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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में जेंडर बजटिंग की आवश्यकताओं को समझाते हुए इसकी चुनौतियों को बताइये तथा इस संदर्भ में हाल के बजट में किये गए प्रयासों की चर्चा कीजिये।

    12 May, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • जेंडर बजटिंग क्या है?
    • जेंडर बजटिंग की आवश्यकता क्यों ?
    • चुनौतियाँ क्या हैं? तथा बजट के माध्यम से इनसे निपटने के लिए किये जा रहे प्रयास

    बजट किसी वित्तीय वर्ष में सरकार की आय-व्यय का वह अनुमानित दस्तावेज़ है जिसके माध्यम से सरकार द्वारा उपलब्ध संसाधनों को प्राथमिकता के आधार पर आवंटन कर अपनी नीतियों का संचालन किया जाता है।

    भारत सरकार ने वर्ष 2005-06 के बज़ट में लैंगिक संवेदनशीलता को रेखांकित करते हुए जेंडर बजटिंग की शुरुआत की। सरकार ने निम्नलिखित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु जेंडर बजटिंग को अपनाया है-

    • पुरुषों के ही समान महिलाओं की आवश्यकताओं व प्राथमिकताओं पर ध्यान देने हेतु।
    • बजट तैयार करने के क्रम में सभी स्तरों, जैसे- आवंटन, कार्यान्वयन, लेखापरीक्षा आदि पर लैंगिक विश्लेषण कर लैंगिक समानता के उद्देश्यों की प्राप्ति करना।
    • आर्थिक नीतियों को सामाजिक नीतियों के अनुरूप बनाकर समावेशी विकास को सकारात्मक दिशा प्रदान करना।
    • देश की लगभग 48 प्रतिशत महिला जनसंख्या जो कई सामाजिक सूचकों, जैसे- स्वास्थ्य, शिक्षा, आर्थिक अवसरों आदि में पुरुषों से पिछड़ रही है। जेंडर बजटिंग के माध्यम से सरकार उनकी भेद्यता को ध्यान में रखकर संसाधनों की पहुँच सुनिश्चित करती है।

    जेंडर बजटिंग को कार्यान्वित करने में सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है-

    • लैंगिक आँकड़ों की अपर्याप्तता सर्वप्रमुख चुनौती है। खासकर संसाधनों की पहुँच, अवसर सुरक्षा संबंधी अंतराल को भरने हेतु।
    • विधायी प्रक्रिया की सीमित हस्तक्षेप की शक्ति भी इसके कार्यान्वयन को बाधित करती है।
    • पारंपरिक बजटीय प्रक्रिया का प्रभाव अभी भी देखा जा रहा है। अतः सीमित संसाधनों के साथ पूर्वाग्रह व राजनीतिक इच्छाशक्ति में कमी भी महत्त्वपूर्ण नकारात्मक घटक है।

    लैंगिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखकर सरकार ने वर्ष 2018-19 के बजट में महिला केंद्रित कार्यक्रमों के लिये 4 प्रतिशत अधिक बजटीय आवंटन किया है। इसके अंतर्गत बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ, मातृत्व लाभ योजना, निर्भया फंड के आवंटन में वृद्धि की गई है। इसके अतिरिक्त उज्ज्वला योजना, मुद्रा योजना व स्टैंड-अप इंडिया जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से भी जेंडर बजटिंग को यथार्थ में बदलने की कोशिश की गई है।

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