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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    80वें और 88वें संविधान संशोधन ने केंद्र-राज्य वित्तीय संबंधों को परिवर्तित कर दिया तथा कैग ने इसे पुनःपरिभाषित किया है। स्पष्ट कीजिये।

    30 May, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा :

    • 80वें तथा 88वें संशोधन एवं कैग के संदर्भ में संक्षिप उल्लेख कीजिये।
    • संशोधन से पूर्व केंद्र-राज्य वित्तीय संबंधों की चर्चा ।
    • संशोधन पश्चात् भूमिका परिवर्तन
    • कैग द्वारा भूमिका को पुनःपरिभाषित किये जाने का उल्लेख कीजिये।
    • निष्कर्ष

    80वें संविधान संशोधन 2000 व 88वें संविधान संशोधन 2003 द्वारा केंद्र-राज्य के बीच राजस्व बँटवारे की योजना में व्यापक परिवर्तन किया गया। जीएसटी का पूरा नाम गुड्स एंड सर्विस टैक्स है जिसका आशय माल एवं सेवाओं के लिये राष्ट्रीय बाज़ार का सृजन करना है। इसे संविधान में 122वें संशोधन विधेयक के जरिये केंद्र और राज्यों द्वारा अनेक अप्रत्यक्ष करों के एवज में लगाया जा रहा है जिसने केंद्र-राज्य वित्त संबंधों की भूमिका को पुनःपरिभाषित करने का कार्य किया है।

    संशोधन से पूर्व केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा अनुच्छेद 270 व 272 के अनुसार था लेकिन संशोधन द्वारा 272 को समाप्त कर 270 में व्यापक परिवर्तन कर दिया गया। अनुच्छेद 270 में केंद्रीय सूची के साथ-साथ 268 एवं 269 में निर्दिष्ट करों व शुल्कों पर अधिभार एवं विशिष्ट उद्देश्यों के लिये उदग्रहित उपकर को छोड़कर विभाजन की व्यवस्था है। 

    80वाँ संविधान संशोधन 10वें वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिये किया गया था जिसने कुछ केंद्रीय करों एवं कराधानों से प्राप्त कुल आय का 29% राज्यों को दिलाने की सिफारिश की थी जिसे अवमूल्यन की वैकल्पिक योजना के रूप में जाना गया। इस संशोधन से आयकर के साथ-साथ निगम कर कस्टम ड्यूटी इत्यादि का प्रावधान किया गया।

    88वें संविधान संशोधन के द्वारा संविधान में एक नया अनुच्छेद 268-क जोड़ा गया जो सेवा कर से संबंधित था। इसने केंद्र सूची में भी एक नया विषय-प्रविष्टि 92-ग जोड़ा (सेवाओं पर कर)। सेवाओं पर कर केंद्र द्वारा लगाया जाता है लेकिन प्राप्तियाँ संसद द्वारा सुझाए फॉर्मूले के अनुसार केंद्र व राज्य द्वारा संगृहीत व विनियोजित की जाती हैं। 

    जीएसटी लागू होने के बाद वस्तुओं एवं सेवाओं पर केवल तीन तरह के टैक्स वसूल किये जाते हैं- पहला सीजीएसटी यानी सेंट्रल जीएसटी जो केंद्र सरकार वसूलेगी, दूसरा एसजीएसटी यानी स्टेट जीएसटी जो राज्य सरकार अपने यहाँ होने वाले कारोबार पर वसूलेगी, तीसरा यदि कोई कारोबार दो राज्यों के बीच होगा तो उस पर आईजीएसटी यानी इंटीग्रेटेड जीएसटी वसूला जाएगा, इसे केंद्र सरकार वसूल करेगी और दोनों राज्यों में समान अनुपात में बाँट दिया जाएगा। सभी वस्तुओं और सेवाओं को चार टैक्स स्लैब (5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत) में बाँटा गया है ।

    80वें व 88वें संविधान संशोधन की तरह जीएसटी के अंतर्गत राजस्व व स्वायत्तता की हानि की संवैधानिक गारंटी, केंद्रीय बिक्री कर के द्वारा राज्यों को बकाए का भुगतान, 75% के बहुमत से निर्णय लेने वाली परिषद में राज्यों की दो तिहाई भागीदारी सहयोगात्मक संघवाद की दिशा में उठाए गए सशक्त कदम हैं जिन्हें राष्ट्रीय हितों के अनुकूल बनाए रखने की आवश्यकता है।

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