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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    पंचशील सिद्धांत क्या हैं? चीन भारत को अपनी ‘वन बेल्ट वन रोड (OBOR)’ पहल में शामिल होने के लिये तैयार करने हेतु इस सिद्धांत का कैसे सहारा ले रहा है? व्याख्या करें।

    22 May, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    उत्तर :

    पंचशील मानव कल्याण एवं विश्व शांति के आदर्शों की स्थापना एवं विभिन्न राजनीतिक सामाजिक, एवं आर्थिक व्यवस्था वाले देशों के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में पारस्परिक सहयोग के लिये पाँच आधारभूत सिद्धांत हैं। इनकी उत्पत्ति भारत-चीन संबंधों को मजबूती प्रदान करेन के उद्देश्य से 29 अप्रैल 1954 को हुई। ये पाँच सिद्धांत निम्नलिखित है-

    1. एक दूसरे के क्षेत्रों की अखण्डता और संप्रभुता का पारस्परिक सम्मान 
    2. एक दूसरे पर आक्रमण नहीं करना
    3. दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना
    4. परस्पर सहयोग एवं लाभ को बढ़ावा देना
    5. शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की नीति का पालन करना

    भारत हाल ही में चीन में ‘वन बेल्ट वन रोड’ (OBOR) पर आयोजित बैठक में शामिल नहीं हुआ क्योंकि OBOR में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) भी शामिल है। चूँकि CPEC पाक आधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है जिसे भारत अपना अभिन्न अंग मानता है एवं CPEC को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है। अतः चीन ने भारत की इन चिंताओं को संबोधित करने के लिये पंचशील सिद्धांत का सहारा लिया है।

    चीन ने कहा है कि OBOR का उद्देश्य क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा देना है एवं हम अन्य देशों के साथ मित्रतापूर्ण संबंधों का विकास करने के लिये शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के इन पाँच सिद्धांतों का अनुसरण करेंगे। अन्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने, अपनी सामाजिक व्यवस्था, विकास का मॉडल अथवा अपनी इच्छाएँ उन पर थोपने का हमारा कोई इरादा नहीं है।

    चीन के अनुसार चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा पंचशील सिद्धांतों के विरूद्ध नहीं है क्योंकि कश्मीर मुद्दे पर चीन अपनी वर्तमान स्थिति बरकरार रखेगा। चीन ने कहा है कि OBOR में भारत की भागीदारी के लिये उसके दरवाजे सदैव खुले रहेंगे।

    यद्यपि यह चीन की कूटनीतिक चाल है ताकि भारत OBOR में शामिल होने का निर्णय ले, लेकिन 1962 में चीन द्वारा भारत पर आक्रमण एवं भारत के भू-भाग के कई क्षेत्रों पर अपना दावा ठोकना यह दर्शाता है कि चीन पंचशील सिद्धातों का अनुसरण नहीं करता। अतः भारत को ऐसे किसी भी आग्रह के सभी पहलुओं पर विचार कर ही निर्णय लेना चाहिये ताकि भारत की संप्रभुता अक्षुण्ण रहे।

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