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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    निबंध विषय

    प्रश्न. आप जो चाहते हैं उसकी कल्पना करते हैं, आप जो कल्पना करते हैं उसे पूरा करते हैं और अंततः आप जो चाहते हैं उसे रचते हैं। (1200 शब्द)

    प्रश्न. सिर्फ खड़े होकर पानी देखने से आप समंदर पार नहीं कर सकते। (1200 शब्द)

    20 Sep, 2025 निबंध लेखन निबंध

    उत्तर :

    1. आप जो चाहते हैं उसकी कल्पना करते हैं, आप जो कल्पना करते हैं उसे पूरा करते हैं और अंततः आप जो चाहते हैं उसे रचते हैं। (1200 शब्द)

    अपने निबंध को समृद्ध करने के लिये उद्धरण:

    • स्वामी विवेकानंद: “एक विचार लो। उस विचार को अपना जीवन बना लो, उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो, उस विचार को जियो।”
    • अब्दुल कलाम: “सपने देखो, सपने देखो, सपने देखो। सपने विचारों में बदल जाते हैं, और विचार कार्य में परिणत होते हैं।”
    • बुद्ध: “जो आप सोचते हैं, वही बन जाते हैं। जो महसूस करते हैं, उसे आकर्षित करते हैं। जिसकी कल्पना करते हैं, उसका निर्माण करते हैं।”

    सैद्धांतिक और दार्शनिक आयाम:

    • आकर्षण का सिद्धांत एवं दृष्टान्तीकरण (Law of Attraction & Visualization): मानव कल्पना उद्देश्यों को आकार देती है, और निरंतर इच्छाशक्ति इसे वास्तविकता में परिवर्तित कर देती है।
    • कर्म का दर्शन (भगवद् गीता): स्पष्ट उद्देश्य के साथ केन्द्रित कर्म परिणाम की ओर ले जाता है। इच्छा → संकल्प → सृजन।
    • अस्तित्ववादी विचार (Existentialist Thought): सार्त्र का विचार कि मानव अपनी चुनी हुई योजनाओं के माध्यम से खुद को परिभाषित करता है; कल्पना स्वतंत्रता को बढ़ावा देती है।
    • मनोवैज्ञानिक आयाम (Psychological Dimension): सकारात्मक दृष्टान्तीकरण प्रेरणा और सहनशीलता बढ़ाता है। एथलीट और नेता कल्पना को एक प्रदर्शन उपकरण के रूप में उपयोग करते हैं।
    • भारतीय दर्शन – संकल्प शक्ति (इच्छा शक्ति): समर्पण और धर्म के साथ प्रयास करने पर इच्छा भाग्य बन जाती है।

    नीति और ऐतिहासिक उदाहरण:

    • भारत का स्वतंत्रता संग्राम: स्वराज के स्वप्न से (तिलक, गांधी) → जनता की निरंतर इच्छाशक्ति → स्वतंत्र भारत का निर्माण।
    • अंतरिक्ष मिशन (इसरो): चंद्र/ग्रहीय मिशनों की कल्पना से (विक्रम साराभाई, कलाम) → दृढ़ इच्छाशक्ति → चंद्रयान और मंगलयान।
    • अमेरिका में नागरिक अधिकार आंदोलन: किंग का "मेरा एक सपना है" → जन-आंदोलन → विधायी परिवर्तन (नागरिक अधिकार अधिनियम, 1964)।
    • भारत का संविधान: न्याय, स्वतंत्रता और समानता की कल्पना → संविधान सभा की इच्छाशक्ति → एक जीवंत दस्तावेज़ का निर्माण।

    समकालीन उदाहरण:

    • स्टार्ट-अप इकोसिस्टम: संस्थापक नवोन्मेषी विचारों (जैसे, फ्लिपकार्ट, UPI, Paytm) की कल्पना करते हैं, चुनौतियों का सामना करते हुए उन्हें साकार करते हैं और नए उद्योगों का निर्माण करते हैं।
    • जलवायु कार्रवाई लक्ष्य: कार्बन-तटस्थ भविष्य की वैश्विक कल्पना → नीतिगत इच्छाशक्ति (पेरिस समझौता) → नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार।
    • डिजिटल इंडिया: समावेशी शासन का विज़न → राजनीतिक इच्छाशक्ति + तकनीकी नवाचार → UPI, जनधन–आधार–मोबाइल (JAM ट्रिनिटी)।
    • खेलों में प्रेरणा: नीरज चोपड़ा और मीराबाई चानू जैसे भारतीय खिलाड़ी अपने सपनों को ऐतिहासिक ओलंपिक उपलब्धियों में बदल दिया।
    • व्यक्तिगत परिवर्तन की कहानियाँ: मलाला यूसुफज़ई के शिक्षा के सपने से लेकर उनके नोबेल पुरस्कार विजेता अभियान तक।

