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प्रश्न :
प्रश्न. क्या मूल्य कानूनों से पहले स्थापित होते हैं, या कानून मूल्य निर्माण करते हैं? समाज में नैतिक मानदंडों के विकास के संदर्भ में विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)
25 Sep, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- मूल्य और कानूनों के संबंध में संक्षिप्त जानकारी देते हुए उत्तर लिखिये।
- कानूनों से पहले के मूल्यों के पक्ष में तर्क दीजिये - कानूनी प्रणालियों का नैतिक आधार
- मूल्यों को आकार देने वाले कानूनों के पक्ष में तर्क दीजिये - समय के साथ नैतिकता का संस्थागतकरण
- नैतिक मानदंडों के विकास के संबंध में गहराई से अध्ययन कीजिये - एक पारस्परिक संबंध
- संतुलित रूप से उपयुक्त रूप से निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
मूल्य और कानून किसी भी समाज का आधार हैं। जहाँ मूल्य सामूहिक नैतिक चेतना का प्रतिनिधित्व करते हैं, वहीं कानून स्वीकार्य आचरण को लागू करने योग्य नियमों के माध्यम से औपचारिक रूप प्रदान करते हैं। यह प्रश्न कि क्या मूल्य कानून से पहले स्थापित होते हैं या कानून मूल्य से, जटिल है, क्योंकि ऐतिहासिक रूप से दोनों ने नैतिक मानदंडों के विकास में परस्पर प्रभाव डाला है।
मुख्य भाग:
कानूनों से पहले मूल्य – कानूनी प्रणालियों का नैतिक आधार
- प्राकृतिक कानून परंपरा: चिंतकों जैसे कि सिसेरो का तर्क था कि कानून (प्राकृतिक कानून) न्याय, स्वतंत्रता और समता जैसे सार्वभौमिक नैतिक मूल्यों से वैधता प्राप्त करते हैं।
- ऐतिहासिक उदाहरण:
- सती प्रथा का उन्मूलन (1829): राजा राम मोहन राय जैसे सुधारकों द्वारा प्रेरित, जो बदलते नैतिक मूल्यों में निहित था।
- स्वतंत्रता संग्राम: गांधी का सत्याग्रह अहिंसा और सत्य के नैतिक सिद्धांतों पर आधारित था, इससे पहले कि स्वतंत्रता कानूनी रूप से सुनिश्चित हो।
कानूनों द्वारा मूल्यों का निर्माण – समय के साथ नैतिकता को संस्थागत रूप देना
- परिवर्तनकारी संवैधानिकतावाद:
- नवतेज सिंह जोहर बनाम भारत संघ (2018): समलैंगिकता को अपराध न मानना समाज को गहरे निहित पूर्वाग्रहों पर पुनर्विचार करने में सहायता प्रदान करता है।
- तीन तलाक का निर्णय: कानून को लिंग न्याय का साधन बनाया गया।
- कानून के माध्यम से व्यवहार में परिवर्तन:
- स्वच्छ भारत अभियान: स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य के मूल्यों को बदल दिया।
- मोटर वाहन अधिनियम 1988 (साथ ही बाद में संशोधन): सड़क सुरक्षा को लागू कर नागरिक ज़िम्मेदारी को आकार दिया।
- कानूनी निषेध का समय के साथ आंतरिककरण:
- बाल विवाह, दहेज और मैनुअल स्कैवेंजिंग: कभी सामान्य माने जाने वाले व्यवहार अब कानूनी सुधारों के कारण असामाजिक और अनैतिक माने जाते हैं।
नैतिक मानकों का विकास – एक परस्पर संबंध
पहलू मूल्य कानून से पहले कानून मूल्य का निर्माण करते हैं उत्पत्ति नैतिक जागरूकता संस्थागत हस्तक्षेप प्रेरक सुधारक, नागरिक समाज विधायिका, न्यायपालिका प्रकृति नीचे से ऊपर (Bottom-up) ऊपर से नीचे (Top-down) उदाहरण पर्यावरणवाद, महिलाओं के अधिकार सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, शिक्षा का अधिकार (RTE), LGBTQ+ अधिकार निष्कर्ष:
समाज के गतिशील नैतिक परिदृश्य में, मूल्य और कानून परस्पर निर्भर हैं। जहाँ मूल्य अक्सर कानूनी ढाँचों के लिये पूर्वसूचक और नैतिक मार्गदर्शक का कार्य करते हैं, वहीं कानून समाज के मूल्यों को आकार देने, उन्हें दृढ़ करने और आधुनिक बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, विशेष रूप से एक बहुलवादी और विकसित होती लोकतंत्र जैसे भारत में। एक न्यायपूर्ण समाज के लिये लोगों की नैतिक दृष्टि और कानून की मानक शक्ति के बीच सामंजस्य आवश्यक है।
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