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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    नई राष्ट्रीय शहरी नीति तैयार करने से पूर्व नीति-निर्धारकों को पिछली नीतियों की विफलताओं और कमियों का भी मूल्यांकन करना चाहिये अन्यथा पिछली गलतियाँ दोहराये जाने का खतरा बना रहेगा। चर्चा करें।

    21 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा :

    • नई राष्ट्रीय शहरी नीति  क्या है ?
    • विफलताओं के कारण
    • अपेक्षित सुधार क्या होने चाहिये?

    एक अनुमान के अनुसार 2030 तक भारत की संभावित 1.5 अरब आबादी का 50 प्रतिशत हिस्सा शहरों में निवास करेगा। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार नई राष्ट्रीय शहरी नीति तैयार करने पर विचार कर रही है जो निम्नलिखित दस शहरी सूत्रों पर आधारित होगीः

    1. सहकारी संघवाद
    2. परस्पर निर्भर अर्थव्यवस्थाएँ
    3. ग्रामीण-शहरी व्यवस्था का सतत् उपयोग
    4. समावेशी विकास
    5. टिकाऊपन
    6. स्थानीय स्तर के संस्थानों का सशक्तिकरण
    7. आवासीय और शहरी बुनियादी ढाँचा
    8. शहरी वित्त व्यवस्था
    9. लैंगिक समानता सहित सामाजिक न्याय
    10. सुदृढ़ शहरी सूचना प्रणाली

    नई नीति शुरू करने से पूर्व यह अपेक्षित है कि इस प्रयास के दौरान न सिर्फ वर्तमान और पूर्ववर्ती कार्यक्रमों के गुण-दोषों की विवेचना हो बल्कि अन्य वृहत् प्रयासों की सफलताओं तथा विफलताओं से भी सीख ली जाए जिनके ज़रिये शहरों और शहरीकरण के सवालों से निपटने की कोशिश की गई थी।

    2005 में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन की शुरुआत की गई जिसका उद्देश्य शहरों के जीवन और बुनियादी ढाँचे की गुणवत्ता में सुधार करना था। इस योजना से यह अनुभव किया गया कि शहरी शासन के मूलभूत सिद्धांतों से तालमेल बिठाए बगैर इसे लागू किया गया था। परिणामस्वरूप सुधार के मद्देनज़र जो उपलब्धियाँ हासिल हुई वो बहुत मामूली थीं।

    राष्ट्रीय शहरीकरण आयोग द्वारा पेश रिपोर्ट में कई शहरी विषयों को विस्तार से शामिल किया गया था। इनमें शहरीकरण के आयाम, व्यापक नियोजन, शहरी प्रबंधन, जल, परिवहन, सूचना प्रणाली आदि प्रमुख थे। वर्तमान नीति निर्धारकों से यह अपेक्षित है कि वे इन सिफारिशों की पड़ताल करें और पता करें कि इनमें से किन सिफारिशों को सही तरीके से लागू किया गया और किन्हें खारिज कर दिया गया। क्या इनमें आज भी कोई सिफारिश प्रासंगिक है?

    इसी प्रकार इसका भी मूल्यांकन आवश्यक है कि 74वें संविधान संशोधन जिसका उद्देश्य शहरी स्थानीय स्वायत्तता को अमली जामा पहनाना था, इसके द्वारा जिन लक्ष्यों को प्राप्त किया जाना था उन्हें प्राप्त करने में हम कहाँ तक सफल हुए?

    उपर्युक्त खामियों को दूर करने के लिये आवश्यक है कि नई नीति में खाली जमीन का उपयोग करने की बजाय आबादी के पास शहर बसाने पर अधिक ध्यान दिया जाए। शहरी नियोजन के क्रम में शहरी योजनाओं की जड़ता को दूर कर उन्हें अधिक लचीला बनाया जाए। राज्यों को एक ऐसा अवसर देना चाहिये जहाँ राज्य अपनी नीतियाँ स्वयं बना सकें। यह ज़रूरी है कि नीति संबंधी मसौदे को टिप्पणियों और प्रतिक्रियाओं के लिये नागरिक समाज के बीच प्रसारित किया जाए।

    2014 के बाद केंद्र सरकार ने शहरों पर केंद्रित क्रार्यक्रमों में जल, सीवरेज, वर्षा जल निकासी, सार्वजनिक परिवहन और सुविधाओं को ध्यान में रखकर अमृत, पुनर्संयोजन, पुनर्विकास, हरित क्षेत्र विकास और पूरे शहर में स्मार्ट समाधान के उपयोग के साथ स्मार्ट सिटीज़ मिशन और ऐतिहासिक शहरों के सर्वांगीण विकास पर केंद्रित विरासत शहर विकास एवं विस्तार शामिल हैं। इन महत्त्वाकांक्षी योजनाओं की समय-समय पर समीक्षा कर विधानों व नियमों पर नज़र डालनी होगी तथा समयानुसार उनमें परिवर्तन करने होंगे।

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