हरियाणा Switch to English
गुरुग्राम में धूल प्रदूषण पर NGT याचिका
चर्चा में क्यों?
हरियाणा के गुरुग्राम में धूल के अनियंत्रित संचय को लेकर पर्यावरणीय प्रभावों के संदर्भ में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) के समक्ष गंभीर चिंताएँ प्रस्तुत की गई हैं।
मुख्य बिंदु
- धूल प्रदूषण: गुरुग्राम की सड़कों, फुटपाथों और सार्वजनिक स्थलों पर धूल का अत्यधिक संचय देखा गया है। इसमें मुख्यतः PM₁₀ तथा PM₂.₅ कण शामिल हैं, जो शहरी वायु गुणवत्ता में गिरावट के प्रमुख कारक हैं।
- पर्यावरणीय जोखिम: इस अत्यधिक धूल संचय के कारण परिवेशी वायु की गुणवत्ता प्रभावित होती है और कण पदार्थ की सांद्रता बढ़ जाती है, जिससे स्वास्थ्य तथा पर्यावरणीय जोखिम उत्पन्न होते हैं।
- विनियमन तंत्र: भारत में धूल प्रदूषण को मुख्यतः वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 और राष्ट्रीय मानक वायु गुणवत्ता सर्वेक्षण (NAAQS) के अंतर्गत विनियमित किया जाता है, जिसमें PM₁₀ तथा PM₂.₅ कणों के नियंत्रण पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है।
- प्रदूषण बोर्डों की भूमिका: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HSPCB) धूल नियंत्रण उपायों की निगरानी तथा उनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिये उत्तरदायी हैं।
- CPCB:
- यह एक वैधानिक निकाय है, जिसकी स्थापना जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत की गई थी।
- राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT):
- राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत स्थापित यह वैधानिक निकाय पर्यावरण संरक्षण से संबंधित मामलों के शीघ्र और प्रभावी समाधान के लिये उत्तरदायी है।

H%201.gif)
.png)

%20(1).gif)
