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भारत-नामीबिया संबंध और अफ्रीका

  • 10 Jul 2025
  • 20 min read

प्रिलिम्स के लिये:

नामीबिया, अफ्रीका, आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI), वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (ITEC), अधिमान्य व्यापार समझौता (PTA), दक्षिणी अफ्रीकी सीमा शुल्क संघ (SACU), नेकलेस ऑफ डायमंड्स रणनीति, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, अफ्रीकी संघ, G20, WTO बौद्धिक संपदा, प्रवासी भारतीय दिवस, IIT मद्रास ज़ांज़ीबार।       

मेन्स के लिये:

भारत-नामीबिया संबंधों की मुख्य विशेषताएँ, भारत के लिये अफ्रीका का सामरिक महत्त्व, प्रभावी भारत-अफ्रीका सहयोग में प्रमुख बाधाएँ।

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

भारत के प्रधानमंत्री ने नामीबिया की राजकीय यात्रा की (जो कि 27 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी), नामीबियाई संसद को संबोधित किया और इस बात की पुनः पुष्टि की कि भारत तथा अफ्रीका की साझेदारी वर्चस्व पर नहीं, बल्कि संवाद पर आधारित है।

  • उन्हें नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान "ऑर्डर ऑफ द मोस्ट एनशिएंट वेल्वित्चिया मिराबिलिस" भी प्रदान किया गया, जिससे वे यह सम्मान प्राप्त करने वाले पहले भारतीय अभिकर्त्ता बन गए।
  • नामीबिया ने आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन में शामिल होने के लिये स्वीकृति-पत्र सौंपे तथा वह UPI तकनीक को अपनाने के लिये लाइसेंसिंग समझौता करने वाला विश्व का पहला देश बन गया।

नामिबिया

  • भौगोलिक स्थिति: नामीबिया एक दक्षिणी अफ्रीकी देश है, जिसकी पश्चिमी सीमा अटलांटिक महासागर से बनती है।
    • इसकी उत्तरी सीमा अंगोला और ज़ाम्बिया से लगती है, जबकि पूर्व में बोत्सवाना स्थित है और पूर्व तथा दक्षिण दोनों दिशाओं में दक्षिण अफ्रीका इसकी सीमा से जुड़ा हुआ है।
  • जलवायु: नामीबिया को उप-सहारा अफ्रीका का सबसे शुष्क राष्ट्र माना जाता है। यहाँ कई प्रमुख रेगिस्तानों हैं, जिनमें नामीब, कालाहारी, सक्युलेंट करू और नामा करू शामिल हैं।
  • औपनिवेशिक इतिहास: वर्ष 1884 में जर्मन साम्राज्य ने इस क्षेत्र के अधिकांश हिस्से पर औपनिवेशिक शासन स्थापित किया और इसका नाम जर्मन दक्षिण-पश्चिम अफ्रीका रखा।
  • प्रमुख नदियाँ: ज़ाम्बेज़ी, ओकावांगो और कुनेने नामीबिया की प्रमुख नदियाँ हैं।

वेल्वित्चिया मिराबिलिस

  • परिचय: वेल्वित्चिया मिराबिलिस (नामीबिया का राष्ट्रीय पौधा) एक दुर्लभ और प्राचीन पौधा है, जो मुख्यतः नामीब रेगिस्तान (नामीबिया और दक्षिणी अंगोला) में पाया जाता है। इसे इसकी अद्भुत दीर्घायु और अनोखी विशेषताओं के कारण प्रायः ‘जीवित जीवाश्म’ (Living Fossil) कहा जाता है।
    • नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ऑर्डर ऑफ द मोस्ट एनशिएंट वेल्वित्चिया मिराबिलिस का नाम इसी पौधे के नाम पर रखा गया है।
  • स्वरूप: इस पौधे में केवल दो चौड़ी पत्तियाँ होती हैं, जो निरंतर बढ़ती रहती हैं। ये पत्तियाँ समय के साथ जीर्ण-शीर्ण हो जाती हैं, लेकिन कभी गिरती नहीं हैं। इसका एक काष्ठीय तना (लकड़ी जैसा तना) और गहरी मुख्य जड़ (टैपरूट) इसे शुष्क परिस्थितियों को सहन करने में सहायता करती है।
  • दीर्घकालिकता: इसके कुछ नमूने 1,500 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं, जिससे यह विश्व के सबसे पुराने पौधों में शामिल होता है।
  • पर्यावास: यह केवल नामीब रेगिस्तान में पाया जाता है और वर्षा की अत्यधिक कमी के कारण नमी के लिये मुख्य रूप से अटलांटिक महासागर से आने वाली धुँध (कोहरा) पर निर्भर रहता है।
    • रेगिस्तान में रहने वाले कई जानवर, जैसे कि ज़ेब्रा, ओरिक्स और ब्लैक राइनोसेरस, वेल्वित्चिया की पत्तियों को जल के एक आवश्यक स्रोत के रूप में खाते हैं।

