भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत में MSME पर नीति आयोग की रिपोर्ट
- 05 May 2025
- 21 min read
प्रिलिम्स के लिये:नीति आयोग , सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम , अंतर्राष्ट्रीय MSME दिवस , सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय , विनिर्माण क्षेत्र , मुद्रा योजना विस्तार , उद्यम पोर्टल , गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस , उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन , डिजिटल MSME 2.0 मेन्स के लिये:ग्रामीण विकास में MSME की भूमिका, भारत की आर्थिक वृद्धि में MSME की भूमिका, MSME क्षेत्र के विकास में बाधा डालने वाले प्रमुख मुद्दे। |
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
नीति आयोग ने इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस के साथ मिलकर एक व्यापक रिपोर्ट जारी की, जिसमें MSME के विकास में बाधा डालने वाली प्रमुख चुनौतियों की पहचान की गई तथा उनकी प्रतिस्पर्द्धात्मकता और आर्थिक प्रभाव को बढ़ाने हेतु रणनीतिक सुधारों का प्रस्ताव दिया गया।
MSME क्या हैं?
- परिचय:
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) ऐसे व्यवसाय हैं जिन्हें संयंत्र एवं मशीनरी या उपकरण में उनके निवेश और वार्षिक कारोबार के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
- वे उद्यमशीलता को बढ़ावा देने, रोज़गार सृजन करने और ग्रामीण तथा अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में औद्योगीकरण को समर्थन देकर भारत की आर्थिक संरचना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- MSME का वर्गीकरण:
प्रकार |
निवेश |
टर्नओवर (वार्षिक कारोबार) |
||
वर्तमान |
संशोधित |
वर्तमान |
संशोधित |
|
सूक्ष्म उद्यम |
₹1 करोड़ |
₹2.5 करोड़ |
₹5 करोड़ |
₹10 करोड़ |
लघु उद्यम |
₹10 करोड़ |
₹25 करोड़ |
₹50 करोड़ |
₹100 करोड़ |
मध्यम उद्यम |
₹50 करोड़ |
₹125 करोड़ |
₹250 करोड़ |
₹500 करोड़ |
भारत की आर्थिक संवृद्धि को गति देने में MSME की क्या भूमिका है?
- GDP और रोज़गार में योगदान: MSME भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 29.2% , विनिर्माण उत्पादन में 36.2% का योगदान करते हैं और 120 मिलियन से अधिक लोगों को रोज़गार प्रदान करते हैं।
- उदाहरण के लिये कपड़ा उद्योग, जो मुख्य रूप से MSME द्वारा संचालित है, कताई, बुनाई और परिधान निर्माण जैसी गतिविधियों में लाखों लोगों को रोज़गार देता है।
- निर्यात संवर्द्धन: MSME भारत के कुल निर्यात में लगभग 45% (वित्त वर्ष 2021-22) का योगदान देते हैं, जिससे वैश्विक व्यापार क्षेत्र में भारत की स्थिति मज़बूत होती है।
- भारतीय हस्तशिल्प क्षेत्र, जिसमें अधिकांशतः लघु उद्यम शामिल हैं, निर्यात राजस्व में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है तथा वैश्विक हस्तनिर्मित कालीन निर्यात में इसका योगदान लगभग 40% है।
- ग्रामीण औद्योगिकीकरण: MSME ग्रामीण औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देते हैं और समावेशी विकास को बढ़ावा देते हैं, जो डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के PURA (ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाएँ प्रदान करना) दृष्टिकोण के अनुरूप है।
- उदाहरण के लिये खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) , जिसमें मुख्य रूप से लघु-स्तरीय इकाइयाँ शामिल हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार उपलब्ध कराने और स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा संतुलित क्षेत्रीय विकास में योगदान देता है ।
- नवाचार और उद्यमिता: MSME नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देता है , जिससे छोटे व्यवसाय अक्सर बदलते बाज़ार की गतिशीलता के अनुकूल ढल जाते हैं।
- भारत का संपन्न स्टार्टअप इकोसिस्टम (विश्व में तीसरा सबसे बड़ा) मुख्य रूप से MSME द्वारा संचालित है, जिसने ई-कॉमर्स , फिनटेक और अन्य उभरते उद्योगों जैसे क्षेत्रों में अभिनव समाधान पेश किये हैं ।
- महिला सशक्तीकरण को समर्थन: MSME समावेशी उद्यमशीलता को बढ़ावा देकर महिलाओं और वंचित समुदायों को सशक्त बनाने हेतु उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं ।
- उद्यम पंजीकरण पोर्टल के अनुसार, 20% से अधिक MSME महिलाओं के स्वामित्व में हैं , जो उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी पर प्रकाश डालता है।
अधिक जानकारी के लिये यहाँ क्लिक कीजिये: भारतीय अर्थव्यवस्था में MSME क्षेत्र का महत्त्व
भारत में MSME के सामने प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
MSME पर नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार:
- अनौपचारिकीकरण: भारत में 90% से अधिक MSME अनौपचारिक बने हुए हैं।
- उद्यम पोर्टल (95 लाख पंजीकरण बनाम 6.34 करोड़ कुल MSME) जैसे प्रयासों के बावजूद, उच्च अनुपालन लागत और विनियामक बोझ के कारण कई लोग औपचारिकीकरण से वंचित रह जाते हैं, जिससे ऋण, योजनाओं तथा वैश्विक मूल्य शृंखलाओं तक उनकी पहुँच सीमित हो जाती है।
- औपचारिक ऋण तक पहुँच का अभाव: MSME के लिये ऋण पहुँच में सुधार के बावजूद, सूक्ष्म/लघु उद्यमों के लिये 14% से 20% और मध्यम उद्यमों के लिये 4% से 9% तक (वर्ष 2020-2024) एक महत्त्वपूर्ण ऋण अंतर बना हुआ है।
- वित्त वर्ष 2020-21 में औपचारिक चैनलों द्वारा केवल 19% ऋण मांग को पूरा किया गया, साथ ही अन्य चुनौतियों जैसे कि संपार्श्विक की कमी, उच्च NPA, कमज़ोर क्रेडिट जाँच और खराब वित्तीय साक्षरता ने कई MSME को उच्च ब्याज दरों (30-60%) पर अनौपचारिक ऋण पर निर्भर रहने के लिये मज़बूर किया।
- कौशल अंतराल: वर्ष 2014-2022 तक, लघु उद्यमों में कुशल श्रम में 19.94%, मध्यम उद्यमों में 20% और बड़े उद्यमों में 12.72% की वृद्धि हुई (विश्व बैंक)।
- हालाँकि, ज्ञान-गहन नियुक्ति में 3.9% की गिरावट के साथ एक महत्त्वपूर्ण कौशल असंतुलन मौजूद है।
- उत्पाद विविधीकरण चुनौतियाँ: भारत में MSME को सीमित बाज़ार जागरूकता, तकनीकी ज्ञान और मशीनरी एवं विपणन की उच्च लागत के कारण उत्पाद विविधीकरण में बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
- विविधीकृत फर्मों के लिये ग्राहक आधार में 18% की वृद्धि के बावजूद, उच्च विकास लागत, खराब विपणन और वित्त तक सीमित पहुँच जैसी चुनौतियाँ ब्राँड की स्थापना तथा अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में प्रवेश में बाधा डालती हैं।
- अनुपालन बोझ: भारत में MSME के लिये कर और अन्य अनुपालन एक महत्त्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है।
- हालाँकि GST ने दक्षता में सुधार किया है, लेकिन इसने MSME के लिये अनुपालन लागत और परिचालन चुनौतियाँ भी बढ़ा दी हैं।
- अपर्याप्त बुनियादी अवसरंचना और पुरानी तकनीक: वर्ष 2023 के वैश्विक नवाचार सूचकांक में भारत के 40वें स्थान पर होने के बावजूद, MSME को उन्नत प्रौद्योगिकी तक सीमित पहुँच, उच्च लागत और अविश्वसनीय बुनियादी अवसरंचना का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनकी मापनीयता तथा वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में एकीकरण बाधित हो रहा है।
- केवल 6% MSME ई-कॉमर्स का उपयोग करते हैं और केवल 45% ने AI को अपनाया है, जो इस क्षेत्र में डिजिटलीकरण की धीमी गति को दर्शाता है।
- "मिसिंग मिडिल" समस्या: इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ECLGS) और स्टार्टअप इंडिया जैसी पहलों के बावजूद भारत में MSME को सीमित जागरूकता एवं समझ के कारण सरकारी योजनाओं तक पहुँचने तथा उनका पूर्ण लाभ उठाने में कठिनाई होती है।
- यह मध्यम आकार के उद्यमों के कम प्रतिनिधित्व को दर्शाता है, जिसमें 97.92% MSME को सूक्ष्म के रूप में वर्गीकृत किया गया है, 1.89% को लघु के रूप में और केवल 0.01% को मध्यम के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- यह अंतर सख्त विनियमन, उच्च अनुपालन लागत, सीमित वित्तीय पहुँच और कम उत्पादकता के कारण है।
- यह मध्यम आकार के उद्यमों के कम प्रतिनिधित्व को दर्शाता है, जिसमें 97.92% MSME को सूक्ष्म के रूप में वर्गीकृत किया गया है, 1.89% को लघु के रूप में और केवल 0.01% को मध्यम के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
MSME पर नीति आयोग की प्रमुख सिफारिशें क्या हैं?
- MSME तक ऋण पहुँच में सुधार: MSME में ऋण अंतर को कम करने के लिये निगरानी बढ़ाकर और जोखिम प्रीमियम को कम करके सूक्ष्म एवं लघु उद्यम योजना हेतु संशोधित क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट(CGTMSE) में सुधार करना आवश्यक है।
- NBFC, विशेष रूप से दूरदराज़ के क्षेत्रों में, उनकी क्षमता और प्रशासन में सुधार के लिये SIDBI के वित्तपोषण से उनका विस्तार किया जाना चाहिये।
- राज्य स्तर पर, पूंजी और ब्याज सब्सिडी के लिये पात्रता बाधाओं को कम करने से MSME को उनके विकास के विभिन्न चरणों में सहायता मिलेगी।
- कौशल एवं कार्यबल संरेखण: विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में MSME जनशक्ति की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये STEM शिक्षा में निवेश करना चाहिये।
- प्रशिक्षण कार्यक्रमों को उद्योग की मांग के अनुरूप बनाना तथा कौशल अंतराल को दूर करने के लिये व्यावसायिक शिक्षा में सुधार करना, वित्तीय साक्षरता और परिचालन कौशल पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
- राज्यों को प्रासंगिकता सुनिश्चित करने के लिये पाठ्यक्रम को नियमित रूप से अद्यतन करते हुए प्रशिक्षण हेतु आंशिक सब्सिडी प्रदान करनी चाहिये।
- प्रौद्योगिकी और AI को अपनाना: डिजिटल जोखिम प्रबंधन और अनुकूलित बीमा उत्पादों के साथ MSME आपूर्ति शृंखलाओं को बढ़ाना चाहिये।
- सब्सिडी, अनुदान और जागरूकता अभियान के माध्यम से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को अपनाने को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
- वस्त्र और रसायन में तकनीकी उन्नयन करने, और MSME-विशिष्ट संवहनीय बुनियादी ढाँचे का विकास करने की आवश्यकता है। उन्नयन हेतु उद्योग 4.0 प्रौद्योगिकियों में निवेश किया जाना चाहिये।
- नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को उन्नत करना: विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों, निजी संस्थाओं और सरकारी निकायों के बीच ज्ञान प्रणाली का विस्तार करके MSME के लिये अनुसंधान, नवाचार और प्रौद्योगिकी उन्नयन को बढ़ावा देने के क्रम में सहयोग संस्थानों (IFC) को सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता है।
- सामान्य सुविधा केंद्रों (CFC) को IFC मानकों के अनुरूप उन्नत करने से MSME क्षेत्र में उत्पादकता, नवाचार और प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा मिलेगा।
- बाज़ार पहुँच और आपूर्ति शृंखला प्रबंधन को बढ़ावा देना: MSME को हरियाणा, बिहार, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की तरह निर्यात प्रोत्साहन और डिजिटल प्लेटफॉर्म समर्थन मिलना चाहिये, जिसमें गुणवत्ता प्रमाणन और बाज़ार अनुसंधान शामिल हैं।
- डिज़ाइन स्कूलों के साथ सहयोग और नई प्रौद्योगिकियों में निवेश से वस्त्र जैसे क्षेत्रों में प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ेगी।
- राज्यों को आपूर्ति शृंखला संबंधी बुनियादी ढाँचे और स्थानीय प्रशिक्षण में निवेश करना चाहिये। इसके अतिरिक्त, व्यापार मेलों और निर्यात कार्यक्रमों के माध्यम से खाद्य प्रसंस्करण MSME को बढ़ावा देने से बाज़ार तक पहुँच में सुधार होगा।
- नीति अनुवीक्षण और सहभागिता में सुधार: राज्य स्तर पर MSME संबंधी नीति जागरूकता और पहुँच में विस्तार करना चाहिये। नियमित सर्वेक्षणों से नीति प्रदर्शन का आकलन किया जाना चाहिये और सुधार को बढ़ावा देना चाहिये।
- MSME हितधारकों के साथ प्रभावी रूप से सहभागिता करने की आवश्यकता है, जिसमें स्वामी-संचालित उद्यम (OAE) (जहाँ स्वामी दिन-प्रतिदिन के कार्यों में प्रत्यक्ष रूप से शामिल होता है) और महिला-स्वामित्व वाले उद्यम शामिल हैं।
- अनौपचारिकता को कम करने और सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने के लिये अनौपचारिक क्षेत्र के MSME को डेटासेट में शामिल किया जाना चाहिये।
भारत में MSME क्षेत्र से संबंधित अधिक जानकारी
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MSME से संबंधित सरकार की प्रमुख पहलें कौन-सी हैं?
- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना
- MSME के लिये पारस्परिक ऋण गारंटी योजना
- उद्यम पंजीकरण
- चैंपियंस पोर्टल
- MSME समाधान
- सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) MSME के लिये सार्वजनिक खरीद में भाग लेने हेतु एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जिससे उनकी बाज़ार पहुँच में विस्तार होता है।
निष्कर्ष:
भारत की आर्थिक संवृद्धि की दृष्टि से MSME महत्त्वपूर्ण हैं, लेकिन अपर्याप्त डेटा के कारण इस क्षेत्र के समक्ष चुनौतियाँ विद्यमान हैं। PLFS जैसे मौजूदा डेटा स्रोतों का लाभ उठाने और उद्यम (UDYAM) जैसे प्लेटफॉर्म को बेहतर बनाने से बेहतर नीतियाँ बनाने, MSME की प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने और वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में उनके एकीकरण का समर्थन करने में मदद मिलेगी, जिससे सतत् आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता देना देश के भविष्य के लिये महत्त्वपूर्ण है। समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. विनिर्माण क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करने के लिये भारत सरकार ने कौन-सी नई नीतिगत पहल/पहलें की है/हैं? (2012)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन सरकार के समावेशी विकास के उद्देश्य को आगे बढ़ाने में सहायता कर सकता है? (2011)
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न. भारत के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/है? (a) केवल 1 उत्तर:(b) मेन्स:प्रश्न. "सुधारोत्तर अवधि में सकल-घरेलू-उत्पाद (जी.डी.पी.) की समग्र संवृद्धि में औद्योगिक संवृद्धि दर पिछड़ती गई है।" कारण बताइये। औद्योगिक नीति में हाल में किये गए परिवर्तन औद्योगिक संवृद्धि दर को बढ़ाने में कहाँ तक सक्षम हैं? (2017) प्रश्न. सामान्यतः देश कृषि से उद्योग और बाद में सेवाओं को अंतरित होते हैं पर भारत सीधे ही कृषि से सेवाओं को अंतरित हो गया। देश में उद्योग के मुकाबले सेवाओं की विशाल संवृद्धि के क्या कारण हैं? क्या भारत सशक्त औद्योगिक आधार के बिना एक विकसित देश बन सकता है? (2014) |