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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    “राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान ‘सबका साथ, सबका गाँव, सबका विकास’ के लक्ष्य को पूरा करने में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है।” इस कथन के संदर्भ में राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के विस्तार तथा इसके प्रमुख लक्ष्यों की स्पष्ट चर्चा करें।

    07 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा

    • प्रभावी भूमिका में प्रश्नगत कथन को स्पष्ट करें।
    • तार्किक एवं संतुलित विषय-वस्तु में आरजीएसए का विस्तार और इसके प्रमुख लक्ष्यों की चर्चा करें।
    • प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।

    भारत उन गाँवों में रहता है जहाँ लगभग 2 लाख 55 हज़ार पंचायतें और उनके 31 लाख चुने हुए प्रतिनिधि कार्यरत हैं और इस संबंध में राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) “सबका साथ, सबका गाँव, सबका विकास” के लक्ष्य को पूरा करने में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है, ताकि मज़बूत पंचायतों और प्रभावकारी जन-भागीदारी के ज़रिये ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-थलग पड़े लोगों तक पहुंचा जा सके।

    आरजीएसए का विस्तार न केवल देश के उन सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में किया जाएगा जहाँ पंचायतें हैं, वरन् इसका विस्तार उन क्षेत्रों में भी होगा जहाँ संविधान का भाग IX लागू नहीं है। आरजीएसए में राष्ट्रीय स्तर के क्रियाकलाप जैसे- तकनीकी सहायता की राष्ट्रीय योजना, ई-पंचायतों पर मिशन मोड परियोजना, पंचायतों को प्रोत्साहन आदि विभिन्न केंद्रीय योजनाएँ शामिल हैं वहीं, पंचायती राज संस्थाओं का क्षमता निर्माण जैसे राज्य-स्तरीय घटक भी शामिल हैं।

    आरजीएसए के प्रमुख लक्ष्य: 

    • एसडीजी संबंधी विषयों पर पंचायती राज संस्थाओं की शासनात्मक कार्यक्षमता का विकास करना।
    • उपलब्ध संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग पर ध्यान देते हुए समेकित ग्रामीण शासन हेतु पंचायतों की क्षमता बढ़ाते हुए राष्ट्रीय महत्त्व के विषयों का समाधान।
    • स्वयं की आय के स्रोतों का विकास करने की पंचायतों की क्षमता का विकास करना।
    • जन-सहभागिता के मूलमंत्र के रूप में ग्रामसभाओं की प्रभावी कार्यक्षमता को मज़बूत करना और ऐसा करते समय पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत उपेक्षित समूहों, पारदर्शिता और जवाबदेहिता पर ध्यान देना, विभिन्न विकास कार्यों के प्रभावपूर्ण कार्यान्वयन के लिये सहायक प्रावधानों का सहयोग प्राप्त करना।
    • संविधान की भावना और पेसा अधिनियम 1996 के अंतर्गत पंचायतों को अधिकारों और दायित्वों का हस्तांतरण।
    • पंचायती राज संस्थाओं के लिये क्षमता निर्माण और उनके प्रयोग को बढ़ावा देने के लिये उत्कृष्ट संस्थानों की श्रृंखला का विकास करना।
    • विभिन्न स्तरों पर पंचायती राज संस्थाओं की क्षमता में वृद्धि के लिये संस्थाओं को मज़बूत करना और उन्हें अवसंरचनाओं, सुविधाओं, मानव संसाधन विकास एवं लक्ष्य पूर्ति आधारित प्रशिक्षण में पर्याप्त गुणवत्ता प्राप्त करने के योग्य बनाना।
    • स्थानीय आर्थिक विकास एवं आय में वृद्धि के लिये पंचायतों को सक्षम बनाना जिससे कि स्थानीय उत्पादों के प्रसंस्करण और विपणन पर आधारित दीर्घकालिक आय अर्जन जैसी आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सके।
    • प्रशासनिक सक्षमता और बेहतर सेवा प्रदान करने के लिये पंचायतों में सुशासन को बढ़ावा देने हेतु ई-प्रशासन एवं अन्य तकनीकी आधारित समाधानों को प्रोत्साहित करना।
    • कार्य निष्पादन के आधार पर पंचायती राज संस्थाओं को मान्यता एवं प्रोत्साहन देना।

    उपर्युक्त विश्लेषण के आधार पर कहा जा सकता है कि यह अभियान पंचायतों की बहु-प्रतीक्षित आकांक्षाओं को पूरा करेगा जिससे कि उनकी क्षमता बढ़ने के साथ ही उन्हें स्थानीय आवश्यकताओं के प्रति अधिक संवेदनशील बनाया जा सके और दीर्घकालीन स्थायी विकास के रास्ते में आ रही समस्याओं के स्थायी समाधान के लिये उन्हें सहभागिता की आयोजना के काम में लगाया जा सके।

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