अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-जॉर्डन संबंध
- 19 Dec 2025
- 96 min read
प्रिलिम्स के लिये: UPI, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC), भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC), UNGA, PARAM शावक, MSME।
मेन्स के लिये: भारत-जॉर्डन संबंधों के मुख्य तथ्य और भारत के लिये जॉर्डन का महत्त्व, भारत-जॉर्डन संबंधों में चुनौतियाँ और संबंधों को मज़बूत करने हेतु आवश्यक उपाय।
चर्चा में क्यों?
भारत के प्रधानमंत्री ने जॉर्डन का दौरा किया और जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय के साथ विस्तृत चर्चाएँ कीं। यह जॉर्डन की उनकी पहली पूर्ण द्विपक्षीय यात्रा है तथा इससे पहले वे फरवरी 2018 में फिलिस्तीन जाते समय जॉर्डन आए थे।
सारांश
- भारत के प्रधानमंत्री की वर्ष 2025 की ऐतिहासिक जॉर्डन यात्रा, जो दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों की 75वीं वर्षगाॅंठ के अवसर पर हुई, का उद्देश्य एक स्थिर द्विपक्षीय संबंध को भविष्य-उन्मुख रणनीतिक साझेदारी में परिवर्तित करना था।
- इस यात्रा में 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार लक्ष्य और डिजिटल भुगतान एकीकरण जैसे महत्त्वाकांक्षी उद्देश्यों को निर्धारित किया गया, साथ ही भारत की पश्चिम एशिया नीति में जॉर्डन की भूमिका का पूर्ण उपयोग करने में सीमित आर्थिक आधार तथा भू-राजनैतिक संवेदनशीलताओं जैसी चुनौतियों को भी स्वीकार किया गया।
यात्रा के मुख्य परिणाम क्या हैं?
- भारत और जॉर्डन के बीच 5 समझौता ज्ञापन (MoUs) पर हस्ताक्षर:
- नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग पर समझौता ज्ञापन
- जल संसाधन प्रबंधन एवं विकास के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन
- पेट्रा (जॉर्डन का प्राचीन शहर) और एलोरा के बीच ट्विनिंग समझौता
- वर्ष 2025-2029 के लिये सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम का नवीनीकरण
- डिजिटल रूपांतरण के लिये जनसंख्या स्तर पर कार्यान्वित सफल डिजिटल समाधानों को साझा करने के क्षेत्र में सहयोग पर आशय पत्र (Letter of Intent)।
- महत्त्वाकांक्षी व्यापार लक्ष्य: दोनों देश अगले 5 वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखते हैं। भारत, जॉर्डन का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साथी है।
- क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग: अभिकर्त्ताओं ने आतंकवाद की कड़ी निंदा की और क्षेत्रीय शांति तथा स्थिरता सुनिश्चित करने पर साझा दृष्टिकोण व्यक्त किया।
भारत की पश्चिम एशिया नीति में जॉर्डन का रणनीतिक महत्त्व क्या है?
- भू-राजनीतिक सेतु: जॉर्डन एक प्रमुख पश्चिम समर्थक, आधुनिक और संवैधानिक अरब राजतंत्र है, जिसने इज़राइल के साथ शांति संधि की है।
- यह भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण कूटनीतिक सेतु का कार्य करता है, जो इज़राइल, अरब देशों और ईरान के साथ संबंधों में संतुलन बनाए रखने में सहायता करता है, बिना किसी सांप्रदायिक विभाजन में फँसे।
