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प्रश्न :
एक तेज़ी से विकसित हो रहे ज़िले की डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट रितिका शर्मा को छात्रों और युवा पेशेवरों में मादक द्रव्य के बढ़ते उपयोग में लगातार वृद्धि की चिंताजनक रिपोर्ट्स मिली हैं। पिछले कुछ हफ्तों में, कई घटनाओं ने चिंता बढ़ा दी है: एक बर्थडे पार्टी के दौरान सिंथेटिक ड्रग्स का सेवन करने के बाद पाँच कॉलेज छात्रों को ज़िला अस्पताल में भर्ती कराया गया; पुलिस ने हेल्थ सप्लीमेंट्स के नाम पर रखे गए मादक पदार्थों से भरे एक कूरियर पार्सल को पकड़ा, साथ ही कई स्कूल काउंसलरों ने छात्रों में व्यवहारगत परिवर्तन तथा कक्षा में अनुपस्थित रहने के मामलों की सूचना दी जो संभवतः नशे की लत से जुड़े प्रतीत होते हैं।
प्रारंभिक जाँच से पता चलता है कि मादक पदार्थों का वितरण एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप्स और एनॉनिमस डिजिटल वॉलेट्स के माध्यम से किया जा रहा है। गुप्त सूचनाओं से संकेत मिलता है कि इस नेटवर्क में एक स्थानीय नाइटक्लब मालिक, कुछ प्रभावशाली बिज़नेसमैन तथा कुछ कॉलेज स्टाफ शामिल हैं जो कथित तौर पर कैंपस इवेंट्स के दौरान तथ्यों पर ‘ध्यान न देने’ का रवैया अपनाते हैं। रीतिका एक कार्ययोजना प्रस्तावित करती हैं जिसमें NDPS अधिनियम के लक्षित प्रवर्तन, औचक निरीक्षण, शैक्षणिक संस्थानों में अनिवार्य परामर्श सत्र और अभिभावकों व सामुदायिक समूहों के साथ सहयोग शामिल है।हालाँकि जैसे ही यह प्रस्ताव सार्वजनिक होता है, विरोध शुरू हो जाता है। अभिभावक संघ प्रशासन पर ‘युवाओं के प्रयोगात्मक चरण को अपराधीकरण’ करने का आरोप लगाते हैं और तर्क देते हैं कि सख्त कार्रवाई से छात्रों पर कलंक लग सकता है। नाइटक्लब तथा हॉस्पिटैलिटी लॉबी चेतावनी देती है कि छापेमारी और सख्त पुलिसिंग से ज़िले के व्यावसायिक वातावरण को नुकसान पहुँचेगा। कुछ गैर-सरकारी संगठन प्रशासन की कार्यशैली को हस्तक्षेपकारी बताते हैं और बल देते हैं कि नशे की समस्या को मुख्यतः स्वास्थ्य और अधिकार-आधारित दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिये। स्थानीय मीडिया चैनल इस कार्रवाई को सार्वजनिक सुरक्षा की आवश्यकता के बजाय मोरल पुलिसिंग के तौर पर दिखाते हुए डिबेट चलाते हैं। राजनीतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्ति रीतिका पर दबाव डालने लगते हैं कि आगामी स्थानीय चुनावों से पहले ऐसे निर्णय लेने से बचने की सलाह देते हैं जिनसे विवाद हो सकता है।
इसी बीच ज़िला एंटी-नारकोटिक्स यूनिट चेतावनी देती है कि विलंब से उभरते हुए ड्रग नेटवर्क को और मज़बूती मिल सकती है। चिकित्सा विशेषज्ञ मादक द्रव्य संबंधी आपात मामलों में तीव्र वृद्धि पर चिंता व्यक्त करते हैं और आगाह करते हैं कि उपचार न होने पर नशे की प्रारंभिक अवस्था शीघ्र ही गंभीर रूप ले सकती है। रीतिका स्वयं को कठिन दुविधा के बीच पाती हैं, जहाँ उनके समक्ष युवाओं की भलाई की रक्षा एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं का सम्मान करने तथा कठोर विधिक प्रवर्तन एवं संवेदनशील, पुनर्वास-उन्मुख दृष्टिकोण के बीच संतुलन स्थापित करने की चुनौती है। उन्हें पता है कि उनके इस निर्णय का सार्वजनिक स्वास्थ्य, प्रशासनिक विश्वसनीयता तथा युवाओं एवं राज्य के बीच भरोसे पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा।प्रश्न:
21 Nov, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
(A) इस परिस्थिति में रीतिका किन प्रमुख नैतिक दुविधाओं का सामना कर रही हैं?
