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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    हालाँकि खाद्य अपव्यय एक वैश्विक समस्या है किंतु यदि इस समस्या को बेहतर ढंग से संबोधित किया जाए तो भारत को इसे एक अवसर में बदलने का मौका मिलेगा। टिप्पणी कीजिये।

    28 May, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    दृष्टिकोण

    • खाद्य अपव्यय की समस्या का संक्षेप में उल्लेख करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • खाद्य अपव्यय से संबंधित मुख्य चुनौतियों और इससे निपटने के उपायों की चर्चा कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय

    संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, पर्याप्त खाद्य उत्पादन के बावजूद लगभग 190 मिलियन भारतीय अल्पपोषित हैं। इसके अतिरिक्त प्रत्येक तीसरा कुपोषित बच्चा भारतीय है।

    हालाँकि यह भोजन की बर्बादी, एक स्तर तक सीमित नहीं है बल्कि कई चरणों में होती है जैसे-उत्पादन, कटाई, परिवहन, प्रसंस्करण, पैकेजिंग, वितरण, भंडारण और उपभोग के अंतिम चरण तक।

    खाद्य अपव्यय से संबंधित चुनौतियाँ

    • उपभोग पूर्व नुकसान: खंडित खाद्य प्रणालियों और अकुशल आपूर्ति शृंखलाओं के कारण भारत में उत्पादित खाद्य पदार्थों का 40 प्रतिशत तक बर्बाद हो जाता है।
    • यह वह नुकसान है जो उपभोक्ता तक पहुँचने से पहले ही हो जाता है।
    • घरेलू खाद्य अपशिष्ट: खाद्य अपशिष्ट की काफी मात्रा हमारे घरों में उत्पन्न होती है। फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट-2021 के अनुसार, भारतीय घरों में प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष 50 किलो भोजन बर्बाद करता है अर्थात् भारत में घरेलू खाद्य अपशिष्ट का अनुमान 50 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष या 68,760,163 टन प्रतिवर्ष है।
    • ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन: यह अतिरिक्त खाद्य अपशिष्ट आमतौर पर लैंडफिल या गड्ढों में फेंक दिया जाता है, जो धीरे-धीरे विघटित होकर मीथेन एवं अन्य ग्रीन हाउस गैसों का निर्माण करता है, इसका नकारात्मक प्रभाव न सिर्फ पर्यावरण पर पड़ता है बल्कि हमारे स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।
    • महामारी का प्रभाव: कोविड-19 महामारी ने न केवल खाद्य अपशिष्ट की समस्या को उजागर किया है, बल्कि उसे जटिल भी बना दिया है।
    • वर्ष 2020 में लॉकडाउन के शुरुआती चार महीनों के दौरान अनाज का अधिशेष भंडार 65 लाख टन आँका गया था, जो भारत में गोदामों में सड़ता रहा।
    • गरीबों (विशेषकर दिहाड़ी मज़दूर) के लिये भोजन तक पहुँच बेहद मुश्किल हो गया है।
    • आपूर्ति-शृंखला प्रबंधन मुद्दे: भारतीय खाद्य आपूर्ति शृंखला की कुछ समस्याओं में सरकारी कार्यक्रमों की अक्षमता, राजस्व सृजन में पारदर्शिता की कमी, अपर्याप्त भंडारण सुविधाओं और व्यापक एवं सटीक आविष्कारों की कमी देखी गई है।

    खाद्य अपव्यय से संबंधित चुनौतियों सेनीपटने के उपाय:

    • व्यवहार परिवर्तन: विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, खाद्य अपशिष्ट का मतलब है कि परिवर्तन की शुरुआत हमारे अपने घरों से करने की आवश्यकता है, क्योंकि घरों और उनके गैर-उत्तरदायित्व उपभोग प्रवृत्ति के कारण इस अपशिष्ट में वृद्धि होती है।
      • आपूर्ति-शृंखला को एक नई दिशा प्रदान करने के लिये निम्नलिखित उपाय किये जा सकते है जैसे -किराना सामान की सीमित खरीदारी, एकल-उपयोग पैकेजिंग का इस्तेमाल कम करना, रेस्तरां से आवश्यकता अनुसार ऑर्डर करना और शादी समारोहों में अतिरिक्त भोजन के उपयोग पर पुनर्विचार करना।
    • फूड बैंक की अवधारणा: प्रतिदिन फूड बैंक के खुलने से लेकर बंद होने तक निशुल्क सुपाच्य भोजन उपलब्ध कराया जाना चाहिये ताकि भोजन का उपभोग आवश्यकता के अनुसार किया जा सके।
      • इसके माध्यम से वितरण के विकल्प का पता लगाने के साथ-साथ निजी अभिकर्त्ता से संबंध स्थापित कर भोजन को ज़रूरतमंद या भूख हॉटस्पॉट क्षेत्रों तक पहुँचाया जाना चाहिये।
      • सामुदायिक स्तर पर कोयम्बटूर-आधारित नो फूड वेस्ट जैसे संगठनों की पहचान की जानी चाहिये ताकि उनका उपयोग कर ज़रूरतमंद और भूखे लोगों को खिलाने के लिये अतिरिक्त भोजन का पुनर्वितरण किया जा सके।
    • अंतर्राष्ट्रीय पहल: विभिन्न देशों (फ्राँस, नॉर्वे, डेनमार्क, ब्रिटेन आदि) द्वारा किये गए बेहतर प्रयासों और कानूनों को अपनाना चाहिये ताकि भारत में खाद्यान्नों को बर्बाद होने और नष्ट होने से बचाया जा सके।
      • उदाहरण के लिये फ्राँस के सुपरमार्केट अतिरिक्त भोजन को बर्बाद होने से बचाने के लिये पुनः उत्पादन, पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण को प्राथमिकता देते हैं।
    • प्रौद्योगिकी निवेश: खाद्य अपशिष्ट जैसी समस्याओं को दूर करने के लिये आपूर्ति शृंखला के प्रत्येक चरण में प्रौद्योगिकी को अपनाया जाना चाहिये।
      • प्रौद्योगिकी का नियोजन आपूर्ति शृंखला में सुधार कर सकती है तथा शिपिंग और रसद में पारगमन समय को भी कम कर सकती है। इसके अतिरिक्त कई सरकारी उपक्रम खाद्य उद्योग के बुनियादी ढाँचे के निर्माण में भी सहायता कर रहे हैं।
      • भारत में उभरते स्टार्ट-अप तंत्र में निवेश के ज़रिये नवीनतम लॉजिस्टिक उद्योग कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संचालित आपूर्ति शृंखला प्रबंधन प्रणाली की ओर बढ़ रहा है जो वेयरहाउस, पैकेजिंग, शिपिंग और उत्पाद वितरण के प्रबंधन में आने वाली बाधाओं को दूर करने में मदद कर सकता है।

    निष्कर्ष:

    भोजन की बर्बादी को कम करने के लिये हमें अपने कर्तव्य के बारे में शुरुआती जागरूकता हासिल करनी होगी जो हमारे समाज में भूख और भोजन की कमी के तरीके को बदलने सहायक हो। इस प्रकार सभी को एकजुट होकर एक सतत् और मज़बूत भारत बनाने के लिये काम करना होगा ताकि पर्याप्त खाद्य उत्पादन के बावजूद लोग अल्पपोषित न रहें।

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