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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    संगठन और संस्थान, भ्रष्टाचार और भेदभाव जैसी नैतिक चुनौतियों का समाधान कैसे करते हैं? (150 शब्द)

    05 Jan, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    दृष्टिकोण:

    • संगठन और संस्थानों में भ्रष्टाचार और भेदभाव जैसी नैतिक चुनौतियों का वर्णन करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • इन नैतिक चुनौतियों से निपटने के उपायों पर चर्चा कीजिये।
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • नैतिक चुनौतियाँ ऐसी परिस्थितियाँ हैं जिनमें किसी व्यक्ति या संगठन को दो या दो से अधिक कार्यों के बीच चयन करने की आवश्यकता होती है जो एक दूसरे के साथ संघर्ष में हो सकते हैं या जिन्हें सही या गलत, उचित या अनुचित माना जा सकता है।
    • भ्रष्टाचार और भेदभाव दो प्रमुख नैतिक चुनौतियाँ हैं जिनका समाधान संगठनों और संस्थानों को अवश्य ही करना चाहिए इन्हें निम्नानुसार वर्णित किया जा सकता है:
      • भ्रष्टाचार: यह व्यक्तिगत लाभ के लिये शक्ति, प्रभाव या स्थिति के उपयोग को संदर्भित करता है।
        • इसमें रिश्वतखोरी और भाई-भतीजावाद सहित कई रूप शामिल हो सकते हैं। भ्रष्टाचार कई देशों में एक बड़ी समस्या है, क्योंकि यह संस्थानों की अखंडता को कमजोर करने के साथ लोगों में सार्वजनिक विश्वास को कम करता है।
        • इसके नकारात्मक आर्थिक परिणाम भी हो सकते हैं, क्योंकि यह बाजारों को विकृत कर सकता है और निवेश को हतोत्साहित कर सकता है।
      • भेदभाव: यह व्यक्तियों या समूहों के साथ उनकी नस्ल, जातीयता, लिंग, धर्म या अन्य विशेषताओं के आधार पर किये जाने वाले अनुचित व्यवहार को संदर्भित करता है।
        • यह एक बड़ी नैतिक चुनौती है क्योंकि यह सामाजिक और आर्थिक असमानता को जन्म दे सकती है और व्यक्तियों एवं समुदायों की भलाई को नुकसान पहुँचा सकती है।

    मुख्य भाग:

    भ्रष्टाचार और भेदभाव जैसी नैतिक चुनौतियों का समाधान करने के लिये संगठन और संस्थान निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं:

    • नैतिक संहिता और आचार संहिता: इसका एक महत्त्वपूर्ण उपाय, स्पष्ट आचार संहिता और नैतिक संहिता स्थापित करना हो सकता है जो अपेक्षित व्यवहार और मूल्यों को रेखांकित करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संगठन के सभी सदस्य जागरूक हैं और उनका पालन करते हैं।
      • इसलिये किसी संगठन को अपने कार्यक्रमों, नीतियों और निर्णयों को निर्देशित करने वाले सिद्धांतों को स्थापित करके नैतिक आचार संहिता को परिभाषित करना चाहिये।
      • यह संगठन के अंदर सत्यनिष्ठा और नैतिक व्यवहार की संस्कृति स्थापित करने में मदद कर सकता है, जो भ्रष्टाचार जैसी अनैतिक प्रथाओं के लिये महत्त्वपूर्ण निवारक हो सकता है।
    • अनैतिक व्यवहार को रोकना: इसका एक अन्य दृष्टिकोण अनैतिक व्यवहार की रिपोर्टिंग और समाधान के लिये प्रणाली स्थापित करना है, जैसे हॉटलाइन या लोकपाल की व्यवस्था, जिससे कर्मचारी बिना चिंता या डर के घटनाओं की रिपोर्ट कर सकें।
      • इससे सुरक्षित और पारदर्शी वातावरण का निर्माण होगा जिसमें कर्मचारी अनैतिक प्रथाओं के बारे में सवाल उठाने में सहज महसूस करेंगे। जिससे अनैतिक प्रथाओं के होने या बढ़ने से रोकने में मदद मिल सकती है।
    • अनैतिक व्यवहार की न्यायोचित जाँच: अनैतिक व्यवहार के आरोपों की जाँच और इनका पता लगाने के लिये संगठनों के पास स्पष्ट नीतियाँ और प्रक्रियाएँ होना भी महत्त्वपूर्ण है और ऐसे व्यवहार में संलग्न लोगों को अनुशासनात्मक उपायों या अन्य दंडों के माध्यम से जवाबदेह ठहराना भी महत्त्वपूर्ण है।
      • यह अनैतिक व्यवहार के लिये निवारक के रूप में काम कर सकता है और संगठन के अंदर अखंडता और जिम्मेदारी की संस्कृति बनाने में मदद कर सकता है।
    • नैतिक व्यवहार को बढ़ावा देना: इसके अलावा संगठन पारदर्शिता, जवाबदेही और अखंडता की संस्कृति स्थापित करके और वरिष्ठ निर्णयकर्ताओं के कार्यों एवं निर्णयों के माध्यम से एक अच्छा उदाहरण स्थापित करके नैतिक व्यवहार को बढ़ावा देने की कोशिश कर सकते हैं।
      • इसमें संगठन के मूल्यों और अपेक्षाओं के बारे में कर्मचारियों के साथ नियमित रूप से संवाद करना और लिये गए निर्णयों एवं किये गए कार्यों के माध्यम से नैतिक व्यवहार के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित करना शामिल हो सकता है।
    • सकारात्मक कार्य संस्कृति को बढ़ावा देना: नैतिक चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिये संगठनों के लिये मजबूत नेतृत्व और सकारात्मक कॉर्पोरेट संस्कृति का होना भी महत्त्वपूर्ण है जो नैतिक व्यवहार को बढ़ावा देता है।
      • इसमें कर्मचारियों को समस्याओं के बारे में बोलने के लिये सशक्त बनाना और नैतिक व्यवहार प्रदर्शित करने वालों को पुरस्कृत करना शामिल हो सकता है। एक सकारात्मक और सहायक कार्य वातावरण बनाकर, संगठन कर्मचारियों को नैतिक निर्णय लेने और अनैतिक व्यवहार होने पर रिपोर्ट करने के लिये प्रोत्साहित कर सकते हैं।

    निष्कर्ष:

    • भ्रष्टाचार और भेदभाव की चुनौतियों का समाधान करने के लिये संगठन और संस्थाएँ विभिन्न प्रकार के उपायों को लागू कर सकते हैं। जिनमें भ्रष्टाचार विरोधी नीतियाँ और नैतिक व्यवहार को बढ़ावा देने के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल हैं।
    • नेतृत्वकर्ताओं के लिये एक अच्छा उदाहरण स्थापित करना और अनैतिक व्यवहार के लिये व्यक्तियों को जवाबदेह ठहराना भी महत्त्वपूर्ण है। इन चुनौतियों का समाधान करके, संगठन और संस्थान अधिक नैतिक और निष्पक्ष समाज का निर्माण कर सकते हैं।

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