इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    एक उदारीकृत बाज़ार अर्थव्यवस्था में नियामक निकायों पर संतुलित नियंत्रण करना मुश्किल कार्य हो जाता है, क्योंकि व्यावसायिक विशेषता और नियामक की स्वायत्तता प्रभावशीलता के लिये महत्त्वपूर्ण है और राजनैतिक स्तर पर नियुक्त विनियामक में सहज ‘हाँ में हाँ’ मिलाने की प्रवृत्ति होती है। इस कथन के आलोक में द्वंद्वात्मक परिस्थिति की चर्चा करें तथा इस मुद्दे के समाधान के कुछ उपाय सुझाएँ।

    08 Dec, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    भारत जैसी उदारीकृत बाजार अर्थव्यवस्था में नियामकों जैसे ट्राई (TRAI), सेबी (SEBI), इरडा (IRDA), सीसीआई (CCI) आदि के अध्यक्ष के तौर पर वरिष्ठ सिविल सेवकों की नियुक्ति होती है। सर्वविदित है कि नियामक की दक्षता के लिये स्वायत्तता और व्यावसायिकता अति महत्त्वपूर्ण है। लेकिन, राजनैतिक नियुक्ति का दबाव, दुर्भावनापूर्ण पूछताछ, नकारात्मक अभिवृत्ति व फर्ज़ी शिकायतों के कारण नियामक कार्यवाइयों में पारदर्शिता व दक्षता का अभाव देखा जाता है। इस समस्या के समाधान हेतु निम्न प्रयास किये जा सकते हैं-

    1. लघुकालीन समाधान

    ► जनता को नियामकों के निर्णयों के तार्किक आधार की जानकारी दी जाए।
    ► अधिकारियों के वेतन को तार्किक बनाया जाए, ताकि उनका मनोबल बढ़ाया जा सके।

    2. दीर्घकालीन समाधान

    ► सूचना के अधिकार अधिनियम का सही क्रियान्वयन हो, ताकि पारदर्शिता को बढ़ाया जा सके।
    ► जनता को जागरूक बनाया जाना चाहिये।
    ► सत्यनिष्ठ, ईमानदार, कर्तव्य सेवकों की नियुक्ति की जानी चाहिए। उदहारण के तौर पर सिंगापूर मॉडल को अपनाया जा सकता है। जिसमें सरकार द्वारा श्रेष्ठ छात्रों का चुनाव कर उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है। यह नवीनीकरण काँट्रेक्ट पर आधारित होती है अर्थात् यदि कार्य अपेक्षाओं के
    ► अनुरूप नहीं है तो सेवाकाल समाप्त कर दिया जाता है।
    ► भ्रष्टाचारियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिये।
    ► अधिक से अधिक डिजीटलीकरण आवश्यक है। इसकी मदद से उपलब्ध जानकारियों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाया जा सके। सरकार द्वारा ‘ऑप्टिकल फाइबर’ योजना व गूगल की ‘लून परियोजना’ इस दिशा में एक बेहतर प्रयास है।
    ► नियामकों को स्वतः संज्ञान और पूर्व पहल के माध्यम अधिकारियों में व्यावसायिक नैतिकता, सत्यनिष्ठा, निष्पक्षता जैसे मूल्यों के संवर्द्धन का प्रयास करना चाहिए।

    इस प्रकार राजनैतिक दबाव व व्यावसायिक कर्त्तव्यों के मध्य में संतुलन बनाना कठिन है, परंतु मुश्किल नहीं। सभी समाधानों को क्रियान्वित करके एक पारदर्शी, जवाबदेह व दक्ष प्रणाली का विकास किया जा सकता है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2