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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    ‘वैश्विक प्रसन्नता रिपोर्ट, 2017’ के प्रमुख बिंदुओं का उल्लेख करते हुए बताएँ कि भारत इस रिपोर्ट की वैश्विक प्रसन्नता सूची में इतना पिछड़ा हुआ क्यों है?

    18 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    संयुक्त राष्ट्र के Sustainable Development Solutions Network द्वारा विश्व प्रसन्नता दिवस (20 मार्च, 2017) पर ‘वैश्विक प्रसन्नता रिपोर्ट, 2017’ जारी की गई। इस रिपोर्ट के महत्त्वपूर्ण बिंदु निम्नलिखित हैं-

    • नार्वे इस सूची में प्रथम स्थान पर है एवं उसके बाद क्रमशः डेनमार्क, आइसलैंड और स्वीट्जरलैंड का स्थान आता है। ये शीर्ष चार देश प्रसन्नता में सहायक प्रमुख कारकों, जैसे- देखभाल, स्वतंत्रता, उदारता, ईमानदारी, स्वास्थ्य, आय और सुशासन में उच्च स्थान रखते हैं।
    • इस वर्ष की रिपोर्ट प्रसन्नता के व्यक्तिगत पक्ष के साथ-साथ सामाजिक आधार पर भी जोर देती है।
    • काम को भी प्रसन्नता को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक माना गया है। बेरोजगारी प्रसन्नता में गिरावट का प्रमुख कारण बनती है एवं यहाँ तक कि काम करने वालों के लिये काम का गुणवत्ता भी प्रसन्नता में अंतर पैदा करती है।
    • चीन की प्रसन्नता दर में पिछले 25 वर्षों में गिरावट दर्ज की गई है। हालाँकि, इस अवधि के दौरान चीन के प्रतिव्यक्ति GDP में तीव्र प्रगति देखने को मिली।
    • अमेरिका में प्रसन्नता में गिरावट आई है, जिसका कारण आर्थिक नहीं बल्कि सामाजिक है, जो बढ़ती असमानता, भ्रष्टाचार, अलगाव और अविश्वास के कारण उभरा है। 

    वैश्विक प्रसन्नता सूची में भारत का स्थान 155 देशों में 122वाँ है। इस प्रकार यह न केवल चीन (79) बल्कि पाकिस्तान (80), भूटान (97), नेपाल (99), बांग्लादेश (110) और श्रीलंका (120) से भी पीछे हैं। भारत का इस सूची में पिछड़ने के निम्नलिखित कारण हैं-

    • भारत में कुपोषण का स्तर काफी उच्च है। विश्व बैंक रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुपोषित बच्चों की संख्या चीन से लगभग पाँच गुना और सब सहारा अफ्रीका की तुलना में दो गुना है।
    • भारत में लगभग 10 मिलियन बच्चे अपना बचपन काम में खर्च करते हैं। (2011 जनगणना के आँकड़े) 
    • लगभग 270 मिलियन लोग गरीब रेखा से नीचे है।
    • भारत में भ्रष्टाचार का स्तर काफी उच्च है एवं सुशासन भी पर्याप्त रूप से स्थापित नहीं हो पाया है।
    • शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ भी भारत में प्रसन्नता को प्रभावित करती है। WHO के अध्ययन के अनुसार, भारत में लगभग 10% लोग अवसाद एवं तनाव जैसे मानसिक विकारों से पीड़ित है। वहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार भारत की 6.7% जनसंख्या मनौवैज्ञानिक विकलांगता से पीड़ित है।

    निष्कर्षः सामान्यतः नीति निर्माण के दौरान आर्थिक वृद्धि दर को ही ध्यान में रखा जाता है जबकि प्रसन्नता की स्थिति में सुधार के लिये आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक मापदंडों में सुधार भी आवश्यक है।

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