- जॉर्डन में बड़ी शरणार्थी आबादी है, जिनमें मुख्य रूप से सीरियाई शामिल हैं और उसकी निरंतर मानवीय भूमिका उसे क्षेत्रीय स्थिरता का एक मज़बूत स्तंभ बनाती है।
- आतंकवाद के खिलाफ सहयोग: अकाबा प्रोसेस 2015, वर्ष 2018 का रक्षा MoU और विशेष ऑपरेशन बल प्रदर्शनी एवं सम्मेलन (SOFEX) में भागीदारी जैसे मंचों में सहभागिता, सैन्य-से-सैन्य तथा आतंकवाद-विरोधी संबंधों को गहरा करने को दर्शाती है।
- मुख्य कूटनीतिक समर्थन: इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) में जॉर्डन का प्रभाव भारत के बहुपक्षीय हितों के लिये महत्त्वपूर्ण समर्थन प्रदान करता है और कश्मीर पर नकारात्मक प्रचार का मुकाबला करने में सहायता करता है, क्योंकि जॉर्डन आमतौर पर संतुलित रुख अपनाता है।
- क्षेत्रीय स्थिरता में जॉर्डन की भूमिका: जॉर्डन की येरुशलम की संरक्षण भूमिका इसे क्षेत्रीय तनाव कम करने के प्रयासों में केंद्रीय बनाती है, जो भारत के क्षेत्रीय स्थिरता के हितों और उसके प्रवासियों एवं व्यापार मार्गों की सुरक्षा के साथ संरेखित है।
- कोरिडोर लॉजिस्टिक्स: जॉर्डन को भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) में एक महत्त्वपूर्ण कड़ी के रूप में स्थापित किया गया है, जो भारत के व्यापार कनेक्टिविटी और ऊर्जा संक्रमण लक्ष्यों को सशक्त बनाता है।
- यह संकट के बाद इराक और लेवेंट में पुनर्निर्माण तथा लॉजिस्टिक्स के लिये संभावित प्रवेश द्वार के रूप में भी कार्य करता है।
- लाल सागर संकट के दौरान, खाड़ी के बंदरगाहों से सऊदी अरब और जॉर्डन के रास्ते इज़राइल तक भूमिगत माल ढुलाई मार्गों का उपयोग किया गया, जिससे समुद्री मार्गों के बाधित बिंदुओं को पार किया जा सके। यह क्षेत्रीय लॉजिस्टिक्स में जॉर्डन के बढ़ते महत्त्व को उजागर करता है।
जॉर्डन
- स्थान और सीमाएँ: मध्य पूर्व में रणनीतिक रूप से स्थित, सीरिया, इराक, सऊदी अरब, इज़राइल और वेस्ट बैंक से सटी हुई।
- भौतिक विशेषताएँ: जॉर्डन का अधिकांश भूभाग रेगिस्तान (80% से अधिक) से ढका है, साथ ही उर्वर जॉर्डन नदी घाटी और पथरीले उच्च पठार भी हैं।
- जनसंख्या: अधिकांश अरबी, जिसमें एक बड़ी फिलिस्तीनी शरणार्थी आबादी (लगभग एक तिहाई) शामिल है। अधिकांश मुस्लिम हैं और इसमें एक ईसाई अल्पसंख्या भी है। देश अत्यधिक शहरीकृत है (75% लोग शहरों में रहते हैं)।
- समुद्री पहुँच: अकाबा बंदरगाह के माध्यम से लाल सागर तक पहुँच।
- आधुनिक गठन: ब्रिटिश शासन के तहत ट्रांसजॉर्डन के रूप में स्थापित (1920) और वर्ष 1946 में स्वतंत्रता प्राप्त की, हशेमाइट राजवंश के राजा अब्दुल्ला I के नेतृत्व में।
- अरब-इज़राइल संघर्ष: वर्ष 1948 और 1967 में इज़राइल के खिलाफ युद्ध लड़े, जिससे वेस्ट बैंक और येरुशलम का पूर्वी हिस्सा खो गया और बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी शरणार्थी आए।
- शांति और स्थिरता: वर्ष 1988 में वेस्ट बैंक पर दावे को त्यागा और वर्ष 1994 में इज़राइल के साथ ऐतिहासिक शांति संधि (वाड़ी अरबा शांति संधि, 1994) पर हस्ताक्षर किये।
भारत–जॉर्डन द्विपक्षीय संबंधों के प्रमुख स्तंभ क्या हैं?
