रैपिड फायर
दुर्लभ मृदा स्थायी चुंबक विनिर्माण योजना
- 29 Dec 2025
- 17 min read
भारत ने धातुमल दुर्लभ मृदा स्थायी चुंबक (REPM) के निर्माण को बढ़ावा देने के लिये ₹7,280 करोड़ की योजना को मंजूरी दी है, जिसके तहत 6,000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MTPA) का एक एकीकृत घरेलू REPM पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित किया जाएगा, जो दुर्लभ मृदा ऑक्साइड से लेकर तैयार चुंबकों तक पूरे मूल्य शृंखला को कवर करेगा।
- कार्यान्वयन: यह योजना 7 वर्षों में लागू की जाएगी (2 वर्ष की तैयारी अवधि + 5 वर्ष के प्रोत्साहन), इसमें अधिकतम पाँच लाभार्थियों (प्रत्येक 1,200 MTPA) को समर्थन मिलेगा और ₹6,450 करोड़ के विक्रय-संबंधित प्रोत्साहन तथा ₹750 करोड़ की पूंजी सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
- संसाधन उपलब्धता: वर्तमान में भारत आयात पर काफी निर्भर है, चीन वर्ष 2022–25 के दौरान स्थायी चुंबकों का 60–90% आपूर्ति करता है, जबकि वर्ष 2030 तक REPM की मांग दोगुनी होने की उम्मीद है।
- भारत के पास 13.15 मिलियन टन मोनाज़ाइट का मज़बूत संसाधन आधार है, जिसमें 7.23 मिलियन टन दुर्लभ मृदा ऑक्साइड कई राज्यों में विस्तृत रूप से पाए जाते हैं।
- REPM के संबंध में: दुर्लभ मृदा स्थायी चुंबक (REPMs) उच्च-शक्ति वाले स्थायी चुंबक हैं, जिन्हें नेओडिमियम और समैरियम जैसे दुर्लभ मृदा तत्त्वों का उपयोग करके बनाया जाता है।
- REPMs संक्षिप्त आकार में अत्यधिक चुंबकीय शक्ति प्रदान करते हैं, जिससे ये इलेक्ट्रिक वाहन के मोटर, पवन टरबाइन, इलेक्ट्रॉनिक्स, अंतरिक्ष और रक्षा अनुप्रयोगों के लिये अत्यंत आवश्यक हो जाते हैं।
- अन्य सहायक पहलें:
- नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन (NCMM), 2025: खोज से लेकर पुनर्चक्रण तक पूरी मूल्य शृंखला को मज़बूत करके महत्त्वपूर्ण खनिजों की दीर्घकालिक आपूर्ति सुनिश्चित करता है।
- खनिज और खनन (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 (MMDR Act) – संशोधन 2023: यह निजी क्षेत्र की भागीदारी, खनिज अनुज्ञप्तियों की नीलामी और महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये नई खोज लाइसेंसिंग को सक्षम बनाता है
- वैश्विक खनिज सुरक्षा पहल: भारत खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) के माध्यम से और खनिज सुरक्षा साझेदारी (MSP), हिंद-प्रशांत आर्थिक ढाँचा (IPEF) तथा क्रिटिकल और इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (iCET) पहल में भागीदारी के जरिये विदेशों में खनिज पहुँच को मज़बूत करता है।
| और पढ़ें: सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना |