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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

स्टार्टअप पर संसदीय समिति की रिपोर्ट

  • 17 Sep 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये: 

स्टार्टअप यूनिकॉर्न, वैकल्पिक निवेश कोष, सामूहिक निधि

मेन्स के लिये:

भारतीय कंपनियों में विदेशी निवेश की भूमिका, स्टार्टअप में निवेश को बढ़ावा देने हेतु सरकार के प्रयास  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वित्तीय मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने ‘स्टार्टअप’ से संबंधित एक रिपोर्ट संसद के समक्ष प्रस्तुत की है।

प्रमुख बिंदु:

  • समिति ने देश में स्टार्टअप तंत्र के संदर्भ में ‘फाइनेंसिंग ऑफ द स्टार्टअप इकोसिस्टम’ (Financing the Startup Ecosystem) नामक रिपोर्ट प्रस्तुत की है। 
  • समिति के अनुसार, भारत की स्टार्टअप कंपनियों को चीन और अमेरिका जैसे देशों पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहिये।
    • गौरतलब है कि अगस्त माह में जारी ‘हुरुन ग्‍लोबल यूनिकॉर्न्‍स 2020’ (Hurun Global Unicorns 2020) में शामिल किये गए 21 स्टार्टअप यूनिकॉर्न (Startup Unicorns) में से 11 कंपनियों को अलीबाबा, टेनसेंट और डीएसटी ग्लोबल जैसे चीनी निवेशकों से फंड प्राप्त हुआ था। 
    • स्टार्टअप यूनिकॉर्न, वे स्टार्ट-अप होते हैं जिनका मूल्य 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक होता है।

सुझाव:  

  • समिति के अनुसार, ‘भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक’ (Small Industries Development Bank of India- SIDBI) के फंड ऑफ फंड्स पहल का विस्तार किया जाना चाहिये और निवेश को बढ़ावा देने के लिये इसका उपयोग किया जाना चाहिये।
  • स्टार्टअप के पूंजी स्रोतों का विस्तार करने के लिये कंपनियों और सीमित देयता भागीदारी (Limited Liability Partnerships- LLPs) को बिना ‘गैर-वित्तीय बैंकिंग कंपनी’ (NBFC) घोषित किये स्टार्टअप में निवेश की अनुमति दी जानी चाहिये।
  • विदेशी विकास वित्त संस्थानों को स्थानीय परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों के साथ मिलकर फंड संरचना या प्रत्यक्ष उद्यम पूंजी/निजी इक्विटी फंड स्थापित करने के लिये (विशेष रूप से सामाजिक प्रभाव, स्वास्थ्य देखभाल और स्टार्ट-अप क्षेत्रों में) प्रोत्साहित किया जा सकता है।
  • बैंकों को श्रेणी-III के वैकल्पिक निवेश कोष (Alternative Investment Fund-AIF) में निवेश की अनुमति दी जानी चाहिये।
  • देश के बड़े वित्तीय संस्थानों को भी अपने निवेश योग्य अधिशेष के कुछ हिस्से को घरेलू निधियों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिये, जिससे स्टार्टअप में निवेश हेतु अतिरिक्त पूंजी की व्यवस्था हो सकेगी। 

कर छूट: 

  • COVID-19 महामारी के दौरान स्टार्टअप में निवेश को बढ़ावा देने के लिये समिति ने केंद्र सरकार को कम-से-कम अगले दो वर्षों के लिये स्टार्टअप में कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट व्हीकल (Collective Investment Vehicles- CIVs) जैसे- एंजल फंड, AIF और LLPs के द्वारा किये गए निवेश पर सभी दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (Long Term Capital Gains) कर को समाप्त करने का सुझाव दिया है।
    • सामूहिक निवेश वाहन या कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट व्हीकल (Collective Investment Vehicles- CIVs)  ऐसी इकाई होती है जो निवेशकों को सीधे परिभूतियों को खरीदने के स्थान पर सामूहिक निधि (Pool Fund) में कई निवेशकों को सामूहिक रूप से निवेश की सुविधा प्रदान करता है।
    •  CIVs को आमतौर पर एक फंड प्रबंधन कंपनी द्वारा प्रबंधित किया जाता है। 
  • समिति के अनुसार, दो वर्षों की छूट के पश्चात CIVs पर प्रतिभूति लेनदेन कर (Securities Transaction Tax- STT) लागू किया जा सकता है।

लाभ: 

  • समिति की सिफारिशों को अपनाने से  स्टार्टअप कंपनियों में निवेश को बढ़ावा देने में सहायता प्राप्त होगी।
  • वर्तमान में COVID-19 की महामारी के कारण अर्थव्यवस्था में आई गिरावट के बीच स्टार्टअप रोज़गार और बाज़ार में मांग को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

‘भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक’

(Small Industries Development Bank of India- SIDBI):

  • भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) एक संविधिक निकाय है, इसकी स्थापना 2 अप्रैल, 1990 को की गई थी।
  • SIDBI,  यह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र के संवर्द्धन, वित्तपोषण और विकास के साथ-साथ समान गतिविधियों से जुड़े संस्थानों के कार्यों के समन्वय के लिये प्रमुख वित्तीय संस्थान के रूप में कार्य करता है। 
  • SIDBI का मुख्यालय लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में स्थित है। 

पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax): 

  • किसी ‘पूंजीगत परिसंपत्ति’ की बिक्री से हमें जो भी लाभ प्राप्त होता है उसे ‘पूंजीगत लाभ’ कहा जाता है। आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार, इस लाभ को ‘आय’ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। अतः संपत्ति हस्तांतरित करने वाले व्यक्ति को अपने द्वारा कमाए गए लाभ पर आय के रूप में कर देना होता है जिसे ‘पूंजीगत लाभ कर’ कहा जाता है।
  • पूंजीगत लाभ कर दो प्रकार के होते हैं-
    1. दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर:  यह कर उन संपत्तियों की बिक्री से प्राप्त लाभ पर लगाया जाता है जिन्हें एक वर्ष से अधिक समय तक रखा गया हो।
    2. अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर: यह कर उन संपत्तियों की बिक्री से प्राप्त लाभ पर लगाया जाता है जिन्हें एक वर्ष या उससे कम समय तक रखा गया हो।

प्रतिभूति लेन-देन कर

(Securities Transaction Tax-STT): 

  • यह कर भारत के स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध प्रतिभूतियों की खरीद और बिक्री के समय लगाया जाता है।
  • क्रेता और विक्रेता दोनों को STT के रूप में शेयर मूल्य का 0.1% भुगतान करना होता है।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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