- कूटनीतिक सहभागिता: भारत और जॉर्डन के बीच कूटनीतिक संबंधों की स्थापना वर्ष 1950 में हुई थी। ये संबंध नियमित उच्चस्तरीय बैठकों और शिखर सम्मेलनों (जैसे- UNGA) के माध्यम से सुदृढ़ होते रहे हैं। वर्ष 2025 में पहलगाम हमले के बाद आतंकवाद के खिलाफ परस्पर समर्थन और क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर साझा चिंताएँ भी इन संबंधों को मज़बूती प्रदान करती हैं।
- व्यापार और आर्थिक एकीकरण: भारत, जॉर्डन का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वित्त वर्ष 2023–24 में दोनों देशों के बीच 2.875 बिलियन अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ।
- जॉर्डन इंडिया फर्टिलाइजर कंपनी (JIFCO) जैसी संयुक्त उद्यम परियोजनाएँ जॉर्डन को भारत की कृषि सुरक्षा के लिये फॉस्फेट और पोटाश को महत्त्वपूर्ण आपूर्तिकर्त्ता बनाती हैं।
- जॉर्डन में 15 से अधिक NRI-स्वामित्व वाले वस्त्र उद्यम (लगभग 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश) व्यापार समझौतों का लाभ उठाकर पश्चिमी बाज़ारों तक पहुँच बना रहे हैं।
- रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग: भारत और जॉर्डन ने वर्ष 2018 में रक्षा सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी साझेदारी: अल-हुसैन तकनीकी विश्वविद्यालय में भारत-जॉर्डन सूचना प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता केंद्र में सुपरकंप्यूटर परम शावक (PARAM Shavak) स्थापित है, जिसका उद्देश्य 3,000 जॉर्डनियाई IT पेशेवरों को प्रशिक्षण देना है। भारतीय मास्टर ट्रेनर जॉर्डनियों को साइबर सुरक्षा, AI और बिग डेटा एनालिटिक्स में कौशल उन्नयन प्रदान करते हैं।
- जनसंवाद और सामाजिक संबंध: जॉर्डन में लगभग 17,500 भारतीय महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य सेवा, IT और शिक्षा में कार्यरत हैं। मज़बूत सांस्कृतिक संबंध जॉर्डन में बॉलीवुड में जेराश जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से बनाए रखे जाते हैं।
- व्यक्तिगत कूटनीति: जॉर्डन के क्राउन प्रिंस अल हुसैन बिन अब्दुल्ला II ने भारतीय प्रधानमंत्री को व्यक्तिगत रूप से जॉर्डन म्यूज़ियम में ले जाकर भारत और जॉर्डन के मधुर संबंधों का परिचय दिया।
भारत और जॉर्डन के बीच साझेदारी को सीमित करने वाली चुनौतियाँ क्या हैं?
- संरचनात्मक व्यापार असंतुलन: व्यापार मुख्य रूप से कुछ ही वस्तुओं तक सीमित है, जिसमें भारत फॉस्फेट और पोटाश का आयात करता है और अनाज एवं पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात करता है, जिससे मूल्य अस्थिरताओं के प्रति संवेदनशील बनते हैं। उच्च-मूल्य और उन्नत तकनीक के आदान-प्रदान अभी बहुत कम हैं।
- जॉर्डन की अर्थव्यवस्था अभी भी महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रही है, जिसमें लगभग 21% बेरोज़गारी और 2024 तक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के लगभग 90% तक पहुँचता सार्वजनिक ऋण शामिल है। ये दबाव वित्तीय लचीलापन सीमित करते हैं, जिससे निकट भविष्य में व्यापक व्यापार विस्तार करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- पश्चिम एशिया में भू-राजनैतिक संवेदनशीलताएँ: जॉर्डन की विदेश नीति फिलिस्तीनी मुद्दे और इज़राइल-संबंधी घटनाओं से काफी प्रभावित है, जिससे क्षेत्रीय संकटों के दौरान इसके बाहरी संरेखण बहुत संवेदनशील हो जाते हैं और पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने पर स्थिर तथा दीर्घकालिक सहयोग जटिल हो जाता है।
- संवहन में अंतराल: केवल एक अम्मान–मुंबई फ्लाइट से लोगों और व्यापार के बीच सीमित संबंध स्पष्ट होते हैं, विशेषकर भारत के खाड़ी देशों के साथ मज़बूत कनेक्शनों की तुलना में। यह कमज़ोर कनेक्टिविटी और जॉर्डन की आर्थिक चुनौतियाँ मिलकर व्यापार, निवेश और पर्यटन में वृद्धि को सीमित करती हैं।
भारत और जॉर्डन ज़्यादा मज़बूत द्विपक्षीय संबंध कैसे बना सकते हैं?
