकरणीय ऊर्जा, MSME, स्टार्टअप और सनराइज़ सेक्टर जैसे क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देना है।
    • यह योजना अक्तूबर 2023 में यूके रोड शो के दौरान प्रारंभ की गई थी और इसका संचालन 31 मार्च 2029 तक किया जाएगा। आवश्यकता पड़ने पर इसमें संशोधन भी किया जा सकता है।
  • प्राथमिक क्षेत्र और श्रेणियाँ:
    • इस योजना के अंतर्गत विनिर्माण, सेवाएँ, सनराइज़ सेक्टर, MSME, स्टार्टअप, औद्योगिक अवसंरचना, लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग, अनुसंधान एवं विकास (R&D) तथा ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है।
    • इसके अतिरिक्त, योजना में महिलाओं, युवाओं तथा स्टार्टअप्स पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया गया है।
    • लॉजिस्टिक अवसंरचना में निवेश करने के लिये न्यूनतम निवेश सीमा निर्धारित की गई है, जिसमें वेयरहाउस अथवा कोल्ड चेन हेतु 2 करोड़ रुपए, जबकि मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क हेतु 50 करोड़ रुपए का निवेश आवश्यक है।
  • प्रमुख प्रोत्साहन:
    • पूंजीगत सब्सिडी: कुछ क्षेत्रों के लिये पात्र निवेश का 28% तक।
    • SGST प्रतिपूर्ति: एक निर्धारित अवधि के लिये राज्य GST का 75% तक।
    • स्टांप ड्यूटी प्रतिपूर्ति: अधिकतम 75% की छूट तथा शेष राशि की प्रतिपूर्ति।
    • नवीकरणीय ऊर्जा पर विशेष ध्यान:
      • बिजली शुल्क में 100% छूट, स्टांप शुल्क और परिवर्तन शुल्क में 75% छूट (शेष प्रतिपूर्ति), बैंकिंग तथा ट्रांसमिशन छूट एवं हरित हाइड्रोजन व ऊर्जा भंडारण के लिये विशेष प्रोत्साहन।
  • पात्रता:
    • यह प्रोत्साहन नए/विस्तार निवेश और उन परियोजनाओं के लिये लागू हैं, जो या तो नीति की प्रभावी अवधि में या अधिकार प्राप्ति के दो वर्षों के भीतर व्यावसायिक उत्पादन प्रारंभ करें,जो भी बाद में हो।

    • पात्र इकाइयाँ राजनिवेश पोर्टल के माध्यम से सिंगल-विंडो क्लीयरेंस प्रणाली का लाभ ले सकती हैं, जिससे आवेदन और अनुमोदन प्रक्रिया सरल हो जाती है।

  • कार्यान्वयन और विस्तार:

    • राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट 2024 के अनुसार, राजस्थान ने अब तक 35 लाख करोड़ रुपए के समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं, जिनमें से 4.12 लाख करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाएँ कार्यान्वयन की प्रक्रिया में हैं।
    • घरेलू और वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करने हेतु नियमित भागीदारी सम्मेलन तथा रोड शो आयोजित किये जा रहे हैं।
    • राजस्थान सरकार 11-12 दिसंबर 2025 को जयपुर में राइजिंग राजस्थान पार्टनरशिप कॉन्क्लेव का आयोजन करेगी, जिसका उद्देश्य उद्योग जगत के अग्रणी संस्थानों, राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय निकायों के साथ साझेदारी को मज़बूत करना और राज्य में निवेश एवं सहयोग की गति को निरंतर बनाए रखना है।

राजस्थान के बारे में मुख्य तथ्य

  • क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है।
    • यह लगभग 3.42 लाख वर्ग किमी के भौगोलिक क्षेत्र में फैला हुआ है, जो भारत के कुल भूमि क्षेत्र का 10.41% है।
  • यह देश के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है और पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा गुजरात राज्यों से घिरा हुआ है।
  • वित्त वर्ष 2023-24 के लिये राजस्थान का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) 182.02 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा; वहीं स्थिर मूल्यों (2011-12) पर GSDP वृद्धि दर 8.03% रही।


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जैसलमेर को मराठा साम्राज्य का हिस्सा मानने पर विवाद

चर्चा में क्यों?

