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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    विज्ञान तथा अनुप्रयुक्त प्रौद्योगिकियों में महिलाओं का अधिक-से-अधिक समावेशन समाज की उन्नति के लिये महत्त्वपूर्ण है। चर्चा कीजिये।

    15 Mar, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत में लैंगिक असमानता की स्थिति का उल्लेख करते हुए उत्तर की शुरुआत करें।
    • विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित (STEM) क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति पर चर्चा करें।
    • STEM क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को बेहतर बनाने के लिये कुछ उपाय सुझाएँ।
    • संक्षिप्त निष्कर्ष दें।

    स्वतंत्रता के बाद से भारत में लगातार सरकारों ने लैंगिक सशक्तीकरण के लिये कई कदम उठाए हैं। हालाँकि विभिन्न विकास सूचकांकों जैसे कि ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2020 जिसमें भारत 112वें स्थान पर है, यह दर्शाता है कि अभी भी इस क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है। इनमें STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित) क्षेत्र भी शामिल है जहाँ महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की ज़रूरत है।

    STEM क्षेत्र में महिलाओं की स्थिति

    • भारत में लगभग 43% महिलाएँ STEM में स्नातक हैं, जो दुनिया में सबसे अधिक है। किंतु भारत में STEM क्षेत्र में नौकरियों के मामले में महिलाओं की हिस्सेदारी केवल 14% है।
    • भारत में अधिकांश STEM स्नातक महिलाएँ या तो किसी अन्य क्षेत्र में कॅरियर चुनती हैं या किसी भी क्षेत्र में कार्यरत नहीं हैं। दुनिया भर में महिलाओं को STEM क्षेत्र में 'लीकी पाइपलाइन' समस्या का सामना करना पड़ता है।
    • स्कूलों और कॉलेजों में प्रवेश के स्तर पर STEM में छात्राओं की संख्या छात्रों के बराबर या अधिक होती है किंतु पढ़ाई पूरी करने एवं उसके पश्चात् पेशेवर रूप से नौकरी करने के मामले में महिलाओं की संख्या लगातार कम होती चली जाती है। इसे ही 'लीकी पाइपलाइन' की संज्ञा दी जाती है।
    • गर्भावस्था के दौरान संस्थागत संरचनाओं की कमी, कार्यक्षेत्र में सुरक्षा के मुद्दे इत्यादि के कारण महिलाएँ कार्यबल से बाहर हो जाती हैं।
    • STEM क्षेत्र में लैंगिक रूढ़ियाँ विद्यमान हैं। इस क्षेत्र में एक मज़बूत पुरुष प्रधान संस्कृति मौजूद है। इसके अलावा लड़कियों और महिलाओं के लिये रोल मॉडल की भी कमी देखी जाती है।
    • STEM क्षेत्र में रोज़गार के मामले में महिलाओं की कम संख्या के लिये न केवल सामाजिक मानदंड बल्कि खराब शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े मुद्दे भी ज़िम्मेदार हैं।

    आगे की राह

    डिजिटल इंडिया का प्रसार: डिजिटल इंडिया के शुभारंभ के साथ पूरे देश में इंटरनेट की पहुँच सुनिश्चित हुई है।

    इस प्रकार डिजिटल इंडिया पहल महिलाओं को STEM क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है।

    इसरो मॉडल की पुनरावृत्ति: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के दूसरे चंद्र मिशन, चंद्रयान -2 के प्रक्षेपण में महिला इंजीनियरों की भूमिका इस बात को दर्शाती है कि महिलाओं से संबंधित सामाजिक मान्यताएँ क्या हैं और इसे किस तरह से बदला जा सकता है।

    इस प्रकार STEM क्षेत्रों में इसरो मॉडल का अनुकरण करने की आवश्यकता है।

    व्यवहार परिवर्तन की आवश्यकता: सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर लैंगिक भागीदारी के प्रति व्यवहार परिवर्तन की आवश्यकता है।

    इसके लिये पाठ्य-पुस्तकों में STEM क्षेत्र में महिलाओं के योगदान को रेखांकित किया जाना चाहिये।

    यह लड़कियों की अगली पीढ़ी को STEM क्षेत्र में अग्रणी स्थिति प्राप्त करने के लिये प्रेरित कर सकता है।

    निष्कर्ष

    मैकिन्से की हालिया शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि STEM में लैंगिक अंतराल को कम करने से वैश्विक अर्थव्यवस्था में 12-28 ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि हो सकती है। इस प्रकार लैंगिक समानता को भारत में विकास के दृष्टिकोण से एक अनिवार्य पहलू के रूप में देखा जाना चाहिये।

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