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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    ‘जैव ईंधन को वर्तमान में ऊर्जा आवश्कताओं को पूरा करने का एक सक्षम साधन माना जा रहा है।‘इस कथन के अलोक में केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत जैव ईंधन नीति, 2018 से होने वाले संभावित लाभों की चर्चा करें।

    30 May, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा :

    • जैव ईधन नीति 2018 की चर्चा करें।
    • इससे होने वाले संभावित लाभ क्या हैं ?
    • क्या यह वर्तमान ऊर्जा आवश्कताओं को पूरा करने में सक्षम है?
    • निष्कर्ष।

    केंद्र सरकार ने जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018 को मंजूरी दी जिसमें पेट्रोल के साथ मिलाए जाने वाले एथेनॉल के उत्पादन के लिये कच्चे माल का दायरा बढ़ाते हुए गन्ना, चुकंदर, अनुपयुक्त, अनाज, और आलू आदि की अनुमति दी गई है। 

    संभावित लाभ

    1. आयात निर्भरता कम होगीः एक करोड़ लीटर जैव ईंधन उत्पादन लगभग 20 करोड़ की विदेशी मुद्रा की बचत करेगा। वर्ष 2017-18 में लगभग 150 लीटर इथनॉल की आपूर्ति की उम्मीद जताई गई जिससे 4000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
    2. स्वच्छ पर्यावरणः उपर्युक्त मात्रा में ईंधन उपयोग से लगभग 20,000 हजार टन कार्बन डाई- ऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा। फसल जलाने में कमी लाने और कृषि संबंधी अवशिष्ट कचरे को जैव ईंधनों में बदलकर ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी आएगी।
    3. स्वास्थ्य संबंधी लाभः खाना हेतु खासतौर से तलने के लिये लंबे समय तक उसका दोबारा इस्तेमाल करने से स्वास्थ्य के लिये खतरा पैदा हो सकता है। इस्तेमाल हो चुका खाना पकाने का तेल जैव ईंधन के लिये संभावित फीडस्टॉक हो सकता है।
    4. ग्रामीण इलाकों में आधारभूत संरचना निवेशः एक अनुमान के अनुसार, एक 100 केएलपीडी जैव रिफाइनरी के लिये करीब 800 करोड़ रुपए के पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है। देश में 2जी जैव रिफाइनरियों से ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत संरचना में निवेश के लिये प्रोत्साहित किया जा सकेगा।
    5. रोज़गार सृजनः जैव रिफाइनरी संयत्र परिचालनों, ग्रामीण स्तर के उद्यमों और आपूर्ति  श्रृंखला प्रबंधन में 1200 नौकरियाँ देने में योगदान दे सकता है।
    6. किसानों की अतिरिक्त आयः इस प्रौद्योगिकी को अपनाकर कृषि संबंधी अवशिष्टों को इथेनॉल में बदला जा सकता है और यदि इसके लिये बाज़ार विकसित किया जाए तो कचरे का मूल्य मिल सकता है जिसे किसान सामान्य तौर पर जला देते हैं।

    भारत में जैव ईंधनों का रणनीतिक महत्त्व है, क्योंकि ये सरकार की वर्तमान पहलों- मेक इन इंडिया, कौशल विकास, किसानों की आमदनी दोगुनी करने, आयात कम करने, रोज़गार सृजन, कचरे से धन सृजन जैसे  महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों को जोड़ने का अवसर प्रदान करता है।

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