भारत-नामीबिया संबंधों की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • ऐतिहासिक और राजनीतिक संबंध: भारत वर्ष 1946 में संयुक्त राष्ट्र में नामीबिया की स्वतंत्रता का मुद्दा उठाने वाले पहले देशों में से एक था, जिसने दक्षिण पश्चिम अफ्रीका पीपुल्स ऑर्गनाइज़ेशन (SWAPO ने नामीबिया के मुक्ति संग्राम का नेतृत्व किया) को भौतिक और राजनयिक समर्थन दिया।
    • भारत और नामीबिया के बीच पूर्ण राजनयिक संबंध वर्ष 1990 में स्थापित हुए तथा नामीबिया ने मार्च 1994 में नई दिल्ली में अपना दूतावास (स्थायी मिशन) शुरू किया।
  • चीता स्थानांतरण परियोजना: वर्ष 2022 में नामीबिया से 8 चीतों को भारत लाया गया, जो कि किसी प्रमुख मांसाहारी प्रजाति का विश्व का पहला अंतर-महाद्वीपीय स्थानांतरण था।
  • क्षमता निर्माण एवं रक्षा सहयोग: भारत, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (ITEC) के तहत नामीबियाई नागरिकों को छात्रवृत्तियाँ प्रदान करता है, साथ ही उन्हें प्रतिवर्ष रक्षा प्रशिक्षण के अवसर भी उपलब्ध कराए जाते हैं।
    • वर्ष 1996 से, भारतीय वायु सेना (IAF) की एक तकनीकी टीम नामीबियाई वायु सेना के हेलीकॉप्टर पायलटों को प्रशिक्षण दे रही है और भारत ने 2 चेतक तथा 2 चीता हेलीकॉप्टर भी नामीबिया को प्रदान किये हैं।
  • विकास सहायता: विकास सहायता: भारत ने नामीबिया को 30,000 कोविशील्ड खुराकें प्रदान कीं और वहाँ भारत-नामीबिया सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (INCEIT) तथा यूनिवर्सिटी ऑफ नामीबिया में ‘इंडिया विंग’ की स्थापना की।
  • आर्थिक संबंध: वर्ष 2024–25 में द्विपक्षीय व्यापार 568.40 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। प्रमुख क्षेत्रों में खनन, ऊर्जा, कृषि, शिक्षा, आधारभूत संरचना, स्वास्थ्य और व्यापार शामिल हैं।
  • नामीबिया में भारतीय समुदाय: नामीबिया में लगभग 450 भारतीय/अनिवासी भारतीय (NRI)/भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) रहते हैं। इंडिया-नामीबिया चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (INCCI) और इंडिया-नामीबिया फ्रेंडशिप एसोसिएशन (INFA) जो क्रमशः वर्ष 2016 तथा 2020 में स्थापित हुए व्यापार व समुदाय से जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं।

अफ्रीका भारत के लिये रणनीतिक रूप से क्यों महत्त्वपूर्ण है?

