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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    विश्व नागरिक उड्डयन उद्योग विस्तार के एक नए युग में प्रवेश कर चुका है जो किसी भी अर्थव्यवस्था के लिये एक ‘गुणक प्रभाव’ के रूप में जाना जाता है। लेकिन भारत का विमानन उद्योग अभी भी इस संदर्भ में विकास के मामले में काफी हद तक अप्रयुक्त बना हुआ है। समीक्षा करें।

    21 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा :

    • अर्थव्यवस्था में उड्डयन उद्योग के गुणक प्रभावों का उल्लेख करें ।
    • भारत में उड्डयन उद्योग की वर्तमान स्थिति।
    • उड्डयन उद्योग क्षमताओं का दोहन क्यों नहीं कर पाया?
    • सरकार द्वारा किये गये प्रयास।

    वर्तमान में विश्व नागरिक उड्डयन उद्योग तीव्र वृद्धि के साथ विस्तारित हो रहा है। यह बहुआयामी रूप में जैसे- विनिर्माण, पर्यटन, रोज़गार सृजन, कनेक्टिविटी आदि के माध्यम से अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान करता है। अर्थात् यह किसी अर्थव्यवस्था पर गुणक प्रभाव के रूप में माना जाता है।

    भारत में भी नागरिक उड्डयन उद्योग तीव्रता से आगे बढ़ रहा है। वर्तमान में यहाँ लगभग 12 घरेलू एयरलाइन्स तथा 60 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय एयरलाइन्स संचालित हैं। भारत की विशिष्ट भौगोलिक अवस्थिति इस उद्योग के लिये पुश फैक्टर का कार्य करती है। इन सब के बावजूद भी भारत में नागरिक उड्डयन उद्योग अपनी क्षमताओं का दोहन नहीं कर पाया है।

    जैसे-

    • उच्च पारिवारिक आय (Higher household income)
    • मज़बूत आर्थिक वृद्धि।
    • Entry of low cost carriers
    • घरेलू एयरलाइन्स में FDI में तीव्र वृद्धि।
    • पर्यटन अंतर्प्रवाह में वृद्धि
    • Surging cargo movement
    • Cutting edge information technology interventions.

    इसका कारण है-

    • उड्डयन उद्योग अत्यधिक ऋण से ग्रस्त है।
    • नीतिगत गतिहीनता (Policy Paralysis)- सरकार दीर्घकालीन दृष्टिकोण से एक प्रभावशाली नीति बनाने में असमर्थ रही है। फलस्वरूप एक तरफ विनिर्माण से जुड़ा क्षेत्र पिछड़ गया वहीं दूसरी तरफ पर्याप्त श्रमबल तैयार नहीं  किया जा सका।
    • एयर फ्यूल की कमी व अति उच्च कीमत।
    • कमज़ोर विनियमन- कमज़ोर विनियमन के कारण उद्योग, नए प्रतिभागियों के लिये उचित प्रतिस्पर्द्धा का स्तर उपलब्ध नहीं करा पाया। अभी भी सार्वजनिक क्षेत्र का एकाधिकार। नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) भी बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप नियमन में असफल रहा है।
    • हवाई अड्डों की कमज़ोर स्थिति व अपर्याप्तता।
    • निम्न रख-रखाव तथा बजट के फलस्वरूप वित्तीय तनाव (Financial stress) यात्रियों की सुरक्षा के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाता है।
    • जटिल कर ढाँचा।
    • उपर्युक्त चुनौतियों को देखते हुए सरकार द्वारा हाल ही में अनेक प्रयास किये गए हैं, जिसके अंतर्गत-
    • राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति-2016
    • इस नीति के अंतर्गत 100% निवेश (हरित प्रोजेक्ट के लिये)
    • 2016-17 के बजट में MRO (Maintenance, Repair and overhaul) के लिये अनेक प्रावधान किये गए हैं।

    सरकार के ये प्रयास न केवल नागरिक उड्डयन उद्योग की वृद्धि दर को तीव्र करेंगे बल्कि भारत को 2020 तक तृतीय स्थान पर व 2027 तक प्रथम स्थान पर लाने के लक्ष्य को वास्तविकता प्रदान करने में सहायक होंगें।

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