(B) इस प्रकरण में परस्पर-विरोधी मूल्यों और सिद्धांतों का अभिनिर्धारण कर उनका विश्लेषण कीजिये।
(C) रीतिका के पास उपलब्ध संभावित कार्रवाइयों का मूल्यांकन कीजिये तथा उनके संभावित परिणाम स्पष्ट कीजिये।
(D) रीतिका द्वारा अपनायी जाने वाली सबसे नैतिक और प्रशासनिक दृष्टि से उचित कार्रवाई क्या होनी चाहिये जिससे मादक पदार्थ के सेवन की बढ़ती समस्या का समाधान हो सके?उत्तर :
परिचय:
रितिका शर्मा के ज़िले में बढ़ते मादक पदार्थों के उपयोग से सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिमों, संगठित अपराध, युवा कल्याण और सामाजिक-राजनीतिक दबावों से जुड़ी एक जटिल शासन चुनौती सामने आती है। ज़िला मजिस्ट्रेट के रूप में रितिका को विधि प्रवर्तन और करुणा के बीच संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता है, साथ ही दीर्घकालिक सामाजिक विश्वास एवं प्रशासनिक विश्वसनीयता भी सुनिश्चित करनी होगी।
मुख्य भाग:
1. नैतिक दुविधाएँ
- सार्वजनिक सुरक्षा बनाम व्यक्तिगत स्वतंत्रता: युवाओं की सुरक्षा के लिये NDPS कानून का सख्त प्रवर्तन आवश्यक है, किंतु अत्यधिक सख्ती को प्रयोगात्मक व्यवहार का अपराधीकरण मानकर स्वायत्तता और निजता के उल्लंघन के रूप में देखा जा सकता है।
- दंडात्मक कार्रवाई बनाम पुनर्वास: चिकित्सीय विशेषज्ञ शीघ्र उपचार पर बल देते हैं, जबकि दंडात्मक उपाय छात्रों को सहायता मांगने से हतोत्साहित कर सकते हैं। रितिका को प्रतिशोधात्मक और सुधारात्मक दृष्टिकोण में से किसी एक का चयन करना होगा।
- प्रशासनिक निष्पक्षता बनाम राजनीतिक दबाव: राजनीतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्ति चुनावों से पहले संयम बरतने की सलाह देते हैं, जिससे रितिका की सत्यनिष्ठा और निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।
- आर्थिक हित बनाम सामाजिक उत्तरदायित्व: नाइटक्लब और आतिथ्य सत्कार क्षेत्र छापेमारी के कारण राजस्व हानि की आशंका जताते हैं, जबकि मादक पदार्थों का अनियंत्रित दुरुपयोग दीर्घकालिक मानव पूंजी के लिये खतरा है।
- अल्पकालिक लोकप्रियता बनाम दीर्घकालिक सामाजिक कल्याण: मीडिया की आलोचना और गैर-सरकारी संगठनों का विरोध निर्णायक कार्रवाई को रोक सकता है, जिससे ड्रग नेटवर्क (मादक पदार्थों का नेटवर्क) को अपनी जड़ें मज़बूत करने का अवसर मिल सकता है।
2. परस्पर विरोधी मूल्य और सिद्धांत
- विधि का शासन: NDPS अधिनियम मादक पदार्थों की तस्करी और उसे सक्षम बनाने वाली संस्थाओं के विरुद्ध कार्रवाई अनिवार्य करता है।
- जन स्वास्थ्य एवं उपकारिता: संवेदनशील युवाओं को बढ़ती लत से बचाना।
- न्याय और उत्तरदायित्व: आपूर्तिकर्त्ताओं, सहायक तत्त्वों और संलिप्त कर्मचारियों को उत्तरदायी ठहराना।
- स्वायत्तता और निजता: विद्यार्थियों की गरिमा का सम्मान करना और उन्हें अनावश्यक कलंक से बचना।
- अहिंसा सिद्धांत: अत्यधिक पुलिसिंग, नैतिक भय या आर्थिक व्यवधान से होने वाली क्षति से बचाव।
- प्रशासनिक सत्यनिष्ठा: राजनीतिक दबाव का प्रतिरोध और निष्पक्षता का पालन करना।
- विश्वास और सामाजिक सामंजस्य: राज्य की कार्रवाई पर समुदाय का भरोसा बनाये रखना।
3. संभावित कार्य-विकल्पों का मूल्यांकन
- विकल्प 1: NDPS के विरुद्ध कड़ी और दंडात्मक कार्रवाई