  • भू-राजनीतिक और समुद्री सुरक्षा: अफ्रीका की भौगोलिक स्थिति हिंद महासागर और अटलांटिक महासागर के चौराहे पर है, जो भारत के समुद्री व्यापार मार्गों की सुरक्षा तथा नौसेना प्रभाव बढ़ाने के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
    • भारत का पहला विदेशी नौसेना अड्डा (2024) मॉरीशस में नेकलेस ऑफ डायमंड्स रणनीति के तहत स्थापित किया गया, जो समुद्री मार्गों की रक्षा और समुद्री डकैती व आतंकवाद का मुकाबला करने के प्रयासों को दर्शाता है।
  • उभरती आर्थिक शक्ति: वर्ष 2022–23 में भारत-अफ्रीका द्विपक्षीय व्यापार 98 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जिसमें से 43 बिलियन अमेरिकी डॉलर खनन और खनिज क्षेत्रों से जुड़े हैं। 
    • अफ्रीकन कॉन्टिनेंटल फ्री ट्रेड एरिया (AfCFTA), जो वर्ष 2021 से कार्यान्वित है, 1.4 अरब लोगों के एकल बाज़ार का निर्माण करता है, जिससे भारतीय निर्यात और निवेश की संभावनाएँ बढ़ती हैं।
  • महत्त्वपूर्ण खनिजों की सुरक्षा: कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य विश्व के 70% से अधिक कोबाल्ट की आपूर्ति करता है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों और नवीकरणीय ऊर्जा के लिये आवश्यक है।
    • नाइजीरिया और अंगोला, भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता करते हैं और वैश्विक आपूर्ति अस्थिरता के बीच भारत के कच्चे तेल आयात में अफ्रीका की हिस्सेदारी बढ़ रही है।
  • राजनयिक प्रभाव: भारत ने वर्ष 2023 में अफ्रीकी संघ को G20 की स्थायी सदस्यता दिलाने में अहम भूमिका निभाई, जो एक राजनयिक उपलब्धि रही और अफ्रीका की वैश्विक आर्थिक भूमिका को मज़बूत किया।
    • विश्व व्यापार संगठन में कोविड-19 वैक्सीन और कृषि के लिये बौद्धिक संपदा छूट पर संयुक्त प्रयास, न्यायसंगत वैश्विक शासन के प्रति साझा प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं तथा भारत की ग्लोबल साउथ में नेतृत्व भूमिका को भी सुदृढ़ करते हैं।
  • भूराजनैतिक सहयोगी: अफ्रीका के 54 देश, वैश्विक मंचों पर एक शक्तिशाली समूह बनाते हैं और भारत के लिये एक प्रमुख भूराजनैतिक साझेदार के रूप में उभर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में प्रतिनिधित्व को लेकर भारत और अफ्रीका एक-दूसरे का समर्थन करते हैं।
    • जैसे-जैसे वैश्विक शक्ति बदल रही है, भारत-अफ्रीका की मज़बूत साझेदारी चीन जैसी क्षेत्रीय शक्तियों को संतुलित करने का कार्य कर रही है।
  • सशक्त प्रवासी समुदाय:  3 मिलियन से अधिक भारतीय मूल के लोग अफ्रीका में रहते हैं, जो दोनों क्षेत्रों के बीच सेतु का कार्य करते हैं और ऐतिहासिक रूप से अफ्रीकी अर्थव्यवस्था में योगदान देते आए हैं।
    • भारत इस संबंध को प्रवासी भारतीय दिवस जैसी पहलों के माध्यम से मज़बूत कर रहा है। वर्ष 2019 के प्रवासी भारतीय दिवस में अफ्रीकी प्रवासी समुदाय पर विशेष ध्यान दिया गया ताकि आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा मिल सके। 

भारत-अफ्रीका संबंधों को गहरा करने में प्रमुख बाधाएँ क्या हैं?

  • धीमी निवेश गतिविधि: बढ़ते संबंधों के बावजूद, जोखिम की धारणा, सीमित बाज़ार ज्ञान और भारत के आर्थिक प्रभाव को सीमित करने वाली कड़ी प्रतिस्पर्द्धा के कारण अफ्रीका में भारतीय निवेश चीन और पश्चिम से पीछे है।
  • भारतीय निर्यातों पर विश्वसनीयता की समस्या: कुछ अफ्रीकी बाज़ारों में यह धारणा बनी हुई है कि भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता पश्चिमी या चीनी उत्पादों की तुलना में कम है, जिसका प्रभाव औषधि और मशीनरी जैसे क्षेत्रों पर पड़ता है। 
    • गाम्बिया में वर्ष 2022 में दूषित सिरप की घटना, जिसके कारण 60 से अधिक बच्चों की मृत्यु हो गई, ने भारत की प्रतिष्ठा और बाज़ार हिस्सेदारी को और अधिक नुकसान पहुँचाया।
  • राजनयिक असंतुलन: भारत की अफ्रीका नीति की आलोचना होती है कि यह पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका पर अधिक केंद्रित है, जबकि पश्चिमी अफ्रीका जैसे अन्य क्षेत्रों को नज़रअंदाज़ किया गया है
    • उदाहरण के लिये, वर्ष 2022–23 में दक्षिण अफ्रीका का निर्यात 8.47 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जबकि पश्चिमी अफ्रीका, जिसकी आर्थिक क्षमता काफी है, अब भी कम जुड़ाव वाला क्षेत्र बना हुआ है।
  • जटिल सुरक्षा परिदृश्य: वर्ष 2020–2023 के बीच 9 सैन्य तख्तापलट और सशस्त्र संघर्षों, कमज़ोर शासन प्रणाली और कट्टरपंथ के बढ़ते प्रभाव के चलते अफ्रीका में भारत के साथ सुरक्षा तथा आर्थिक साझेदारी बाधित होती है।
  • संसाधन प्रतिस्पर्द्धा: अफ्रीकी तेल और गैस को लेकर भारत-चीन प्रतिस्पर्द्धा ने तनाव बढ़ा दिया है, जिससे कीमतें बढ़ती हैं तथा राजनयिक दबाव बनता है, क्योंकि अफ्रीकी देश दोनों एशियाई शक्तियों के साथ संतुलन बनाए रखने की कोशिश करते हैं
    • उदाहरण: वर्ष 2006 में भारत को अंगोला में तेल परिसंपत्तियों की बोली में चीन से हार का सामना करना पड़ा था।

अफ्रीका के साथ संबंध मज़बूत करने के लिये भारत को क्या कदम उठाने चाहिये?

