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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    पिछले कुछ वर्षों में चुनावों में मतदाता के रूप में महिलाओं की भूमिका बढ़ी है किंतु राजनीति में भागीदारी के संदर्भ में अभी भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिल सके। राजनीति में महिलाओं की कम भागीदारी के क्या कारण हैं इसमें सुधार हेतु उपाय सुझाएं।

    31 Aug, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण-

    • भूमिका

    • कम भागीदारी के कारण

    • उपाय

    हाल ही में 'लोकनीती और कोनराड एडेनॉयर स्टिफटंग' ने एक सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की, जिसमें भारतीय महिलाओं और उनकी राजनीतिक सक्रियता से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन किया गया। सर्वेक्षण में पाया गया कि महिलाओं की चुनावी भागीदारी में उनकी सामाजिक व आर्थिक स्थिति का विशेष प्रभाव होता है। महिलाएँ अपनी राजनैतिक पसंद को लेकर भी स्वायत्त हो रही हैं किंतु यह प्रचलन भी शहरी क्षेत्र की तथा शिक्षित महिलाओं में अधिक देखा गया।

    राजनीति में महिलाओं की कम भागीदारी के निम्नलिखित कारण हैं:

    पितृसत्तात्मक समाज: राजनीति में महिलाओं की कम भागीदारी के मुख्य कारणों में पितृसत्तात्मक समाज तथा इसकी संरचनात्मक कमियाँ हैं। इसकी वजह से महिलाओं को कम अवसर मिलते हैं तथा वे राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धा में पुरुषों से काफी पीछे रह जाती हैं। लगभग एक-तिहाई महिलाओं ने पितृसत्तात्मक समाज को उनकी राजनीतिक भागीदारी में बाधा के रूप में देखा।

    घरेलू जिम्मेदारियाँ: सर्वेक्षण में अधिकांश महिलाओं ने स्वीकार किया कि घरेलू ज़िम्मेदारियाँ जैसे- बच्चों की देखभाल, घर के सदस्यों के लिये खाना बनाना व अन्य पारिवारिक कारणों से वे राजनीति में भाग नहीं ले पातीं।

    लगभग 13% महिलाओं ने राजनीति में उनकी कम भागीदारी के लिये घरेलू ज़िम्मेदारियों को कारण माना।

    व्यक्तिगत कारण: कई महिलाएँ व्यक्तिगत कारणों की वजह से भी राजनीति में सक्रिय रूप से भाग नहीं लेतीं। ये व्यक्तिगत कारण हैं- राजनीति में रुचि न होना, जागरुकता का अभाव, शैक्षिक पिछड़ापन आदि। लगभग 10% महिलाएँ व्यक्तिगत कारणों से राजनीति में हिस्सा लेने में सक्षम नहीं हैं।

    सांस्कृतिक प्रतिबंध एवं रूढ़िवाद: सांस्कृतिक मानदंडों तथा रूढ़िवादिता के कारण भी महिलाएँ राजनीति में भाग नहीं ले पातीं। सांस्कृतिक प्रतिबंधों में पर्दा प्रथा, किसी अन्य पुरुष से बातचीत न करना, महिलाओं का बाहर न निकलना आदि शामिल हैं। लगभग 7% महिलाओं ने माना की सांस्कृतिक कारणों से वे राजनीति में भाग नहीं लेतीं।

    सामाजिक-आर्थिक कारण: कमज़ोर सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि भी महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी में अवरोध उत्पन्न करते हैं।

    राजनीति की नकारात्मक छवि: आम लोगों में राजनीति की नकारात्मक छवि तथा इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से भी महिलाएँ राजनीति में कम रूचि लेती हैं।

    प्रस्तावित महिला आरक्षण विधेयक जो कि संसद तथा राज्य की विधानसभाओं में महिलाओं के लिये आरक्षण का प्रावधान करता है, को पारित करने में सभी राजनैतिक दल निरुत्साहित प्रतीत होते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि पुरुष राजनीतिज्ञों को इस बात का भय रहता है कि महिलाओं के निर्वाचन से उनके दोबारा चुने जाने की संभावना कम या समाप्त हो सकती है जिसके लिये वे तैयार नहीं हैं।

    राजनीति में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि हेतु आवश्यक उपाय:

    संसद में महिलाओं के लिये आरक्षण: हालाँकि भारतीय संविधान में 73वें और 74वें संशोधन द्वारा महिलाओं के लिये स्थानीय निकाय की एक-तिहाई सीटों के आरक्षण का प्रावधान किया गया है लेकिन राजनीति में महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये अन्य प्रयास किये जाने की भी आवश्यकता है। महिलाओं को लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं में 33% आरक्षण प्रदान करने संबंधी महिला आरक्षण विधेयक को तत्काल पुरःस्थापित एवं पारित किये जाने की आवश्यकता है।

    राजनीतिक दलों में महिलाओं के लिये आरक्षण: यद्यपि यह कदम महिला सांसदों की संख्या में वृद्धि के संबंध में कोई ठोस आश्वासन प्रदान नहीं करता है किंतु राजनीति में महिलाओं की पर्याप्त संख्या सुनिश्चित करने के लिये यह ठोस कदम हो सकता है।

    विश्व के कई देशों में यह प्रावधान किया गया है जैसे- स्वीडन, नॉर्वे, कनाडा, ग्रेट ब्रिटेन और फ्राँस आदि।

    महिलाओं के सर्वांगीण विकास हेतु माहौल प्रदान करना:

    राजनीति व अन्य विविध क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिये आवश्यक है कि समाज में प्रत्येक स्तर पर महिला सशक्तीकरण तथा उनकी सामुदायिक भागीदारी के लिये प्रयास किये जाएँ ताकि उनमें आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता आदि गुणों का विकास हो।

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