भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत की परिवहन व्यवस्था
- 11 Dec 2025
- 92 min read
प्रिलिम्स के लिये: प्रधानमंत्री गति शक्ति – राष्ट्रीय मास्टर प्लान, राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP), राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन, कवच 5.0
मेन्स के लिये: भारत में बार-बार होने वाली परिवहन बाधाओं के कारण और नीतिगत निहितार्थ, शहरी और अंतर-शहरी गतिशीलता में सार्वजनिक निवेश बनाम बाज़ार-आधारित मॉडल की भूमिका, शहरी परिवहन में पहुँच।
चर्चा में क्यों?
वर्ष 2025 में भारत के परिवहन क्षेत्र को गंभीर अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ा— चरम मौसम (पीक सीज़न) में ट्रेनों में अत्यधिक भीड़ से लेकर बड़ी संख्या में उड़ानों के रद्द होने तक। इन घटनाओं ने सीमित आपूर्ति के बीच बढ़ती मांग को संतुलित करने में मौजूद चुनौतियों को स्पष्ट रूप से उजागर किया।
- ये व्यवधान नवउदारवादी नीतियों और अल्पनिवेश के बीच भारत की परिवहन व्यवस्था पर बढ़ते दबाव को रेखांकित करते हैं।
भारत की परिवहन व्यवस्था में बाधा डालने वाली चुनौतियाँ क्या हैं?
- बुनियादी ढाँचे की कमियाँ: दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे प्रमुख शहरी केंद्रों में सड़कों पर भीषण भीड़भाड़ रहती है। कुशल सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों की कमी यातायात की समस्या को और भी बढ़ा देती है।
- शहरी क्षेत्रों में रेल सेवाओं की कमी, लगातार देरी और पीक आवर्स व त्योहारों के दौरान सीमित क्षमता के कारण भारी भीड़भाड़ उत्पन्न होती है।
- भारत की रेल और सड़क बुनियादी ढाँचे का अधिकांश हिस्सा पुराना हो चुका है, जिसके कारण यात्रा धीमी होती है, बार-बार खराबी आती है और सुरक्षा जोखिम बढ़ जाते हैं।
- नव-उदारवादी बाधाएँ: भारत का आर्थिक मॉडल राज्य की निवेश करने की क्षमता को सीमित करता है, जबकि न्यूनतम निगरानी के साथ निजी क्षेत्र के विस्तार को प्रोत्साहित करता है।
- इससे दोहरी समस्या उत्पन्न होती है:
- सार्वजनिक सेवाएँ भले ही किफायती हों, लेकिन सीमित वित्तपोषण के कारण वे भीड़भाड़, बार-बार खराबियों और लगातार संसाधनों की कमी जैसी समस्याओं का सामना करती रहती हैं।
- यद्यपि निजीकरण और विनियमन में ढील से दक्षता बढ़ाने की अपेक्षा की गई थी, लेकिन व्यावहारिक रूप से ये कदम अक्सर बाज़ार में एकाधिकार या अल्पाधिकार उत्पन्न कर देते हैं। परिणामस्वरूप, विमानन जैसे क्षेत्रों में इंडिगो जैसी कुछ बड़ी कंपनियाँ बाज़ार पर अत्यधिक नियंत्रण स्थापित कर लेती हैं, जिससे प्रतिस्पर्द्धा घटती है और किराए बढ़ जाते हैं।
- इसका परिणाम एक ऐसी व्यवस्था है जहाँ न तो सार्वजनिक परिवहन और न ही निजी परिवहन उपभोक्ता कल्याण की विश्वसनीय रूप से रक्षा करता है।
- इससे दोहरी समस्या उत्पन्न होती है:
- सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: भारत में सड़क दुर्घटनाओं की दर विश्व स्तर पर सबसे अधिक है।
- बुनियादी ढाँचे में सुरक्षा सुविधाओं की कमी के कारण पैदल यात्री और साइकिल चालक जैसे कमज़ोर सड़क उपयोगकर्त्ता विशेष रूप से जोखिम में हैं।
- रेलवे में किये गए सुधारों के बावजूद, दुर्घटनाएँ और पटरी से उतरने की घटनाएँ अब भी जारी हैं, जिससे न केवल जानमाल का नुकसान होता है बल्कि जनता में गहरा असंतोष भी फैलता है।
