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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    मौद्रिक स्थिरता बनाए रखने में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका का विश्लेषण कीजिये और इसकी प्रभावशीलता में सुधार के तरीके सुझाइए। (150 शब्द)

    22 Feb, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • मौद्रिक स्थिरता बनाए रखने में आरबीआई की भूमिका की संक्षिप्त चर्चा करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • इसकी प्रभावशीलता में सुधार के लिये कुछ उपायों पर चर्चा कीजिये।
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) भारत का केंद्रीय बैंकिंग संस्थान है, जिसकी स्थापना वर्ष 1935 में देश में मौद्रिक स्थिरता बनाए रखने के उद्देश्य से की गई थी। इसके प्राथमिक कार्यों में मुद्रा और क्रेडिट प्रणाली को विनियमित करना, विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन करना और बैंकिंग क्षेत्र की निगरानी करना शामिल है।

    मुख्य भाग:

    • मौद्रिक स्थिरता बनाए रखने में RBI की भूमिका:
      • मुद्रा की आपूर्ति को विनियमित करना: आरबीआई के प्राथमिक कार्यों में से एक अर्थव्यवस्था में मुद्रा की आपूर्ति को विनियमित करना है।
        • यह रिज़र्व अनुपात, ओपन मार्केट ऑपरेशंस और डिस्काउंट रेट्स को नियंत्रित करके ऐसा करती है।
        • इन कारकों को समायोजित करके आरबीआई द्वारा सुनिश्चित किया जाता है कि अर्थव्यवस्था में मुद्रा की आपूर्ति न तो बहुत अधिक हो और न ही बहुत कम हो, जिससे मुद्रास्फीति या अपस्फीति हो सकती है।
      • मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना: आरबीआई का एक अन्य महत्त्वपूर्ण कार्य अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना है।
        • ऐसा मौद्रिक नीति उपायों को लागू करके किया जाता है जैसे कि ब्याज दरें बढ़ाना और मुद्रा आपूर्ति को कम करना। आरबीआई द्वारा मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिये नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) और वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) जैसे कई अन्य उपकरणों का भी उपयोग किया जाता है।
      • विनिमय दर की स्थिरता बनाए रखना: आरबीआई अर्थव्यवस्था में विनिमय दर की स्थिरता बनाए रखने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
        • ऐसा विदेशी मुद्रा भंडार के प्रबंधन और विदेशी मुद्रा बाज़ार को विनियमित करके किया जाता है।
        • आरबीआई रुपये की स्थिरता को बनाए रखने के लिये विदेशी मुद्राओं को खरीदने या बेचने के द्वारा बाज़ार में हस्तक्षेप करती है।
      • बैंकिंग क्षेत्र का पर्यवेक्षण करना: RBI भारत में बैंकिंग क्षेत्र के नियमन और पर्यवेक्षण के लिये जिम्मेदार है। यह बैंकों को लाइसेंस जारी करने के साथ उनके संचालन के लिये दिशानिर्देश निर्धारित करती है और इनका अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये निरीक्षण करती है। RBI के पास नियमों का उल्लंघन करने वाले बैंकों पर जुर्माना लगाने का भी अधिकार है।
    • आरबीआई के समक्ष चुनौतियाँ:
      • मुद्रास्फीति का प्रबंधन करना: मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिये आरबीआई द्वारा किये गए उपायों के बावजूद, यह एक सतत् चुनौती बनी हुई है। आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ती कीमतों (विशेष रूप से खाद्य और ईंधन क्षेत्रों में) से मुद्रास्फीति को बल मिल रहा है।
      • तकनीकी प्रगति: वित्तीय क्षेत्र में तकनीकी प्रगति की तीव्र गति के साथ, आरबीआई को मौद्रिक स्थिरता बनाए रखने के लिये परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाने की आवश्यकता है।
        • डिजिटल भुगतान, क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन तकनीक के बढ़ते उपयोग ने आरबीआई के लिये नई चुनौतियाँ प्रस्तुत कर दी हैं जिससे वित्तीय प्रणाली की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
    • आरबीआई की प्रभावशीलता में सुधार के तरीके:
      • संचार तंत्र को मजबूत बनाना: आरबीआई जनता और बैंकिंग क्षेत्र के साथ अपने संचार तंत्र को मजबूत करके अपनी प्रभावशीलता में सुधार कर सकती है।
        • इसके अलावा यह अपनी नीतियों और निर्णयों को संप्रेषित करने के लिये सोशल मीडिया, प्रेस कॉन्फ्रेंस और सेमिनार जैसे विभिन्न माध्यमों का उपयोग कर सकती है।
      • पारदर्शिता बढ़ाना: RBI अपनी नीतियों और निर्णयों के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करके अपनी पारदर्शिता बढ़ा सकती है। यह अपने संचालन पर नियमित रिपोर्ट और डेटा प्रकाशित कर सकती है और निर्णय लेने की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बना सकती है।
      • जवाबदेहिता में सुधार करना: आरबीआई एक स्वतंत्र निरीक्षण समिति की स्थापना करके अपनी जवाबदेहिता में सुधार कर सकती है जो इसके संचालन और निर्णयों की समीक्षा कर सकती है।
        • यह समिति आरबीआई को उसके प्रदर्शन के लिये जवाबदेह ठहरा सकती है और सुधार के सुझाव दे सकती है।
      • अन्य संस्थानों के साथ सहयोग बढ़ाना: RBI अन्य संस्थानों जैसे सरकार, अन्य देशों के केंद्रीय बैंकों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करके अपनी प्रभावशीलता बढ़ा सकती है। इससे आरबीआई को बेहतर नीतियाँ विकसित करने और ज्ञान तथा विशेषज्ञता साझा करने में मदद मिल सकती है।

    निष्कर्ष:

    • RBI भारत में मौद्रिक स्थिरता बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह मुद्रा आपूर्ति और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के साथ विनिमय दर स्थिरता को बनाए रखती है तथा बैंकिंग क्षेत्र की निगरानी करती है।
    • अपनी प्रभावशीलता में सुधार करने के लिये आरबीआई को अपने संचार तंत्र को मजबूत करने, पारदर्शिता बढ़ाने, उत्तरदायित्व में सुधार करने तथा अन्य संस्थानों के साथ सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है। इन उपायों को लागू करने से आरबीआई को मौद्रिक स्थिरता बनाए रखने में सहायता मिल सकती है।

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