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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारी संख्या में श्रमिकों के पालयन को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ‘श्रमिक कल्याण आयोग’ का गठन किया गया। प्रवासी श्रमिकों को समस्याओं की चर्चा करते हुए इस आयोग द्वारा प्रस्तुत संभावित समाधानों को रेखांकित करें।

    26 Jun, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका।

    • श्रमिक कल्याण आयोग’ का परिचय ।

    • प्रवासी श्रमिकों को समस्यायें।

    • आयोग द्वारा प्रस्तुत संभावित समाधान।

    • निष्कर्ष।

    कोविड-19 के कारण हुए देशव्यापी लॉकडाउन ने औद्योगिक गतिविधियों को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया जिसके कारण भारत के कई बड़े शहरों से भारी संख्या में श्रमिकों का पलायन देखा गया।

    जनसंख्या वृद्धि के अनुमात में ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के नए अवसरों के उपलब्ध न होने के कारण ग्रामीण आबादी का एक बड़ा हिस्सा महानगरों या अन्य राज्यों की ओर पलायन करने को विवश हुआ है।

    वर्ष 2017 में केंद्रीय आवास तथा शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा स्थापित प्रवासन पर काम करने वाले समूह द्वारा NSSO की एक रिपोर्ट के आधार पर बताया कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तथा मुंबई की कुल आबादी में से 4.7 से अधिक आबादी प्रवासी लोगों की है। साथ ही इसमें से लगभग आधा हिस्सा उत्तर प्रदेश और बिहार से आए श्रमिकों का है।

    वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में अंतर्राज्यीय प्रवासियों की संख्या लगभग 454 मिलियन बताई गई थी, हलांकि वर्तमान में इनकी संख्या में भारी वृद्धि होने का अनुमान है।

    उपरोक्त परिस्थितियों को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘श्रमिक कल्याण आयोग’ का गठन किया है जिसके तहत श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर रोज़गार उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा। यह आयोग अन्य राज्यों से लौट रहे श्रमिकों के कौशल की पहचान करेगा तथा उन्हें प्रशिक्षण प्रदान कर रोज़गार के अवसर उपलब्ध करायेगा।

    साथ ही श्रमिकों को स्वास्थ्य बीमा, मातृत्व संबंधी योजनाओं से जुड़े लाभ, पुन: रोज़गार प्राप्त करने में सहायता, बेरोज़गारी भत्ता तथा सामाजिक सुरक्षा जैसी सुविधाएं प्रदान करने में मदद करेगा। इसके तहत अब तक 15 लाख श्रमिकों का मूल्यांकन किया जा चुका है। इस प्रावधान के लागू होने के बाद ऐसे राज्य या इकाईयां जो उत्तर प्रदेश के श्रमिकों को बुलाने के इच्छुक है,उन्हें श्रमिकाें के सामाजिक और कानूनी अधिकारों को सुनिश्चित करने का प्रबंध करना होगा।

    इस पहल के माध्यम से राज्य के श्रमिकों के संदर्भ प्रमाणिक ऑकड़ों को एकत्र कर, किसी विशेष परिस्थिति में उन्हें लक्षित सहयोग व सहायता प्राप्त होगी। साथ ही आय, कौशल तथा बेरोज़गारी से जुडे़ कानूनों तथा नीतियों के निर्माण में सहायता प्राप्त होगी।

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