- वर्ष 2025 में अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे में 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जिससे भारत की परिवहन प्रणालियों में सुरक्षा संबंधी खामियों को लेकर चिंताएँ और बढ़ गई हैं।
- पर्यावरणीय स्थिरता: परिवहन क्षेत्र भारत में वायु प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है और यह देश के ऊर्जा-संबंधित CO₂ उत्सर्जन में 14% का योगदान देता है।
- सतत विकल्पों जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की ओर बदलाव हो रहा है, लेकिन इसकी गति अभी भी धीमी है।
- चरम मौसमी घटनाएँ, जैसे बाढ़ और तूफान, परिवहन अवसंरचना के लिये बढ़ते खतरे का कारण बन रहे हैं, जो जलवायु-सहनशील अवसंरचना की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
- डेटा-आधारित निर्णय-निर्माण का अभाव: यद्यपि डिजिटलीकरण में सुधार हुआ है, परिवहन क्षेत्र में अभी भी यातायात प्रबंधन, भीड़ कम करने और लॉजिस्टिक्स को अनुकूलित करने हेतु व्यापक डेटा-आधारित रणनीतियों का अभाव है।
- स्मार्ट ट्रैफिक लाइट्स, GPS-सक्षम बसें और डिजिटल टिकटिंग जैसे नवाचार देश के अनेक हिस्सों में अभी भी अपने प्रारंभिक चरण में हैं।
- लॉजिस्टिक्स एवं माल ढुलाई संबंधी चुनौतियाँ: लॉजिस्टिक्स क्षेत्र अल्प-प्रभावी वेयरहाउसिंग, पुरानी परिवहन प्रणालियों और सीमा शुल्क विलंब का सामना करता है, जिससे लागत बढ़ती है, प्रतिस्पर्द्धात्मकता कम होती है और कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि होती है।
- प्रशासन के विभिन्न स्तरों पर भ्रष्टाचार प्रायः परियोजनाओं के खराब कार्यान्वयन, विलंब और बजट अधिव्यय का कारण बनता है। उदाहरण के लिये, निविदा और अनुबंध-प्रदान प्रक्रियाओं में कभी-कभी पारदर्शिता का अभाव होता है, जिससे परियोजना कार्यान्वयन अक्षम हो जाता है।
- सामाजिक न्याय और सुलभता: यद्यपि सार्वजनिक परिवहन के कम किराये सामर्थ्य सुनिश्चित करते हैं, परंतु वे प्रायः सेवाओं तक बेहतर सुलभता में परिवर्तित नहीं होते।
- अनेक शहरों में सार्वजनिक परिवहन प्रणालियाँ भीड़भाड़ वाली, अविश्वसनीय और वृद्धजनों, महिलाओं तथा दिव्यांगजनों सहित संवेदनशील वर्गों के लिये सुलभता में कठिन हैं।
भारत के परिवहन क्षेत्र का महत्त्व क्या है?
- परिवहन क्षेत्र राष्ट्रीय गतिशीलता का मुख्य आधार है, जो सड़क, रेल और विमानन नेटवर्कों के ज़रिये देशभर में लोगों और वस्तुओं की बड़े पैमाने पर आवाजाही सुनिश्चित करता है।
- यह लॉजिस्टिक्स लागत को कम करता है और बाज़ार दक्षता को बढ़ाता है, जिससे भारत के वैश्विक विनिर्माण और निर्यात केंद्र बनने के लक्ष्य को समर्थन मिलता है।
- यह दूरस्थ, ग्रामीण, सीमावर्ती और जनजातीय क्षेत्रों को शहरी एवं आर्थिक केंद्रों से जोड़कर राष्ट्रीय एकीकरण को मज़बूत करता है।
- विश्वसनीय बहु-मॉडल संपर्कता के माध्यम से यह कृषि, MSME, पर्यटन, व्यापार और उद्योग जैसे प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों को सहायता प्रदान करता है।
- यह स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, सार्वजनिक सेवाओं और रोज़गार के अवसरों तक पहुँच सुधार कर लाखों लोगों के लिये सामाजिक समावेशन को बढ़ाता है।
- यह आपदा प्रतिक्रिया और आपूर्ति-शृंखला सहनशीलता को बढ़ावा देता है, जिससे संकट और आपात स्थितियों के दौरान आवश्यक आवागमन सुनिश्चित होता है।
परिवहन क्षेत्र के विकास के लिये भारत की क्या पहलें हैं?
