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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना, 2020 का मसौदा मौजूदा ईआईए अधिसूचना, 2006 से किस प्रकार अलग है?

    29 Jan, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना, 2020 के मसौदे के बारे में उल्लेख करते हुए उत्तर शुरू करें।
    • ड्राफ्ट और वर्तमान अधिसूचना के बीच प्रमुख अंतर पर प्रकाश डालें।
    • उचित निष्कर्ष दें।

    हाल ही में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना, 2020 का मसौदा तैयार किया है, जो वर्तमान ईआईए अधिसूचना, 2006 का स्थान लेगा।

    ड्राफ्ट और वर्तमान अधिसूचना के मध्य प्रमुख अंतर:

    कार्योत्तर स्वीकृति (Post Facto Approval): नए मसौदे में परियोजनाओं के लिये पोस्ट-फैक्टो स्वीकृति देने की व्यवस्था है। इसका अर्थ है कि परियोजनाओं के लिये मंज़ूरी दी जा सकती है, भले ही उन्होंने बिना पर्यावरणीय मंज़ूरी के निर्माण कार्य शुरू कर दिया हो।

    पोस्ट फैक्टो अनुमोदन पर्यावरणीय न्याय-शास्त्र के मूल सिद्धांतों और "निवारक सिद्धांत" का उल्लंघन है, जो पर्यावरणीय स्थिरता के लिये महत्त्वपूर्ण सिद्धांत है।

    सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया: मसौदा अधिसूचना में पर्यावरण मंज़ूरी की मांग करने वाले किसी भी आवेदन की सुनवाई हेतु जनता को अपनी प्रतिक्रियाएँ प्रस्तुत करने के लिये 30 दिनों की अवधि को घटाकर 20 दिनों तक करने का प्रावधान है।

    यदि परियोजना से प्रभावित होने वाले लोगों को अपने विचारों, टिप्पणियों और सुझावों की तैयारी के लिये पर्याप्त समय नहीं दिया जाता है, तो ऐसी सार्वजनिक सुनवाई सार्थक नहीं होगी।

    अनुपालन रिपोर्ट समस्या: 2006 की अधिसूचना के अनुसार, परियोजना के प्रस्तावक को हर छह महीने में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होती है, जिसमें यह दिखाया जाता है कि निर्माण से जुड़ी उनकी गतिविधियाँ उन शर्तों के अनुसार हो रही है हैं जिस्की अनुमति दी गई है।

    हालाँकि नए मसौदे में प्रोमोटर को हर साल केवल एक बार रिपोर्ट प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है।

    डिल्यूटिंग ईआईए प्रक्रिया: मौजूदा अधिसूचना के विपरीत मसौदा अधिसूचना में केंद्र सरकार को परियोजनाओं को "रणनीतिक" रूप में वर्गीकृत करने की शक्ति मिलती है।

    एक बार यदि किसी परियोजना को रणनीतिक माना जाता है तो मसौदा अधिसूचना के अनुसार, ऐसी परियोजनाओं से संबंधित कोई भी जानकारी सार्वजनिक पटल पर नहीं रखी जाएगी।

    इसके अलावा मसौदा अधिसूचना में कहा गया है कि 1,50,000 वर्ग मीटर तक की नई निर्माण परियोजनाओं को विशेषज्ञ समिति द्वारा "विस्तृत जाँच" की आवश्यकता नहीं है, न ही उन्हें ईआईए अध्ययन और सार्वजनिक परामर्श की आवश्यकता है, जबकि वर्तमान में 20,000 वर्ग मीटर या इससे बड़ी परियोजनाओं के लिये विस्तृत जाँच की आवश्यकता होती है।

    निष्कर्ष

    ईआईए नियम, 2020 का मसौदा वर्तमान ईआईए नियमों को मज़बूत करने की परिकल्पना करता है और वर्तमान कानून में अस्पष्टता को कम करने की क्षमता रखता है किंतु इसे पर्यावरणीय स्थिरता के मौजूदा सिद्धांतों से समझौता नहीं करना चाहिये।

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