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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    अन्य देशों की तुलना में क्या सेबी का क्षमता निर्माण कार्यक्रम, भारत में सफ़ेदपोश अपराध से निपटने में कारगर सिद्ध हो सकेगा? विश्लेषणात्मक टिप्पणी कीजिये।

    08 Sep, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा

    • प्रभावी भूमिका में सेबी (SEBI) का संक्षिप्त परिचय लिखें।
    • तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु में सफ़ेदपोश अपराधों से निपटने के लिये सेबी के क्षमता निर्माण की आवश्यकता को बताते हुए अन्य उपायों की भी चर्चा करें।
    • प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।

    सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) भारत में एक बाज़ार नियामक तथा प्रतिभूति और वित्त का विनियामक बोर्ड है जिसकी स्थापना 12 अप्रैल, 1992 में की गई थी। इसका मुख्यालय मुंबई में है तथा नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में इसके क्षेत्रीय कार्यालय हैं। पूंजी बाज़ार के नियामक और प्रबंधक के रूप में इसकी भूमिका सफ़ेदपोश अपराधों के लिये विशेष महत्त्व रखती है लेकिन अन्य देशों की तुलना में सेबी की शक्तियाँ कम और कार्यभार ज्यादा है, इसे निम्नलिखित प्रकार से समझ सकते हैं : 

    • वर्ष 2017 में अमेरिका के सिक्योरिटीज़ एक्सचेंज कमीशन (SEC) में  3,616 सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियाँ थीं, जबकि 5,818 कंपनियाँ बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध थीं। 2017 तक SEC के पास 4,554 कर्मचारी थे जबकि सेबी के पास केवल 780 कर्मचारी ही थे।
    • यदि कर्मचारियों की गुणवत्ता के संदर्भ में देखें तो यह असमानता चौंकाने वाले आँकड़े प्रदर्शित करती  है।
    • SEC के 4,554 कर्मचारी 3,616 सूचीबद्ध कंपनियों की निगरानी करते हैं और इस प्रकार अमेरिका में प्रत्येक सूचीबद्ध कंपनी की औसत रूप से 1.26 कर्मचारियों द्वारा निगरानी की जाती है।
    • इसके विपरीत, भारत में 780  कर्मचारी 5,818 सूचीबद्ध कंपनियों की निगरानी करते हैं और इस प्रकार भारत में प्रत्येक SEBI कर्मचारी 7.45 सूचीबद्ध कंपनियों पर नज़र रखता है।

    भले ही सूचीबद्ध फर्मों में कॉर्पोरेट गवर्नेंस की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले अन्य सभी कारक भारत और अमेरिका में समान रहते हैं, लेकिन SEBI में 780 कर्मचारियों में से प्रत्येक को निगरानी कार्य करने में सक्षम होने के लिये और अति मेहनती होना होगा, जिसके लिए सेबी के क्षमता निर्माण की आवश्यकता है। अतः टी.के. विश्वनाथन कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) को सफ़ेदपोश अपराध (white-collar crimes) रोकने के लिये व्यापक शक्तियाँ प्रदान करने की अनुशंसा की है। 

    गौरतलब है कि सफ़ेदपोश अपराधी पूंजी बाज़ारों में छोटे निवेशकों के कमज़ोर विश्वास को नुकसान पहुँचाकर पूंजी निर्माण की प्रक्रिया में बाधा डालते हैं। साथ ही, भारतीय पूंजी बाज़ारों में समय-समय पर होने वाले घोटाले भी शेयर बाज़ारों पर हानिकारक प्रभावों को स्पष्ट करते हैं। अतः इक्विटी पूंजी बाज़ारों के विनियमन के लिये सफेदपोश अपराधियों को अनुमान के आधार पर दंडित करने और ऐसे अपराधों की वास्तविक पहचान, निगरानी और प्रवर्तन की आवश्यकता होती है। इस प्रकार, कई उच्च स्तरीय समितियों द्वारा की गई अनेक उत्कृष्ट सिफारिशों की प्रभावकारिता मुख्य रूप से  SEBI की प्रवर्तन क्षमताओं पर निर्भर करती है।

    हाल के दिनों में SEBI के कई प्रवर्तन आदेशों के बावज़ूद ये क्षमताएँ सुर्ख़ियों में रहीं, अतः इन अनियमितताओं का पता लगाने के लिये SEBI को स्वयं को सशक्त बनाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही कुछ और उपाए भी अपनाए जा सकते हैं :

    • दुर्लभ मानव संसाधनों का लाभ उठाने के लिये विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का उपयोग करना और कम संवेदनशील निगरानी कार्यों के लिये आउटसोर्सिंग संसाधनों का रणनीतिक उपयोग किया जा सकता है।
    • विशेष रूप से निगरानी कार्य के पूरक के रूप में व्हिसलब्लोअर पर विचार करना भी महत्त्वपूर्ण साबित होगा।
    • भले ही अन्य देशों की एजेंसियों का अनुकरण करना कोई दूरदर्शी विचार न लगता हो किंतु अमेरिका के लगभग दो सौ वर्ष पुराने लोकतंत्र द्वारा बनाए गए क़ानून, शासन के नियंत्रण और संतुलन बनाए रखने के लिये भारत हेतु एक अच्छा बेंचमार्क प्रदान करते हैं।
    • भारत में सफेदपोश अपराधों को कम करने के लिये सेबी को और शक्तियाँ उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।
    • हालाँकि, सेबी में अत्याधुनिक विनियामक क्षमता का निर्माण सर्वोपरि है।

    शासन ने अक्सर ही प्रभावी कानूनों, चाहे वे कॉर्पोरेट, राजनीतिक या सामाजिक हों, के प्रभावी अधिनियमन पर कम ध्यान दिया है जिस कारण समाज में सफ़ेदपोश अपराधों को अपनी जड़ जमाने का पर्याप्त अवसर मिला है परंतु सेबी के क्षमता निर्माण के साथ ही उपर्युक्त उपायों को अपनाकर इन अपराधों पर अंकुश लगाया जा सकता है।

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