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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रत्येक 40 सेकेंड में आत्महत्या के कारण एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। मनुष्य द्वारा समस्याओं से मुक्ति पाने हेतु ऐसा कदम उठाना क्या किसी भी तरीके से नैतिक ठहराया जा सकता है? विश्लेषण कीजिये।

    17 Sep, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण -

    • आत्महत्या के कारणों पर चर्चा करते हुए भूमिका लिखिये।

    • विभिन्न परिस्थितियों के आलोक में आत्महत्या की नैतिकता पर विचार कीजिये।

    • संतुलित निष्कर्ष लिखिये।

    आज के इस भौतिकवादी युग में मानव संपन्नता की चाह में लगातार भाग-दौड़ कर रहा है और इसी के चलते वह अवसाद, जीवन के प्रति नकारात्मकता, परिजनों से अलगाव, भौतिक जीवन में असफलता तथा जीवन से तटस्थता जैसे भावों से ग्रसित हो जाता है और आत्महत्या की ओर उन्मुख होता है।

    आत्महत्या एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति स्वेच्छा से स्वयं मृत्यु का वरण करता है। नैतिकता की दृष्टि से देखा जाए तो सामान्य परिस्थिति में आत्महत्या अनैतिक नज़र आती है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तथा उसके अस्तित्व के निर्माण में उसके अलावा उसके माता-पिता, उसके परिवार के अन्य सदस्य, उसके मित्र तथा संपूर्ण समाज का योगदान होता है। इसके अलावा एक व्यक्ति के रूप में अन्य लोग उससे भावनात्मक रूप से भी जुड़े होते हैं। ऐसे में आत्महत्या की घटना से उससे जुड़े सभी व्यक्ति नकारात्मक रूप से प्रभावित होंगे। यह नैतिकता की पारस्परिकता की अवधारणा के विरुद्ध है। इसके अतिरिक्त यह उपयोगितावादी विचारधारा के भी विरुद्ध है क्योंकि मनुष्य अपने आप में एक संसाधन होता है।

    निम्न स्थितियों में आत्महत्या को नैतिक ठहराया जा सकता है-

    • अत्यंत कष्टदायक असाध्य रोगों से पीड़ित होने पर।
    • यदि अपने परिवार, समाज तथा देश के हित के लिये आत्महत्या करना आवश्यक हो।

    वास्तव में आत्महत्या से संबंधित नैतिकता की अवधारणा अपने आप में आत्मनिष्ठ है जो व्यक्ति, परिवार, समाज और परिस्थितियों पर निर्भर करती है। कई बार आत्महत्या की घटना के लिये व्यक्ति की तुलना में समाज और परिस्थितियां अधिक दोषी होती हैं। यदि ईश्वर के आधार पर नैतिकता को देखा जाए तो यह जीवन हमें ईश्वर की इच्छा से प्राप्त हुआ है, अतः कुछ आपवाद की स्थितियों को छोड़कर इसे नष्ट करना अनैतिक है।

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