- लाभ: मादक पदार्थों के नेटवर्क का तेज़ी से विघटन करता है; भविष्य में अपराध करने वालों को रोकता है।
- नकारात्मक पक्ष: युवाओं पर कलंक, सामाजिक प्रतिरोध, व्यवसायों की साख को क्षति और नैतिक पुलिसिंग का आरोप।
- विकल्प 2: पूरी तरह से स्वास्थ्य-उन्मुख, अधिकार-आधारित दृष्टिकोण
- लाभ: स्वैच्छिक उपचार को प्रोत्साहित करता है; युवाओं की गरिमा की रक्षा करता है; आधुनिक नशा मुक्ति देखभाल मॉडलों के अनुरूप है।
- नकारात्मक पक्ष: तस्करी पर अंकुश लगाने के लिये अपर्याप्त; संगठित नेटवर्क को विस्तार करने की अनुमति देता है।
- विकल्प 3: सामाजिक/राजनीतिक के कारण कार्रवाई में विलंब या न्यूनतम कार्रवाई
- लाभ: अल्पकालिक विवादों से बचा जा सकता है।
- नकारात्मक पक्ष: नैतिक रूप से अस्वीकार्य; नेटवर्क मज़बूत हो जाता है; जनता का विश्वास कम हो जाता है; मादक पदार्थों का दुरुपयोग बढ़ जाता है।
- विकल्प 4: संतुलित, बहुआयामी कार्रवाई
- लाभ: कानून प्रवर्तन का पुनर्वास के साथ समन्वय; आपूर्तिकर्त्ताओं को लक्षित करता है, छात्रों की रक्षा करता है; सामुदायिक समर्थन प्राप्त करता है; प्रशासनिक वैधता बनाए रखता है।
- नकारात्मक पक्ष: इसके लिये समन्वय, संप्रेषण और हितधारक प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
4. अनुशंसित नैतिक और प्रशासनिक रूप से उपयुक्त कार्रवाई
- NDPS के तहत लक्षित प्रवर्तन:
- तस्करों, नाइट क्लब मालिकों, भ्रष्ट व्यापारियों और मिलीभगत करने वाले कर्मचारियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
- नैतिक पुलिसिंग के आरोपों से बचने के लिये पारदर्शी, मानक परिचालन प्रक्रियाओं (SOP) पर आधारित निरीक्षण करना चाहिये।
- युवा-अनुकूल पुनर्वास कार्यढाँचा:
- अनिवार्य परामर्श, कैंपस हेल्पलाइन, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और नशामुक्ति केंद्रों में रेफरल सुनिश्चित करना चाहिये।
- पहली बार मादक पदार्थों का सेवन करने वाले युवाओं को अपराधी बनाने के बजाय उनकी देखभाल और उपचार सुनिश्चित करनी चाहिये।
- डिजिटल निगरानी और खुफिया समन्वय:
- साइबर यूनिटों की सहायता से एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग नेटवर्क, गुमनाम वॉलेट और कूरियर चैनलों पर नज़र रखना चाहिये।
- सामुदायिक सहभागिता और संप्रेषण:
- जागरूकता अभियानों में अभिभावकों, स्कूलों, गैर सरकारी संगठनों और छात्रों को शामिल करना चाहिये।
- मीडिया ब्रीफिंग का उपयोग यह समझाने के लिये करना चाहिये कि इस पहल का उद्देश्य युवाओं की रक्षा करना है, न कि उन्हें दंडित करना।
- सत्यनिष्ठा और निष्पक्षता सुनिश्चित करना:
- निर्णयों का दस्तावेजीकरण और राजनीतिक दबाव का विरोध करना चाहिये तथा निष्पक्षता एवं पारदर्शिता बनाए रखना चाहिये।
निष्कर्ष
सबसे नैतिक दृष्टिकोण वही है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करते हुए व्यक्तिगत गरिमा का सम्मान करे। मादक पदार्थों के नेटवर्क के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई और युवाओं के लिये करुणामय, समुदाय-आधारित पुनर्वास को एकीकृत करके रितिका विधि के शासन को सुदृढ़ कर सकती हैं, ज़िले के भविष्य की रक्षा कर सकती हैं और नागरिकों का विश्वास बनाये रख सकती हैं।
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