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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    'व्यापार सुगमता सूचकांक में सुधार लाकर न केवल बाहरी निवेश बढ़ाया जा सकता है अपितु इससे घरेलू उद्यमों को भी आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।' विवेचना करें।

    22 Sep, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण- 

    • व्यापार सुगमता सूचकांक क्या है?

    • व्यापार सुगमता बढ़ाने हेतु भारत के प्रयास

    • अन्य अपेक्षित सुधार

    • निष्कर्ष

    विश्व बैंक द्वारा जारी व्यापार सुगमता सूचकांक किसी भी देश के व्यापार परिदृश्य की सुगमता को मापता है। व्यापार सुगमता सूचकांक में व्यवसाय शुरू करना, निर्माण परमिट, विद्युत, संपत्ति का पंजीकरण, ऋण उपलब्धता, अल्पसंख्यक निवेशकों की सुरक्षा, करों का भुगतान करना, सीमा-पार व्यापार, अनुबंध लागू करना, दिवालियापन होने पर समाधान आदि मानक शामिल हैं।

    व्यापार सुगमता बढ़ाने हेतु भारत के प्रयास-

    • देश के शीर्ष नेतृत्व सहित केंद्रीय स्तर के साथ-साथ राज्य स्तर पर भी व्यापार सुगमता सुधारों ने भारत की रैंकिंग को मज़बूत करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
    • भारत में व्यवसाय शुरू करना अधिक आसान बनाया गया, साथ ही ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म का बेहतर प्रयोग किया गया।
    • व्यावसायिक प्रमाणीकरण की प्रक्रिया को और सुव्यवस्थित किया, साथ ही निर्माण परमिट प्राप्त करने और निर्माण गुणवत्ता में लगने वाले समय को कम किया गया।
    • भारत ने मेक इन इंडिया, स्टैंड अप इंडिया, मुद्रा योजना जैसी पहलें प्रारंभ की हैं जिनकी सहायता से लोगों द्वारा व्यापार करना और व्यापार के लिये पूंजी एकत्र करना आसान हो गया है।
    • लघु और मध्यम उद्योगों की क्षमता को ठीक से पहचान कर इनमें वित्त के प्रवाह को बढ़ावा दिया जा रहा है, इसके लिये छोटे-छोटे क्लस्टर विकसित किये जा रहे हैं।
    • हाल ही में भारत ने कॉर्पोरेट करों में कटौती की है जिसका उद्देश्य भारत में अर्थव्यवस्था को मज़बूत करना है। इस प्रकार के कदम से निवेश लागत कम होगी जिससे भारत में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

    अन्य अपेक्षित सुधार-

    • स्व-प्रमाणन की व्यवस्था -सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को विशेष मदद की ज़रूरत है। इन उद्यमों को तीन वर्ष के लिये मंज़ूरी तथा निरीक्षण आवश्यकताओं से छूट दी जानी चाहिये। अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड रखने वाले MSMEs के लिये स्व-प्रमाणन मार्ग का उपयोग किया जा सकता है।
    • सिंगल विंडो क्लीयरेंस-उत्पादों के आयात-निर्यात प्रक्रिया संबंधी जानकारी के लिये विभिन्न मंत्रालयों की वेबसाइटों पर अनेक अधिसूचनाएँ हैं, परंतु वैश्विक आपूर्तिकर्त्ताओं को इनसे अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस समस्या को दूर करने के लिये ऑनलाइन एकल विंडो प्रणाली बनाने की आवश्यकता पर बल दिया जाना चाहिये।
    • संपत्ति पंजीकरण तथा भूमि अधिग्रहण कानून-संपत्ति पंजीकरण प्रक्रिया को आसान बनाने की आवश्यकता है तथा उद्योगों को किसानों से सीधे भूमि खरीदने की अनुमति दी जानी चाहिये।
    • व्यावसायिक विवाद समाधान प्रक्रिया- भारत में पर्याप्त व्यावसायिक न्यायालयों तथा बुनियादी ढाँचे के अभाव के कारण अनुबंधों को लागू करना एक चुनौती है। अत: न्यायालयों में प्रमुख डिजिटल सुधारों जैसे कि आभाषी न्यायिक कार्यवाही, ई-फाइलिंग, घर से कार्य करना आदि को लागू किया जाना चाहिये।
    • उपरोक्त के अलावा वैकल्पिक विवाद समाधान संस्थानों को स्थापित करने के साथ ही मध्यस्थता तथा सुलह केंद्रों का विस्तार किया जाना चाहिये।

    निष्कर्षतः भारतीय अर्थव्यवस्था में विद्यमान समस्याओं का संधारणीय समाधान निकाला जाना चाहिये। व्यापार सुगमता सूचकांक में भारत की स्थिति में सुधार से न केवल बाहरी निवेश बढ़ेगा अपितु घरेलू उद्यमों को भी आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।

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