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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    उपयोगितावाद से आप क्या समझते है? संक्षेप में बताइये।

    12 Jun, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    प्रश्न-विच्छेद

    • उपयोगितावाद को संक्षेप में बताना है।

    हल करने का दृष्टिकोण

    • प्रभावी भूमिका लिखते हुए उपयोगितावाद के विषय में बताएँ।
    • तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु लिखते हुए उपयोगितावाद के अर्थ को विश्लेषित करें तथा प्रकारों की चर्चा करें।

    उपयोगितावाद नीतिशास्त्र का एक आधुनिक सिद्धांत है तथा एक परिणाम सापेक्षवादी विचारधारा है। 18वीं शताब्दी में शेफ्टसबरी व बटलर तथा 19वीं शताब्दी में बेन्थम, मिल और सिज़विक इसके प्रमुख समर्थक माने जाते हैं।

    उपयोगितावादी मानते हैं कि वही कर्म शुभ है जो सिर्फ व्यक्ति विशेष के हित में न होकर व्यापक सामाजिक हित की पुष्टि करता है। यदि यह संभव नहीं है, तो वह कार्य शुभ है जो अधिकतम व्यक्तियों के अधिकतम सुख को साधने में सहायक है। उपयोगितावाद में शुभ की मूल परिभाषा किसी वस्तु या कार्य की उपयोगिता से तय होती है। जो समाज के लिये उपयोगी है वह शुभ है, और शुभ वही है जो सुख प्रदान करता है। इसीलिये अधिकांश उपयोगितावादी सुखवादी भी हैं। किंतु अगर कोई यह माने कि सुख के अलावा कोई अन्य वस्तु है जो समाज के लिये उपयोगी है तो उपयोगितावाद सुखवाद से पृथक भी हो सकता है हेस्टिंग्स, रैश्डैल का उपयोगितावाद इसी प्रकार का है।

    किसी कार्य के शुभ या अशुभ होने का निर्णय उसके परिणामों या सामाजिक प्रभावों पर आधारित है। बेन्थम मानते हैं कि कोई कर्म या नियम अधिकतम व्यक्तियों के लिये अधिकतम उपयोगिता रखता है या नहीं इसका एकमात्र पैमाना सुख है। शेष सभी वांछनीय वस्तुएँ सुख के साधन के रूप में ही शुभ हो सकती हैं जैसे-ज्ञान, चरित्र इत्यादि।

    उपरोक्त आधार पर उपयोगितावाद के निम्न प्रकार हो सकते हैं-

    • सुखवादी उपयोगितावाद- इसके समर्थक मानते हैं कि उपयोगिता का आधार सुख है।
    • आदर्श मूलक उपयोगितावाद- इसमें उपयोगिता की धारणा व्यापक है, उसमें सुख तो शामिल है ही किंतु सुख के अलावा अन्य आधार भी हो सकते हैं जैसे-ज्ञान, सत्य, सद्गुण और चारित्रिक श्रेष्ठता को भी सुख की तरह स्वतः शुभ माना जा सकता है।
    • कर्म संबंधी उपयोगितावाद- इसके अंतर्गत कर्म विशेष के संबंध में तय किया जाता है कि वह समाज के लिये उपयोगी है या नहीं। इसे निम्न दो उप प्रकारों में बाँटा गया है- (i) सीमित कर्म संबंधी उपयोगितावाद (ii) व्यापक कर्म संबंधी उपयोगितावाद।
    • नियम संबंधी उपयोगितावाद- इसमें विशेष कृत्यों की नहीं बल्कि नियमों की उपयोगिता का निश्चय किया जाता है।
    • निकृष्ट उपयोगितावाद- इसमें सुखों में गुणात्मक भेद नहीं माना जाता।
    • उत्कृष्ट उपयोगितावाद- इसमें सुखों में गुणात्मक भेद स्वीकार किया जाता है।

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