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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे पर साइबर हमले के मुख्य कारण और परिणाम क्या हैं? ऐसे खतरों से निपटने के लिये भारत अपनी साइबर सुरक्षा तैयारियों को कैसे बढ़ा सकता है? (250 शब्द)

    21 Jun, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • साइबर अटैक/साइबर हमलों का संक्षिप्त में परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • इसके कारण एवं परिणाम की अलग से व्याख्या कीजिये।
    • साइबर सुरक्षा तैयारियों को बढ़ाने के कुछ तरीके लिखिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    भूमिका:

    महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे पर साइबर हमला (साइबर अटैक) का तात्पर्य किसी राष्ट्र के कामकाज में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली आवश्यक सेवाएँ और प्रणालियाँ जैसे पावर ग्रिड, परिवहन नेटवर्क, संचार प्रणाली, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं आदि को बाधित या क्षतिग्रस्त करने का दुर्भावनापूर्ण प्रयास से हैं।

    मुख्य भाग:

    महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे पर साइबर हमलों के मुख्य कारण:

    • तकनीकी में कमी:
      • कमज़ोर सुरक्षा उपाय: कमज़ोर सुरक्षा प्रोटोकॉल और पुराने सॉफ्टवेयर का अपर्याप्त कार्यान्वयन, जिनका साइबर अपराधी फायदा उठाते हैं।
      • सॉफ्टवेयर बग और उनका उपयोग: सॉफ्टवेयर कोड में कमज़ोरियों या अनदेखे बग का उपयोग हमलावरों द्वारा अनधिकृत पहुँच हेतु किया जा सकता है।
    • मानवीय कारक:
      • आंतरिक खतरा (इनसाइडर थ्रेअट्स): असंतुष्ट कर्मचारियों या ठेकेदारों जैसे इनसाइडर लोगों की दुर्भावनापूर्ण की गई कार्रवाइयाँ या अनजाने में की गई गलतियाँ, साइबर हमलों का कारण बन सकती हैं।
      • सोशल इंजीनियरिंग: अनधिकृत पहुँच या संवेदनशील जानकारी प्राप्त करने के लिये छल और मनोवैज्ञानिक तकनीकों के माध्यम से व्यक्तियों की जानकारी के साथ हेरफेर करना।
      • जागरूकता और प्रशिक्षण की कमी: साइबर खतरों, फिशिंग तकनीकों और सुरक्षित ऑनलाइन प्रथाओं के बारे में अपर्याप्त ज्ञान व्यक्तियों को हमलों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है।
    • एडवांस्ड परसिस्टेंट थ्रेट (APTs):
      • राज्य-प्रायोजित हमले: सरकारें या राज्य-प्रायोजित समूह रणनीतिक लाभ हासिल करने के लिये साइबर जासूसी या अंतर्ध्वंस जैसे नुकसान में संलग्न हो सकते हैं।
      • साइबर-आपराधिक संगठन: परिष्कृत क्षमताओं वाले संगठित आपराधिक समूह व्यवसायों और व्यक्तियों पर हमलों के माध्यम से वित्तीय लाभ प्राप्त करते हैं।
      • हैक्टिविज़्म: कार्यकर्त्ता या हैक्टिविस्ट समूह अपने वैचारिक या राजनीतिक एजेंडे को बढ़ावा देने के लिये संगठनों या व्यक्तियों को लक्षित कर सकते हैं।
    • साइबर सुरक्षा नीति और विनियमन:
      • अपर्याप्त कानूनी ढाँचा: साइबर सुरक्षा से संबंधित कमज़ोर या पुराने कानून व नियम अपर्याप्त अवरोध पैदा कर सकते हैं।
      • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का अभाव: साइबर हमले अक्सर राष्ट्रीय सीमाओं के बाहर किये जाते हैं, जिससे साइबर खतरों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिये वैश्विक सहयोग और सूचना साझा करना आवश्यक हो जाता है।
    • आर्थिक और वित्तीय प्रोत्साहन:
      • वित्तीय लाभ: साइबर अपराधी मौद्रिक पुरस्कारों से प्रेरित होते हैं, जैसे डार्क वेब पर बिक्री हेतु संवेदनशील जानकारी चुराना या रैंसमवेयर हमले।
      • आर्थिक जासूसी: प्रतिस्पर्द्धी संगठन या राष्ट्र-राज्य बौद्धिक संपदा की चोरी करके प्रतिस्पर्द्धात्मक लाभ हासिल करने के लिये साइबर हमलों में शामिल हो सकते हैं।

    महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे पर साइबर हमलों के मुख्य परिणाम:

    • जान-माल की हानि:
      • प्राकृतिक क्षति या स्वास्थ्य देखभाल, जल आपूर्ति, आपातकालीन प्रतिक्रिया आदि जैसी महत्त्वपूर्ण सेवाओं के व्यवधान के कारण जीवन और संपत्ति की हानि।
    • विश्वास की कमी:
      • व्यक्तिगत या आधिकारिक डेटा एवं जानकारी की गोपनीयता, सुरक्षा और अखंडता के उल्लंघन के कारण विश्वास और आत्मविश्वास की कमी।
    • आर्थिक हानि:
      • उत्पादकता, दक्षता, नवाचार और व्यापार में कमी के कारण आर्थिक विकास और प्रतिस्पर्द्धात्मकता का नुकसान।
    • राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा:
      • कूटनीतिक संपत्तियों, कमज़ोरियों और रहस्यों के उज़ागर होने के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता को खतरा।

    भारत उपर्युक्त खतरों से निपटने के लिये निम्नलिखित उपायों द्वारा अपनी साइबर सुरक्षा संबंधी तैयारियों में वृद्धि कर सकता है:

    • साइबर सुरक्षा प्रशासन, समन्वय, विनियमन और प्रवर्तन के लिये अपने कानूनी और संस्थागत ढाँचे को मज़बूत करके।
    • साइबर सुरक्षा अनुसंधान, नवाचार, शिक्षा और जागरूकता के लिये अपनी मानवीय और तकनीकी क्षमताओं का विकास करके।
    • साइबर सुरक्षा सहयोग, सूचना साझाकरण, सर्वोत्तम प्रथाओं और मानकों के लिये अपनी सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ाकर।
    • साइबर सुरक्षा संवाद, सहयोग, क्षमता निर्माण और मानदंडों के लिये अपने क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का निर्माण करके।

    निष्कर्ष:

    महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे पर साइबर हमले राष्ट्रीय और वैश्विक सुरक्षा एवं स्थिरता पर गंभीर रूप से खतरा पैदा करते हैं। भारत को अपनी साइबर सुरक्षा तैयारियों और लचीलेपन को बढ़ाने के लिये सभी हितधारकों और भागीदारों को शामिल करते हुए एक सक्रिय और समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। यह न केवल इसके महत्त्वपूर्ण हितों और संपत्तियों की रक्षा करेगा, बल्कि इसे ज़िम्मेदार और सहकारी तरीके से साइबर डोमेन को आकार देने में अग्रणी भूमिका निभाने में भी सक्षम बनाएगा।

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