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प्रिलिम्स फैक्ट्स

रैपिड फायर

प्रगति (PRAGATI) – सक्रियता से शासन और समय पर कार्यान्वयन

स्रोत: PIB

प्रधानमंत्री ने प्रगति (PRAGATI) – सक्रियता से शासन और समय पर कार्यान्वयन (प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लीमेंटेशन) की 49वीं बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में तेज़ी लाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

  • प्रगति (PRAGATI): यह एक अभिनव सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) सक्षम मंच है, जिसे वर्ष 2015 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य सरकारी परियोजनाओं के समयबद्ध क्रियान्वयन को सुनिश्चित तथा जनता की शिकायतों का निवारण करना है।
    • यह केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करता है, “टीम इंडिया” दृष्टिकोण को प्रोत्साहित तथा लालफीताशाही से बचते हुए अंतर्राज्यीय विवादों का कुशलतापूर्वक समाधान करता है।
  • मुख्य विशेषताएँ: प्रगति (PRAGATI) एक तीन-स्तरीय तंत्र पर आधारित है, जिसमें प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO), केंद्र सरकार के सचिव तथा राज्यों के मुख्य सचिव शामिल हैं। प्रधानमंत्री की प्रत्यक्ष निगरानी के अंतर्गत निर्णय समयबद्ध तरीके से लिये जाते हैं और अड़चनों का त्वरित निवारण सुनिश्चित होता है।
  • प्रभाव: वर्ष 2024 तक, प्रगति (PRAGATI) मंच ने 205 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य की 340 से अधिक महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं को गति देने में मदद की है।

और पढ़ें... PRAGATI (प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लिमेंटेशन)


रैपिड फायर

ओजू जलविद्युत परियोजना

स्रोत: IE

केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी ज़िले में ओजू जलविद्युत परियोजना को पर्यावरणीय मंज़ूरी दे दी है, जिससे चीन सीमा के निकट भारत की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं में से एक के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

  • ओजू जलविद्युत परियोजना 2,220 मेगावाट की नदी-प्रवाह (रन्-ऑफ-रिवर) जलविद्युत परियोजना है।
  • इसका उद्देश्य सुबनसिरी बेसिन की विशाल जलविद्युत क्षमता का दोहन करना है, जिससे भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में महत्त्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
  • महत्त्व: यह जलविद्युत विकास के लिये पूर्वोत्तर में बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम है।
    • यह परियोजना सुबनसिरी बेसिन में सबसे बड़ी है, जो नियारे, नाबा, नालो, डेंगसेर, ऊपरी और निचले सुबनसिरी जैसी परियोजनाओं से ऊपर स्थित है, जिससे यह बेसिन-व्यापी ऊर्जा नियोजन के लिये महत्त्वपूर्ण हो जाती है।
    • अंतर्राष्ट्रीय सीमा से इसकी निकटता ऊर्जा सुरक्षा की दृष्टि से भी इसके महत्त्व को बढ़ाती है।
  • सुबनसिरी नदी
    • सुबनसिरी नदी, जिसे गोल्ड नदी के नाम से भी जाना जाता है, यह एक ट्रांस-हिमालयन नदी है।
    • यह तिब्बती हिमालय के माउंट पोरोम (5059 मीटर) के पश्चिमी भाग से उत्पन्न होती है।
    • यह अरुणाचल प्रदेश में मिरी हिल्स के माध्यम से भारत में प्रवेश करती है।
    • ब्रह्मपुत्र नदी के दाएँ उत्तर तट की सबसे लंबी उपनदी के रूप में, सुबनसिरी नदी असम के माजुली द्वीप पर ब्रह्मपुत्र से मिलती है, जो एशिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप है। 

और पढ़ें... सुबनसिरी बाँध परियोजना


रैपिड फायर

अंतर्राष्ट्रीय समुद्रतल प्राधिकरण की 8वीं वार्षिक ठेकेदार बैठक 2025

स्रोत: पी.आई.बी.

भारत ने गोवा स्थित CSIR-राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान में ISA की 8वीं वार्षिक ठेकेदार बैठक की मेज़बानी की, जिसमें गहरे समुद्र अन्वेषण पर चर्चा करने के लिये वैश्विक विशेषज्ञ एकत्र हुए।

  • इस बैठक में भारत के डीप ओशन मिशन और "मानवता की साझा धरोहर" के दृष्टिकोण के अनुरूप सतत् संसाधन प्रबंधन पर भी ज़ोर दिया गया।
  • बैठक में अंतर्राष्ट्रीय समुद्रतल अन्वेषण में भारत की अग्रणी भूमिका को उजागर किया गया। भारत अंतर्राष्ट्रीय जलक्षेत्र में पॉलीमेटेलिक नोड्यूल (PMN) अन्वेषण के लिये क्षेत्र प्राप्त करने वाला पहला देश था और उसे "अग्रणी निवेशक" नामित किया गया था।
  • दो पॉलीमेटेलिक सल्फाइड (PMS) अनुबंधों के साथ, एक केंद्रीय भारतीय रिज और दक्षिण-पश्चिमी भारतीय रिज में और दूसरा भारतीय महासागर के कार्ल्सबर्ग रिज में, भारत अब अंतर्राष्ट्रीय समुद्रतल में PMS के लिये सबसे बड़े अन्वेषण क्षेत्र का स्वामी है।

अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (ISA)

  • ISA, जिसका मुख्यालय किंग्स्टन, जमैका में स्थित है, एक स्वायत्त संगठन है जिसे वर्ष 1982 के सामुद्रिक कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCLOS) और वर्ष 1994 के कार्यान्वयन समझौते के तहत स्थापित किया गया।
  • यह मानवता के लाभ के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुद्रतल में सभी खनिज-संसाधन गतिविधियों को नियंत्रित करता है, जिसमें भारत सहित 170 सदस्य देश शामिल हैं।

और पढ़ें: ISA की 30वीं वर्षगाँठ


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