रैपिड फायर
गहरे समुद्रतल का अन्वेषण
- 14 Jun 2025
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स्रोत: TH
एक अध्ययन के अनुसार पृथ्वी के गहरे समुद्र तल का लगभग 99.999% भाग, जो 200 मीटर की गहराई से नीचे पृथ्वी के दो-तिहाई क्षेत्र को कवर करता है, अभी भी अदृश्य बना हुआ है।
- 97% से अधिक गहरे समुद्र में गोते लगाने का काम सिर्फ 5 देशों (अमेरिका, जापान, न्यूज़ीलैंड, फ्राँस और जर्मनी) द्वारा किया जाता है।
- भू-आकृति विज्ञान संबंधी विशेषताओं जैसे पर्वतमालाओं और घाटियों की ओर अधिक ध्यान दिया गया है, जबकि विशाल अथाह मैदान, जो समुद्र तल के अधिकांश भाग को कवर करते हैं, का अध्ययन कम हुआ है।
गहरे महासागर (Deep Ocean):
- गहरे महासागर से तात्पर्य 200 मीटर से अधिक गहराई पर स्थित महासागर के उस भाग से है, जहाँ सूर्य का प्रकाश प्रवेश नहीं कर पाता है।
- गहरे महासागर ठंडे होते हैं, जिनका औसत तापमान केवल 4°C होता है। इसके अलावा, गहरे महासागर में अत्यधिक दाब होता है, जो पृथ्वी के वायुमंडल के दाब से 40 से 110 गुना अधिक होता है।
- गहरे महासागरीय क्षेत्र में प्रकाश की कमी के कारण प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया नहीं होती है तथा पोषक तत्त्वों की भी कमी होती है, फिर भी वहाँ की कठोर परिस्थितियों में जीवन पनपता रहता है।
- मेसोपेलाजिक क्षेत्र (200-1,000 मीटर) में वैश्विक मछली बायोमास का लगभग 90% पाया जाता है । इसमें मछली, स्क्विड और क्रिल जैसी प्रजातियाँ शामिल हैं ।
- भारत ने गहरे महासागर के संसाधनों की खोज और उनका स्थायी दोहन करने के लिये वर्ष 2021 में डीप ओशन मिशन (DOM) शुरू किया।
- अन्वेषण का महत्त्व: गहरे सागर का अन्वेषण ऊर्जा के संभावित स्रोत (जैसे- तेल, गैस, मीथेन हाइड्रेट और समुद्री धाराएँ), नए एंटीबायोटिक्स का एक आशाजनक भंडार, बहुधात्विक नोड्यूलों की खोज तथा जलवायु परिवर्तन को समझने, उसका पूर्वानुमान लगाने एवं उसके प्रभाव को कम करने के लिये महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
और पढ़ें: डीप ओशन मिशन (DOM)