    2. सिर्फ खड़े होकर पानी देखने से आप समंदर पार नहीं कर सकते।  (1200 शब्द)

    पने निबंध को समृद्ध करने के लिये उद्धरण:

    • रवींद्रनाथ टैगोर: “सिर्फ खड़े होकर पानी देखने से आप समंदर पार नहीं कर सकते।”
    • थॉमस एडिसन: “कार्यान्वयन के बिना दृष्टि भ्रम है।”
    • चाणक्य: “मनुष्य जन्म से नहीं, कर्म से महान होता है।”
    • ब्रूस ली: “जानना ही काफी नहीं हैं, हमें इसको इस्तेमाल करना आना चाहिये। इच्छा ही काफी नहीं हैं, हमें कुछ नया करना भी चाहिये।”

    सैद्धांतिक और दार्शनिक आयाम:

    • कर्म-प्रधान दर्शन (Action-Oriented Philosophy): प्रयास के बिना सपने केवल कल्पनाएँ ही रहते हैं। कर्मयोग पूर्णता की ओर जाने का मार्ग बताता है।
    • व्यावहारिकतावाद (विलियम जेम्स, जॉन डेवी): विचारों का मूल्य उनके व्यावहारिक परिणामों में निहित है।
    • बौद्ध धर्म – सम्यक प्रयास (Right Effort): मोक्ष के लिये निष्क्रिय चिन्तन नहीं, बल्कि अनुशासित अभ्यास आवश्यक है।
    • अस्तित्ववादी ज़ोर (Existentialist Emphasis): ज़िम्मेदारी कर्म में निहित है; विलंब करना स्वतंत्रता से वंचित करना है।
    • टालमटोल/विलंब का मनोविज्ञान (Psychology of Procrastination): भय, सुविधा और निष्क्रियता सफलता में बाधाएँ उत्पन्न करते हैं।

    नीति और ऐतिहासिक उदाहरण:

    • भारतीय स्वतंत्रता: निष्क्रिय इच्छा पर्याप्त नहीं थी; दांडी मार्च और भारत छोड़ो आंदोलन जैसी गतिविधियों ने दृष्टि को निर्णायक कर्म में बदल दिया।
    • हरित क्रांति: खाद्यान्न की कमी पर मात्र चिंता तब तक अप्रभावी थी जब तक कि साहसिक कृषि सुधार लागू नहीं किये गए।
    • महिला मताधिकार आंदोलन: अधिकार निरंतर सक्रियता के माध्यम से प्राप्त किये गए, मौन आशा से नहीं।
    • रंगभेद का उन्मूलन: मंडेला के संघर्ष ने दर्शाया कि मुक्ति के लिये निरंतर क्रियाशीलता आवश्यक थी, केवल चिंतन पर्याप्त नहीं था।

    समकालीन उदाहरण:

    • स्टार्ट-अप इंडिया: उद्यमी केवल विचारों से नहीं, बल्कि क्रियान्वयन, सहनशीलता और बाज़ार अनुकूलता से सफल होते हैं।
    • स्वच्छ भारत अभियान: स्वच्छता का दृष्टिकोण केवल जनभागीदारी और ज़मीनी स्तर पर क्रियान्वयन के माध्यम से साकार हुआ।
    • जलवायु संकट: केवल जलवायु परिवर्तन को स्वीकार करना पर्याप्त नहीं है; नवीकरणीय ऊर्जा, जीवनशैली परिवर्तन और नीतियों के माध्यम से कार्रवाई करना महत्त्वपूर्ण है।
    • व्यक्तिगत स्तर: UPSC की तैयारी कर रहे छात्र केवल योजना बनाने या पुस्तकों को देखने से सफल नहीं हो सकते; उन्हें दैनिक लेखन, संशोधन और अभ्यास करना आवश्यक है।

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