NCERT (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) की पाठ्यपुस्तक में जैसलमेर को मराठा साम्राज्य का हिस्सा दर्शाए जाने के दावे के बाद एक ऐतिहासिक विवाद उत्पन्न हो गया है।

मुख्य बिंदु 

जैसलमेर और मराठा संबंधों पर इतिहासकारों के मत

  • राजपूतों के तर्क:
    • जैसलमेर के 44वें महारावल, चैतन्य राज सिंह के नेतृत्व में शाही परिवार ने इस चित्रण पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे एक गंभीर ऐतिहासिक त्रुटि करार दिया है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि जैसलमेर पर मराठों के प्रभाव का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है। यह क्षेत्र मुगलों एवं अंग्रेज़ों सहित विभिन्न आक्रांताओं के दौर में भी स्वतंत्र बना रहा।
    • ऐतिहासिक विवरणों से स्पष्ट होता है कि क्षेत्र के राजपूत शासकों ने अपनी सत्ता एवं संप्रभुता की रक्षा की तथा जैसलमेर में न तो मराठा हस्तक्षेप हुआ और न ही कोई कराधान (taxation) लागू किया गया।
  • मराठों के तर्क:
    • मराठा इतिहासकार वर्ष 1752 के अहदनामा (जिसे मुगल सम्राट अहमद शाह बहादुर और मराठा सेनानायक मल्हारराव होल्कर तथा माधवराव शिंदे के बीच किया गया समझौता माना जाता है) का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि यद्यपि मराठों का जैसलमेर पर दिन-प्रतिदिन का प्रत्यक्ष नियंत्रण नहीं था, तथापि जैसलमेर सहित राजपूत राज्यों से चौथ और सरदेशमुखी कर वसूले जाते थे।
    • पुणे के इतिहासकार पांडुरंग बलकवाडे ने पेशवा प्रशासन के अभिलेखों का हवाला दिया है, जिनके अनुसार अजमेर (मेवाड़) क्षेत्र से नियमित रूप से चौथ वसूली का उल्लेख मिलता है।
  • जैसलमेर
    • स्थान एवं महत्त्व: जैसलमेर, जिसे अक्सर "स्वर्ण नगरी" कहा जाता है, पश्चिमी राजस्थान में पाकिस्तान सीमा और थार रेगिस्तान के निकट स्थित है।
    • इसका प्रमुख स्थल जैसलमेर किला है, जिसे सोनार किला (स्वर्ण किला) भी कहा जाता है, जो एक जीवित किला होने के कारण अद्वितीय है।
    • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: जैसलमेर की स्थापना वर्ष 1156 में यदुवंशी वंश के वंशज रावल जैसल ने की थी। लोदुर्वा की गद्दी से वंचित होने के बाद, जैसल ने ऋषि ईसुल (स्थानीय साधु) की भविष्यवाणी के अनुसार एक नई राजधानी की तलाश की।
    • सांस्कृतिक विरासत: जैसलमेर की सांस्कृतिक और स्थापत्य सुंदरता इसकी राजपूत विरासत से प्रभावित है, जिसमें भाटी राजपूतों का भी प्रभाव है।
    • भूवैज्ञानिक महत्त्व: जैसलमेर में वुड फॉसिल पार्क (आकल) में थार रेगिस्तान के जीवाश्मों को प्रदर्शित किया गया है, जो 180 मिलियन वर्ष पुराने भूवैज्ञानिक इतिहास की झलक दिखाते हैं।
    • स्वतंत्रता के बाद: जैसलमेर राज्य ने 7 अप्रैल 1949 को भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर किये और भारतीय संघ में विलय हो गया।

मराठा

  • उद्गम एवं भाषा:
    • मराठा, जिनकी भाषा मराठी है, दक्कन के पठार के मूल निवासी हैं, जो मुख्यतः वर्तमान महाराष्ट्र में स्थित हैं।
  • शिवाजी महाराज और मराठा शक्ति का उदय:
    • वर्ष 1630 में जन्मे शिवाजी, भोंसले वंश से संबंधित थे और उन्होंने स्वराज्य (सत्ता/संप्रभुता) स्थापित करने का लक्ष्य रखा।
    • मात्र 16 वर्ष की आयु में उन्होंने पुणे क्षेत्र के किलों पर नियंत्रण प्राप्त करना प्रारंभ किया और अपना प्रभाव बढ़ाया।
    • उन्होंने बीजापुर सल्तनत के विरुद्ध गुरिल्ला युद्ध रणनीति अपनाई और अफज़ल खान जैसे सेनापतियों को पराजित किया।
    • शिवाजी की मृत्यु के बाद, संभाजी (शिवाजी के पुत्र) छत्रपति बने। उन्हें औरंगजेब ने बंदी बनाकर मृत्युदंड दे दिया।
  • मराठा संगठनात्मक परिवर्तन:
    • शिवाजी की मृत्यु के पश्चात मराठा सत्ता विकेंद्रीकृत हो गई और पेशवा का प्रभाव बढ़ गया।
    • मराठों ने पूरे भारत में विस्तार किया और कुछ समय के लिये लाहौर, अटक तथा पेशावर के कुछ हिस्सों पर नियंत्रण किया।


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