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पहल |
उद्देश्य |
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सड़क, रेल, हवाई और बंदरगाहों में अवसंरचना योजना को एकीकृत करना ताकि लॉजिस्टिक्स लागत कम हो। |
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प्रमुख परिवहन और संपर्कता परियोजनाओं के लिये दीर्घकालिक वित्तपोषण प्रदान करना। |
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राष्ट्रीय राजमार्गों को सुधारना, आर्थिक गलियारे बनाना और माल ढुलाई को बढ़ाना। |
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बंदरगाहों का आधुनिकीकरण करना, तटीय शिपिंग का विस्तार करना और बंदरगाह-नेतृत्व विकास को बढ़ावा देना। |
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मेट्रो रेल नीति 2017 |
मेट्रो विस्तार, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) और पारगमन-उन्मुख विकास (TOD) को मार्गदर्शन प्रदान करना। |
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क्षेत्रीय हवाई संपर्कता का विस्तार करना और हवाई यात्रा को किफायती बनाना। |
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शहरों में इलेक्ट्रिक बसों की तैनाती कर सार्वजनिक परिवहन में सुधार करना, उत्सर्जन कम करना और इलेक्ट्रिक वाहनों व चार्जिंग अवसंरचना को बढ़ावा देना। |
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स्मार्ट यातायात प्रबंधन और वास्तविक-समय गतिशीलता डेटा प्रणालियों को सक्षम करना। |
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अमृत भारत एवं वंदे भारत पहल |
उन्नत सुविधाओं और अवसंरचना के साथ रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण करना। |
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NMT, स्मार्ट ट्रैफिक प्रणालियों और एकीकृत पारगमन समाधानों के माध्यम से शहरी गतिशीलता में सुधार करना। |
भारत की परिवहन प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिये कौन-से उपाय किये जा सकते हैं?
- सार्वजनिक परिवहन का आधुनिकीकरण: शहरी गतिशीलता, रेल उन्नयन और एकीकृत लॉजिस्टिक्स पार्कों को प्राथमिकता देने के लिये राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP) और गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान जैसे ढाँचों का उपयोग करना।
- एन. के. सिंह समीक्षा समिति (2016) ने एक अधिक अनुकूल राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (FRBM) रूपरेखा की सिफारिश की, जिससे राजकोषीय सीमाओं में लक्षित शिथिलता की अनुमति मिल सके ताकि सरकार मूल अवसंरचना में सार्वजनिक निवेश बढ़ा सके।
- यह अनुरूपता भारत की परिवहन प्रणाली के आधुनिकीकरण के लिये संसाधन-सृजन का अवसर प्रदान करती है।
- एन. के. सिंह समीक्षा समिति (2016) ने एक अधिक अनुकूल राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (FRBM) रूपरेखा की सिफारिश की, जिससे राजकोषीय सीमाओं में लक्षित शिथिलता की अनुमति मिल सके ताकि सरकार मूल अवसंरचना में सार्वजनिक निवेश बढ़ा सके।
- सुरक्षित परिवहन प्रणाली का निर्माण: शहरी परिवहन को राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति (2010) और WHO ग्लोबल रोड सेफ्टी रिपोर्ट द्वारा सुझाए गए सेफ सिस्टम अप्रोच के अनुरूप विकसित करना।
- भारत की स्वदेशी ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन प्रणाली को सभी अत्यधिक घनी आबादी वाले मार्गों पर कवच 5.0 को जल्द-से-जल्द लागू करना।
- MoHUA की शहरी परिवहन नीति (NUTP 2006) के तहत शहरी सुरक्षा ऑडिट को अनिवार्य बनाएं।
- सतत और कम-कार्बन मोबिलिटी को बढ़ावा देना: राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना (NEMMP) का उपयोग करके शहरी यात्राओं को निजी वाहनों से EV-आधारित सार्वजनिक परिवहन की ओर स्थानांतरित करना।
- जलवायु-संधारणीयता अवसंरचना विकसित करना: जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) और सतत कृषि के लिये राष्ट्रीय मिशन का उपयोग करके ऐसी अवसंरचना का निर्माण करें जो बाढ़, हीटवेव और तूफानों का सामना कर सके।
- स्ट्रीट्स फॉर पीपल चैलेंज, Cycles4Change और स्मार्ट-सिटी पैदल यात्रीकरण मॉडल जैसी योजनाओं के माध्यम से NMT का विस्तार करना।
- डेटा-आधारित मोबिलिटी गवर्नेंस को तीव्र करना: इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम्स (ITS) नीति 2022 के तहत रीयल-टाइम डेटा, पूर्वानुमान विश्लेषण और डिजिटल ट्रैफिक प्रबंधन की निगरानी को सुदृढ़ करना।
- सामाजिक समानता और सार्वभौमिक पहुँच को मज़बूत करना: दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के प्रावधानों के अनुरूप पहुँच-संबंधी मानकों को लागू करते हुए रैंप, टैक्टाइल मार्ग, लो-फ्लोर बसों और सुलभ मेट्रो जैसी सुविधाओं को सुनिश्चित करना।
- निर्भया कोष द्वारा समर्थित CCTV नेटवर्क, पैनिक बटन, लास्ट-माइल शटल और रोशनी वाले पैदल मार्गों के माध्यम से महिलाओं की सुरक्षा में सुधार करना।
निष्कर्ष
भारत में परिवहन संकट यह दिखाते हैं कि हमारी प्रणाली बढ़ती मांग और अपर्याप्त निवेश के कारण दबाव में है। अब सुरक्षा, क्षमता और सतत गतिशीलता को सुदृढ़ करना अत्यंत आवश्यक है। एक अनुकूल परिवहन नेटवर्क बनाने के लिये सार्वजनिक निवेश को बढ़ाना और सभी नागरिकों हेतु न्यायसंगत व कुशल सेवाएँ सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण होगा।
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत में परिवहन व्यवधानों के कारण और परिणामों का विश्लेषण कीजिये। ये घटनाएँ नव-उदारवादी नीति मॉडल की ताकत और सीमाओं को कैसे दर्शाती हैं? |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. भारतीय शहरों में लगातार सड़क जाम क्यों होता है?
तेज़ शहरीकरण, पुराने सड़क नेटवर्क, कमज़ोर सार्वजनिक परिवहन और लास्ट-माइल कनेक्टिविटी की कमी मुख्य महानगरों में लगातार ट्रैफिक जाम की समस्याएँ उत्पन्न करती हैं।
2. PM गति शक्ति क्या है और यह परिवहन के लिये क्यों महत्त्वपूर्ण है?
PM गति शक्ति एक राष्ट्रीय मास्टर प्लान है जो मल्टीमॉडल अवसंरचना के समन्वय के लिये बनाया गया है। यह लॉजिस्टिक्स लागत कम करता है और सड़क, रेल, बंदरगाह और हवाई अड्डा परियोजनाओं को तेज़ और समन्वित ढंग से लागू करने में मदद करता है।
3. कौन-कौन से उपाय कमज़ोर उपयोगकर्त्ताओं के लिये परिवहन सुरक्षा और पहुँच को बेहतर बनाते हैं?
मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम की धाराओं का पालन, शहरी सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य करना, ट्रेनों हेतु कवच प्रणाली और दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम का पालन सभी के लिये सुरक्षित और सुलभ परिवहन सुनिश्चित करते हैं।
सारांश
- भारत में 2025 के परिवहन व्यवधानों ने गहरी संरचनात्मक समस्याओं को उजागर किया, जिनमें भीड़भाड़ वाली रेलवे, पुरानी अवसंरचना और विमानन क्षेत्र में एकाधिकार शामिल हैं।
- नव-उदारवादी वित्तीय सीमाओं ने सार्वजनिक निवेश को प्रतिबंधित किया, जबकि नियमन में ढील ने निजी क्षेत्र को प्रभुत्व हासिल करने दिया, जिससे उपभोक्ता कल्याण कमज़ोर हुआ।
- सुरक्षा जोखिम, उच्च प्रदूषण, जलवायु संवेदनशीलता, कमज़ोर लॉजिस्टिक्स दक्षता और डेटा-आधारित शासन की कमी प्रणाली पर लगातार दबाव डालते हैं।
- एक लचीली और न्यायसंगत परिवहन नेटवर्क के लिये सार्वजनिक निवेश को मज़बूत करना, सुरक्षा मानकों को लागू करना, सतत गतिशीलता को बढ़ावा देना और पहुँच सुधारना आवश्यक है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
मेन्स
प्रश्न. गति शक्ति योजना के संयोजकता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये सरकार और निजी क्षेत्र के मध्य सतर्क समन्वय की आवश्यकता है। विवेचना कीजिये। (2022)