  • व्यापार ढाँचों का पुनर्गठन: भारत को अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र (AfCFTA) के साथ आर्थिक साझेदारियाँ बनानी चाहिये, जिसके तहत कॉफी, कोको और दुर्लभ खनिजों को वरीयता प्राप्त पहुँच (भारतीय दवाओं और आईटी सेवाओं के लिये बढ़े हुए बाज़ार की पहुँच के बदले में) दी जा सकती है।
  • रणनीतिक वार्ता रूपरेखा: भारत को संयुक्त एजेंडा निर्धारित करने तथा खाद्य सुरक्षा और जलवायु समुत्थानशील जैसी चुनौतियों पर त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिये वार्षिक भारत-अफ्रीका रणनीतिक साझेदारी मंच की स्थापना करनी चाहिये।
  • नव-उपनिवेशवाद का सामना: भारत आर्थिक, राजनीतिक और तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देकर अफ्रीकी देशों को नव-उपनिवेशवाद का मुकाबला करने में मदद कर सकता है, उदाहरण के लिये, स्थानीय स्तर पर मुद्रा छापने के लिये तकनीकी सहायता प्रदान करना।
    • दक्षिण सूडान, तंजानिया और मॉरिटानिया जैसे 40 से अधिक अफ्रीकी देश ब्रिटेन, फ्राँस और जर्मनी में अपनी मुद्रा छापना जारी रखे हुए हैं। 
  • नवाचार-संचालित क्षमता निर्माण: भारत को प्रमुख अफ्रीकी देशों में नवाचार केंद्र (Innovation Hubs) और अनुसंधान एवं विकास केंद्र (R&D Centers) स्थापित करने चाहिये, जिनका ध्यान कृषि प्रौद्योगिकी (Agri-tech), नवीकरणीय ऊर्जा, डिजिटल प्रशासन और स्वास्थ्य सेवा पर हो। यह कार्य IIT मद्रास ज़ांज़ीबार (2023) मॉडल को आधार बनाकर किया जा सकता है।
  • सुरक्षा साझेदारी को गहरा करना: भारत को नई दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना केंद्र में विशेष प्रशिक्षण प्रदान करके, खुफिया जानकारी साझा करने और साइबर सुरक्षा सहयोग का विस्तार करके अफ्रीकी संघ सुरक्षा ढाँचे के साथ जुड़ाव को गहरा करना चाहिये।
  • अवसंरचना को प्रोत्साहन: भारत को सौर ऊर्जा, जल उपचार और डिजिटल कनेक्टिविटी जैसी उच्च प्रभाव वाली परियोजनाओं को स्पष्ट समयसीमा और जवाबदेही के साथ तेजी से आगे बढ़ाने के लिये भारत-अफ्रीका अवसंरचना आयोग की स्थापना करनी चाहिये।

निष्कर्ष:

भारत-नामीबिया और भारत-अफ्रीका संबंध ऐतिहासिक एकजुटता, रणनीतिक सहयोग और साझा विकास लक्ष्यों की मज़बूत नींव को दर्शाते हैं। हालाँकि भारत की व्यापक अफ्रीका नीति आशाजनक है, लेकिन इसमें निवेश की कमी, क्षेत्रीय असंतुलन और बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा जैसी चुनौतियों से निपटने के लिये रणनीतिक पुनर्समीक्षा की आवश्यकता है। मज़बूत संवाद, नवाचार-आधारित क्षमता निर्माण और समावेशी व्यापार ढाँचे भारत-अफ्रीका संबंधों को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकते हैं।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: अफ्रीकी देशों के साथ अपने संबंधों को मज़बूत करने में भारत के समक्ष आने वाली चुनौतियों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से किस समूह के सभी चारों देश G20 के सदस्य हैं ? (2020)

(a) अर्जेंटीना, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका एवं तुर्की
(b) ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, मलेशिया एवं न्यूज़ीलैंड
(c) ब्राज़ील, ईरान, सऊदी अरब एवं वियतनाम
(d) इंडोनेशिया, जापान, सिंगापुर एवं दक्षिण कोरिया

उत्तर: (a)


मेन्स 

प्रश्न. ‘उभरती हुई वैश्विक व्यवस्था में भारत द्वारा प्राप्त नव-भूमिका के कारण उत्पीड़ित एवं उपेक्षित राष्ट्रों के मुखिया के रूप में दीर्घकाल से संपोषित भारत की पहचान लुप्त हो गई है’। विस्तार से समझाइये। (2019)

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