- आर्थिक संबंधों में विविधता लाना: भारत और जॉर्डन को वस्तु-केंद्रित व्यापार से हटकर मूल्य शृंखला एकीकरण की ओर बढ़ना चाहिये। इसके लिये एक मंत्रीस्तरीय रणनीतिक आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी संवाद स्थापित किया जाना चाहिये, जो निवेश, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs), स्टार्टअप्स और आपूर्ति शृंखलाओं पर केंद्रित हो।
- सहयोग में भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) विशेषज्ञता साझा करना भी शामिल हो सकता है, ताकि स्वास्थ्य और ई-गवर्नेंस में भुगतान इंटरऑपरेबिलिटी और स्केलेबल डिजिटल समाधान सुनिश्चित किये जा सकें।
- हरित और जल-सुरक्षित साझेदारी का निर्माण: जॉर्डन में जल-संकट और ऊर्जा संक्रमण जैसी मौलिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, भारत सौर और ग्रीन हाइड्रोजन तकनीकों में सहयोग कर सकता है। सहयोग जल पुनर्चक्रण, समुद्री जल से मीठा पानी बनाने, स्मार्ट सिंचाई और जलवायु-प्रतिरोधी कृषि तक भी विस्तारित किया जा सकता है।
- क्षेत्रीय स्थिरीकरण हेतु प्रवेश द्वार: भारत जॉर्डन के साथ मिलकर पुनर्निर्माण आपूर्ति शृंखलाएँ स्थापित कर सकता है, इसे मानवतावादी सहायता, कौशल विकास और स्वास्थ्य मिशनों के लिये आधार के रूप में उपयोग कर सकता है तथा बहुपक्षीय विकास पहलों में सहयोग कर सकता है।
- सांस्कृतिक संबंधों को मज़बूत करना: सांस्कृतिक सामग्री, फिल्म उत्सव और पुरातात्त्विक सहयोग (जैसे पेत्रा–एल्लोरा ट्विनिंग) का संयुक्त उत्पादन करना। जॉर्डन को बॉलीवुड तथा भारतीय OTT प्लेटफॉर्म्स के लिये फिल्म शूटिंग स्थल के रूप में बढ़ावा देना।
- संवहन को बढ़ाना: पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा देने हेतु सीधे उड़ानों (अम्मान–दिल्ली/चेन्नई) को प्रोत्साहित करना। व्यवसायों तथा अकादमिक संस्थानों को जोड़ने के लिये ई-कॉमर्स, तकनीकी स्टार्टअप एवं वर्चुअल सहयोग के संबंध एक समर्पित डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित करना।
निष्कर्ष
भारत के प्रधानमंत्री का ऐतिहासिक दौरा 75 वर्षीय स्थिर साझेदारी को एक महत्त्वाकांक्षी रणनीतिक गठबंधन में बदल देता है। व्यापार में विविधता, डिजिटल एकीकरण और गहन सुरक्षा सहयोग को लक्षित करके, भारत तथा जॉर्डन कूटनीतिक सद्भावना को ठोस एवं भविष्य-उन्मुख परिणामों में परिवर्तित करने के लिये तैयार हैं।
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत की पश्चिम एशिया नीति में जॉर्डन का रणनीतिक महत्त्व क्या है और रक्षा एवं सुरक्षा में सहयोग को आपसी लाभ के लिये कैसे बढ़ाया जा सकता है? |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. भारत की पश्चिम एशिया नीति में जॉर्डन का रणनीतिक महत्त्व क्या है?
जॉर्डन एक महत्त्वपूर्ण भू-राजनीतिक सेतु के रूप में कार्य करता है, जिससे भारत को इज़राइल, अरब देशों और ईरान के साथ संबंध संतुलित करने में मदद मिलती है। अक्साबा प्रक्रिया में इसकी भूमिका तथा IMEC के लिये संभावित लॉजिस्टिक हब के रूप में इसका महत्त्व और बढ़ जाता है।
2. जॉर्डन भारत की कृषि सुरक्षा में कैसे योगदान देता है?
JIFCO जैसी संयुक्त उद्यम परियोजनाओं के माध्यम से जॉर्डन फॉस्फेट और पोटाश की आपूर्ति करता है, जो भारत की उर्वरक आवश्यकताओं के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं।
3. भारत और जॉर्डन विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कैसे सहयोग करते हैं?
अम्मान स्थित भारत-जॉर्डन सूचना प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता केंद्र (IJCOEIT) के माध्यम से, जो भारतीय विशेषज्ञता का उपयोग करके 3,000 जॉर्डनियाई IT पेशेवरों को AI, साइबर सुरक्षा और बिग डेटा एनालिटिक्स में प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न 1. दक्षिण-पश्चिमी एशिया का निम्नलिखित में से कौन-सा एक देश भूमध्यसागर तक फैला नहीं है? (2015)
(a) सीरिया
(b) जॉर्डन
(c) लेबनान
(d) इज़रायल
उत्तर: (b)
प्रश्न 2. कभी-कभी समाचारों में उल्लिखित पद ‘टू-स्टेट सॉल्यूशन’ किसकी गतिविधियों के संदर्भ में आता है ? (2018)
(a) चीन
(b) इज़रायल
(c) इराक
(d) यमन
उत्तर: (b)
मेन्स
प्रश्न. “भारत के इज़रायल के साथ संबंधों ने हाल में एक ऐसी गहराई एवं विविधता प्राप्त कर ली है, जिसकी पुनर्वापसी नहीं की जा सकती है।” विवेचना कीजिये। (2018)

