दृष्टि आईएएस अब इंदौर में भी! अधिक जानकारी के लिये संपर्क करें |   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की शक्तियों तथा कार्यों की चर्चा करते हुए बताएं कि नया आयोग पुराने स्वरूप से किन संदर्भों में भिन्न है?

    16 Oct, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण-

    • भूमिका
    • पृष्ठभूमि
    • NCBC की संरचना
    • संबंधित संवैधानिक प्रावधान
    • शक्तियाँ एवं कार्य
    • नया आयोग अपने पुराने स्वरूप से किस प्रकार अलग है?
    • निष्कर्ष

    राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) पहले सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक सांविधिक निकाय था। 102वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2018 द्वारा इसे को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया। इसे सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के बारे में शिकायतों तथा कल्याणकारी उपायों की जाँच करने का अधिकार प्राप्त है। इससे 1950 और 1970 के दशक में काका कालेलकर और बी. पी. मंडल की अध्यक्षता में क्रमशः दो पिछड़ा वर्ग आयोगों की नियुक्ति की गई।

    1992 के इंद्रा साहनी मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह लाभ और सुरक्षा के उद्देश्य से विभिन्न पिछड़े वर्गों के समावेशन और बहिष्करण पर विचार करने तथा जाँच एवं सिफारिश करने के लिये एक स्थायी निकाय का गठन करे। इन निर्देशों के अनुपालन में संसद ने वर्ष 1993 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम पारित किया और NCBC का गठन किया।

    वर्ष 2017 में 123वाँ संविधान संशोधन विधेयक संसद में प्रस्तुत किया गया ताकि पिछड़े वर्गों के हितों को अधिक प्रभावी ढंग से संरक्षित किया जा सके। अगस्त 2018 में इस विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति मिली और NCBC को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। संसद द्वारा एक अलग विधेयक पारित कर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 1993 को निरस्त कर दिया गया है। अतः 1993 का अधिनियम अब अप्रासंगिक हो गया है।

    NCBC की संरचना

    • आयोग में पाँच सदस्य होते हैं जिसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा तीन अन्य सदस्य शामिल हैं। इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एवं मुहरयुक्त आदेश द्वारा होती है।
    • अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों के पद की सेवा शर्तें तथा कार्यकाल का निर्धारण राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।

    संबंधित संवैधानिक प्रावधान-

    • अनुच्छेद 340 अन्य बातों के साथ-साथ "सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों" की पहचान करने, उनके पिछड़ेपन की स्थितियों को समझने और उनके सामने आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिये सिफारिशें करने की आवश्यकता से संबंधित है।
    • 102वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा भारतीय संविधान में दो नए अनुच्छेदों 338 B और 342 A को जोड़ा गया। यह संशोधन अनुच्छेद 366 में भी कुछ परिवर्तन करता है।
    • अनुच्छेद 338 B सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों से संबंधित शिकायतों और कल्याणकारी उपायों की जाँच करने के लिये NCBC को अधिकार प्रदान करता है।
    • अनुच्छेद 342 A राष्ट्रपति को विभिन्न राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को निर्दिष्ट करने का अधिकार प्रदान करता है। इन वर्गों को निर्दिष्ट करने के लिये वह संबंधित राज्य के राज्यपाल से परामर्श कर सकता है। हालाँकि यदि पिछड़े वर्गों की सूची में संशोधन किया जाना है तो इसके लिये संसद द्वारा अधिनियमित कानून की आवश्यकता होगी।

    शक्तियाँ एवं कार्य-

    • NCBC सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को संविधान या किसी अन्य कानून के तहत प्रदत्त संरक्षण उपायों के कार्यान्वयन का मूल्यांकन करने हेतु संबंधित सभी मामलों की जाँच एवं निगरानी करता है।
    • सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के सामाजिक-आर्थिक विकास में भाग लेता है तथा सलाह देता है और संघ एवं किसी भी राज्य के अंतर्गत उनके विकास की प्रगति का मूल्यांकन करता है।
    • यह आयोग सुरक्षापायों के कार्यान्वयन पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है। इसके अलावा आयोग जब भी उचित समझे अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत कर सकता है। राष्ट्रपति द्वारा संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष यह रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है।
    • इस तरह की कोई भी रिपोर्ट या उसका कोई हिस्सा, जो किसी भी राज्य सरकार से संबंधित हो, की एक प्रति राज्य सरकार को भेजी जाएगी।
    • NCBC सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के संरक्षण, कल्याण एवं विकास तथा उन्नति के संबंध में ऐसे अन्य कार्यों का भी निर्वहन करता है, जिन्हें संसद द्वारा बनाए गए किसी भी कानून के प्रावधानों के अधीन राष्ट्रपति विशेष रूप से उल्लिखित किया गया हो।
    • किसी भी मामले पर सुनवाई के दौरान इसे दीवानी न्यायालय के समान शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।

    नया आयोग अपने पुराने स्वरूप से किस प्रकार अलग है?

    • नए अधिनियम ने यह स्वीकार किया है कि पिछड़े वर्गों को आरक्षण के अलावा विकास की भी आवश्यकता है।
    • अधिनियम में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के विकास और विकास प्रक्रिया में नए NCBC की भूमिका से संबंधित प्रावधान किये गए हैं।
    • नए NCBC को पिछड़े वर्गों की शिकायतों के निवारण का अतिरिक्त कार्य सौंपा गया है।
    • अनुच्छेद 342 (A) पिछड़े वर्गों की सूची में किसी भी समुदाय को शामिल करने या हटाने के लिये संसदीय सहमति की अनिवार्यता अधिक पारदर्शिता का परिचय देती है।
    • सूची-समावेशन और आरक्षण के अलावा यह विकास एवं कल्याण के सभी मापदंडों में समानता के प्रति प्रत्येक समुदाय के व्यापक तथा समग्र विकास एवं उन्नति को आवश्यक बनाता है।

    उपरोक्त के बावजूद अभी भी कुछ सुधार अपेक्षित हैं जैसे-

    इस संरचना में एक विशेषज्ञ निकाय की वे सुविधाएँ प्रदर्शित होनी चाहिये जो सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनिवार्य की गई हैं।

    सरकार द्वारा जातिगत जनगणना के निष्कर्षों और आयोग की सिफारिशों संबंधी जानकारी सार्वजनिक डोमेन उपलब्ध कराई जानी चाहिये। आयोग की संरचना में लैंगिक संवेदनशीलता और हितधारकों के प्रतिनिधित्व को दर्शाया जाना चाहिये। वोट बैंक की राजनीति के स्थान पर मूल्य आधारित राजनीति के मार्ग का अनुसरण किया जाना चाहिये ताकि आरक्षण का लाभ केवल समाज के पिछड़े वर्गों को ही मिल सके।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow