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भारतीय अर्थव्यवस्था

राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन

  • 30 Apr 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन का महत्त्व 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 'राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन' (National Infrastructure Pipeline- NIP) पर गठित ‘टास्क फोर्स’ (Task Force) द्वारा अपनी अंतिम रिपोर्ट वित्त मंत्री को सौंपी गई।

मुख्य बिंदु:

  • टास्क फोर्स ने वित्त वर्ष 2019-25 के लिये NIP पर अपनी अंतिम रिपोर्ट पेश की है। यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि ‘टास्क फोर्स की सारांश’ रिपोर्ट वित्त मंत्री द्वारा 31 दिसंबर, 2019 को पहले ही जारी की जा चुकी है।
  • रिपोर्ट के अनुसार पाँच वित्तीय वर्षों में अर्थात वर्ष 2020-25 की अवधि के दौरान ‘अवसंरचना’ (Infrastructure) पर 111 लाख करोड़ रुपए के निवेश का अनुमान है।

पृष्ठभूमि:

  • वर्ष 2019 के स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा था कि अगले 5 वर्षों में आधारभूत अवसंरचना पर 100 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा। इसी का अनुसरण करते हुए 31 दिसंबर, 2019 को 103 करोड़ रुपए की लागत वाली राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन शुरू की गई। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के अंतर्गत 6500 से अधिक परियोजनाएँ शुरू की जाएगी। 

विजन: 

  • अवसंरचना सेवाओं के माध्यम से लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना तथा वैश्विक मानकों के अनुरूप ‘जीवन सुगमता’ (Ease of Living) को प्राप्त करना।

मिशन (Mission):

  • प्रमुख क्षेत्रों में भारत की आधारभूत अवसंरचना के विकास की 5 वर्षीय योजना विकसित करना।  
  • वैश्विक मानकों के अनुसार सार्वजनिक अवसंरचना के डिज़ाइन, वितरण और रखरखाव को सुगम बनाना।   
  • सार्वजनिक अवसंरचना सेवाओं के विनियमन और प्रशासन में सुधार करना।  
  • सार्वजनिक अवसंरचना के क्षेत्र में वैश्विक रैंकिंग में भारत की स्थिति में सुधार करना। 

NIP में शामिल परियोजनाएँ:

  • ‘राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन’ में आवास, सुरक्षित पेयजल, स्वच्छ पेयजल, स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा उपलब्धता और आधुनिक रेलवे स्टेशन जैसी परियोजनाएँ शामिल हैं।

टास्क फोर्स की रिपोर्ट से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य: 

  • रिपोर्ट के अनुसार ऊर्जा (24%), शहरी नियोजन (17%), रेलवे (12%) और सड़क (18%) जैसे क्षेत्रों पर कुल परियोजना पूंजीगत व्यय के 70% निवेश की आवश्यकता होगी।
  • NIP के कार्यान्वयन में केंद्र (39%) और राज्यों (39%) की लगभग समान हिस्सेदारी  होगी साथ ही निजी क्षेत्र से लगभग 22% तक सहयोग होने की उम्मीद है। 
  • NIP में 100 करोड़ रुपए से अधिक की लागत वाली सभी ग्रीनफील्ड या ब्राउनफील्ड परियोजनाओं को शामिल किया जाएगा।

ग्रीनफील्ड परियोजना (Greenfield Project):

  • ‘ग्रीनफील्ड परियोजना’ का तात्पर्य ऐसी परियोजना से है, जिसमें किसी पूर्व कार्य/परियोजना का अनुसरण नहीं किया जाता है। अवसंरचना में अप्रयुक्त भूमि पर तैयार की जाने वाली परियोजनाएँ जिनमें मौजूदा संरचना को फिर से तैयार करने या ध्वस्त करने की आवश्यकता नहीं होती है, उन्हें ‘ग्रीन फील्ड परियोजना’ कहा जाता है। 

ब्राउनफील्ड परियोजना (Brownfield project):

  • जिन परियोजनाओं को संशोधित या अपग्रेड किया जाता है, उन्हें ‘ब्राउनफील्ड परियोजना’ कहा जाता है।

वित्त प्रबंधन की दिशा में सिफारिशें:

  • अगले पाँच वर्षों में अवसंरचना क्षेत्र में निवेश को बढ़ाने के लिये ‘म्यूनिसपल बॉण्ड’  बाज़ार, परिसंपत्ति की बिक्री द्वारा आय, आधारभूत ढाँचे की संपत्ति का मुद्रीकरण, ‘कॉर्पोरेट बॉण्ड’ बाज़ार और आधारभूत अवसंरचना के क्षेत्र के लिये वित्तीय संस्थान की स्थापना करना जैसे उपायों को अपनाना होगा। 

समितियों का गठन:

  • NIP की प्रगति की निगरानी करने तथा कार्यों का समय पर पूरा करने की दिशा में एक समिति;
  • परियोजना में समन्वयन के लिये प्रत्येक अवसंरचना के लिये मंत्रालय स्तर पर एक संचालन समिति;
  • वित्तीय संसाधन जुटाने के लिये ‘आर्थिक मामलों का विभाग’ (Department of Economic Affairs- DEA) के नियंत्रण में एक संचालन समिति;   

NIP का महत्त्व एवं आवश्यकता:

  • आधारभूत अवसंरचना की कमी आर्थिक विकास में सबसे बड़ी बाधा है।
  • वर्तमान में सरकार, निजी क्षेत्र को एक प्रमुख भागीदार के रूप में देखती है। अत: सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों को एक साथ लाने के लिये एक प्रभावी मॉडल तैयार करने की आवश्यकता है।
  • प्राकृतिक आपदाओं तथा अप्रत्याशित घटनाओं में वृद्धि के कारण किसी भी देश की आपूर्ति श्रृंखला की लोचशीलता बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाती है। 
  • आधारभूत संरचना की विकास के लिये वित्तपोषण वह मुद्दा है जिसका समाधान निकालना आवश्यक है। 

निष्कर्ष:

  • राष्ट्रीय अवसंरचना परियोजनाओं से देश की आधारभूत अवसंरचना सुदृढ़ होगी, जिससे देश में उत्पादन की दर बढ़ेगी और साथ ही निवेशकों को आकर्षित करने की बेहतर परिस्थितियों का निर्माण होगा।
  • अर्थव्यवस्था की मांग में वृद्धि होगी और रोज़गार के अवसर निर्मित होंगे फलतः सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी। इस प्रकार भारतीय अर्थव्यवस्था के पाँच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का मार्ग प्रशस्त होगा। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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