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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    यद्यपि सरकार द्वारा ‘बाल यौन दुर्व्यवहार’ की रोकथाम हेतु कई पहलें की गई हैं। तथापि हाल के दिनों में ‘ऑनलाइन बाल यौन दुर्व्यवहार सामग्री’ की बढ़ती उपलब्धता ने इस समस्या को अधिक विकृत बना दिया है। इस संदर्भ में सरकार के प्रयासों की चर्चा करें तथा इसके समाधान हेतु अपने सुझाव प्रस्तुत करें।

    09 Apr, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • सर्वप्रथम बाल यौन अपराध के कुछ आँकड़े दें। 

    • बाल यौन दुर्व्यवहार रोकने की सरकारी पहले बताएँ।

    • ऑनलाइन बाल यौन-दुर्व्यवहार की समस्या से निपटने के लिये सरकारी प्रयासों का उल्लेख करें।

    • इस संदर्भ में अपने सुझाव दें।

    • अंत में निष्कर्ष दें।

    राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, लैगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) के तहत 2014 में 8,904 और 2015 में 14,913 मामले दर्ज़ किये गए। वहीं, 2001 से 2011 के बीच बच्चों के यौन अपराध में 336% की वृद्धि देखी गई है।

    • बाल यौन दुर्व्यवहार की रोकथाम हेतु सरकार द्वारा कई पहलें शुरू की गई हैं, जैसे:
    • 2012 में यौन अपराध से बाल संरक्षण अधिनियम (POCSO) बनाया गया। इसके तहत बच्चों के खिलाफ किसी भी प्रकार के छेड़छाड़ को अपराध घोषित किया गया है तथा बाल यौन दुर्व्यवहार के मामले की रिपोर्ट जुवेनाइल पुलिस को करनी ज़रूरी है।
    • भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम अश्लील सामग्री के निर्माण या प्रसारण का निषेध करता है।
    • लेकिन इसके बावज़ूद ऑनलाइन बाल यौन दुर्व्यवहार सामग्री की उपलब्धता में वृद्धि हुई है, जिसके अंतर्गत बाल यौन शोषण से संबंधित चित्र एवं वीडियो तथा लेख आदि को रखा जा सकता है। इसके कारण बाल यौन दुर्व्यवहार की समस्या और अधिक विकृत बनी है।

    इसी को ध्यान में रखते हुए कई प्रयास किये गए हैं:

    1. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ऑनलाइन बाल यौन उत्पीड़न सामग्री की समस्या से निपटने के लिये निम्नलिखित प्रयास किये हैं:

    (i) ऑनलाइन बाल यौन उत्पीड़न एवं शोषण के खिलाफ एक नेशनल एलायंस स्थापित करना जो मुख्य रूप से ऑनलाइन सामग्री पर ध्यान केंद्रित करेगा।

    (ii) अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन कर इसके परामर्श पर एक आदेश जारी किया गया है जिसके तहत सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79(2) के तहत इंटरनेट सेवा प्रदाता को इंटरनेट वॉच फाउंडेशन के संसाधनों को अपनाने और कार्यान्वित करने का निर्देश गया है।

    2. इसके अलावा, देश में बाल अधिकारों के संरक्षण पर काम करने वाले संगठनों के एक नेटवर्क ने ‘आरम्भ’ पहल की शुरुआत की है। इंटरनेट के माध्यम से बच्चों का यौन शोषण रोकने वाली और विद्यमान चाइल्ड पोर्नोग्राफी को इंटरनेट से हटाने वाली यह देश की पहली हॉटलाइन है।

    3. सुप्रीम कोर्ट ने देश में सभी चाइल्ड पोर्नोग्राफी साइट पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है।

    बाल यौन दुर्व्यवहार की समस्या के समाधान हेतु निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:

    • बच्चों केे यौन दुर्व्यवहारों के मामले में माता-पिता को जागरूक करना चाहिये क्योंकि इसमें ज़्यादातर अपराधी निकट संबंधी ही होते हैं।
    • शैक्षणिक संस्थाओं में जागरूकता कैंप लगाए जाने चाहिये तथा इस संदर्भ में शार्ट फिल्म भी दिखाई जानी चाहिये, जैसे- हाल ही में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ‘कोमल’ फिल्म का निर्माण किया है।
    • स्लमडॉग मिलियनेयर जैसी अन्य फिल्मों का निर्माण किया जाना चाहिये।
    • व्यक्तिगत स्तर पर सभी नागरिकों को इस तरह के अपराधों की रोकथाम में योगदान देना चाहिये।

    वस्तुत: बच्चे किसी समाज का भविष्य होते हैं। अत: एक स्वस्थ समाज के निर्माण के लिये बच्चों का गरिमापूर्ण एवं खुशहाल बचपन  अनिवार्य शर्त है, जिसके लिये बाल यौन दुर्व्यवहारों पर नियत्रंण आवश्यक है।

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